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समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
कुछ बहुएं घरवालों के हिसाब से ये गलती करती हैं और उनकी नजरों में बुरी बन जाती हैं
बहू को पता है कि अगर वह घर नहीं संभाल पाई तो उसे ही दोष दिया जाएगा. उसी की गलती निकाली जाएगी. इसलिए वह घरवालों का ख्याल रखने में दिन रात एक कर देती है. वह सबके हां में हां मिलाती है. घर का पूरा का काम करती है. यहां तक की घरवालों के हिसाब से अपना पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब बदल देती है. कुछ घरवाले बहू के इतना करने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
मां को इन बातों के लिए कभी सॉरी नहीं बोलना चाहिए
मां अपने लिए कुछ करना तो दूर सोचना नहीं जानतीं. उनकी पहचान भी उनके बच्चों के नाम से हो जाती है. कई लोग तो उनका नाम तक नहीं जानते. वे सिर्फ फलाने की बहू, सलाने की पत्नी तो चिंटू की मम्मी कहलाने लगती हैं. ऐसा लगता है कि उनका कोई शौक ही नहीं है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
शादी के बाद किस तरह बदल जाती है लड़कियों की जिंदगी?
शादी के बाद घर की सारी जिम्मेदारी बहू के ऊपर डाल दी जाती है. घर का काम करने और रसोई में खाना बनाने में बुराई नहीं है, लेकिन यह तब उबाऊ हो जाता है सब सब कुछ उस महिला को ही संभालना पड़ता है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
गृहिणी बनना भी अपनी च्वाइस होती है, जानिए ट्रैड वाइफ पर क्यों छिड़ी है बहस?
हमारे समाज में घर संभालना छोटी बात क्यों मानी जाती है? क्या आपने कभी हाउसवाइफ का इसलिए सम्मान होते देखा है, क्योंकि उसने घर को बड़े ही करीने से संभाला है. लोगों को यह क्यों समझ नहीं आता कि जरूरी नहीं है कि हर महिला को बाहर काम करना ही पसंद हो. घर को मैनेज करना किसी कंपनी को मैनेज करने से आसान काम थोड़ी है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
होली के त्योहार पर आम घरों की महिलाओं का रूटीन क्या होता है?
एक त्योहार ही तो वह मौका होता है जब सभी घरवाले एक जगह होते हैं. उसमें भी बाहर से सामान मंगा लेंगे तो फिर बात ही क्या रह जाएगी? उन्हें तो मां के हाथ का ही सबकुछ बना अच्छा लगता है. इसलिए कमर दर्द लिए मां रसोई से छत और बाजार के चक्कर लगाती रहती है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
प्यारी लड़कियों तुम दुनिया के लिए खुद को ऐसे नहीं भूला सकती, तुम्हारे लौटने का इंतजार है
कॉलेज के दिनों में वो टॉपर तो नहीं थी लेकिन होनहार इतनी थी कि कुछ तो कर ही लेती, उसे प्रोफेसर बनना था लेकिन शादी होते ही जैसे उसकी दुनिया बदल सी गई है. ऐसा भी नहीं है कि उसे वहां किसी बात की दिक्कत हो या फिर कमी हो लेकिन वो अब उसे भूल सी गई है जो कभी हुआ करती थी. कभी-कभी याद आती है उसे खुद की...
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
पत्नी को खुश रखना है तो ध्यान दें, बड़ी चीजों के पीछे भागते हुए हम छोटी खुशियों को खो देते हैं
जरूरी नहीं है कि लंबी छुट्टी लेकर दूर कहीं ट्रिप पर जाकर पहाड़ों और बर्फ के बीच ही आप पत्नी के साथ खुश रह सकते हैं, इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो हर रोज आपकी लाइफ हैप्पी बन सकती है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
पुरुषों को रिझाना महिलाओं का फर्ज कैसे हो गया?
वह पुरुष है उसका दिमाग खऱाब हो सकता है. वह तुम पर चिल्ला सकता है. तुम उसकी पत्नी हो वह तुम पर गुस्सा नहीं करेगा तो किस पर करेगा? तुम्हें उसे माफ करने की आदत डालनी होगी. घऱ में शांति बनाना तुम्हारा फर्ज है...
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
क्या ठंड सिर्फ पुरुषों को लगती है, सुबह उठकर काम करने वाली गृहिणी को नहीं?
वह मां है, पत्नी है, बहू है और इसी का फर्ज निभाती है. वह दिन रात चकरी की तरह भागती ही रहती है. जैसे उसके अंदर रोबोट फिट कर दिया गया हो. आखिर उसकी कभी छुट्टी क्यों नहीं होती? आखिर वह कभी आराम क्यों नहीं करती? वह किस मिट्टी की बनी है, आखिर उसे ठंड क्यों नहीं लगती?