दिल्ली में एक सिख की कटार चली, फिर पुलिस की लाठी और हुआ सियासी बवाल
जब पूरी वीडियो देखेंगे तो पता चलेगा कि गलती की शुरुआत तो सिख युवक ने की, हां जिस तरह से पुलिस ने उसे पीटा है, उसे भी बेरहमी कहना गलत नहीं है. सड़क से शुरू हुआ ये मामला पहले सोशल मीडिया तक पहुंचा और अब सियासी गलियारे में दस्तक दे दी है.
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दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक घटना हुई है, जिसमें एक सिख युवक और उसके बेटे के साथ दिल्ली पुलिस की झड़प हुई है. सिख युवक ने पुलिसवालों पर तलवार से हमला किया और पुलिस वालों ने लाठियों से उसे बुरी तरह पीटा. सोशल मीडिया पर इस घटना के दो रूप दिख रहे हैं. एक वो, जिसमें सिख व्यक्ति को निर्दोष, मजबूर आम आदमी कहा जा रहा है, जिसे दिल्ली पुलिस बेरहमी से पीट रही है. वहीं दूसरा वो पहलू है, जिसमें ये सिख युवक बेहद हिंसक है, जो पुलिस से लड़ने के लिए तलवार लेकर आ गया और हमला तक कर दिया.
सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो में से कई छोटे-छोटे वीडियो काटकर चलाए जा रहे हैं. कुछ वीडियो पुलिस की गलती दिखा रहे हैं, तो कुछ वीडियो सिख युवक की गलती दिखा रहे हैं. खैर, जब पूरी वीडियो देखेंगे तो पता चलेगा कि गलती की शुरुआत तो सिख युवक ने की, हां जिस तरह से पुलिस ने उसे पीटा है, उसे भी बेरहमी कहना गलत नहीं है. सड़क से शुरू हुआ ये मामला पहले सोशल मीडिया तक पहुंचा और अब सियासी गलियारे में दस्तक दे दी है. आम आदमी पार्टी भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर चुकी है.
सड़क से शुरू हुआ ये मामला पहले सोशल मीडिया तक पहुंचा और अब सियासी गलियारे में दस्तक दे दी है.
सियासी गलियारे में आरोप-प्रत्यारोप शुरू
ये मामला अभी सोशल मीडिया पर फैलना शुरू ही हुआ था कि आम आदमी पार्टी मैदान में कूद पड़ी. उसे सड़क पर एक युवक नहीं, बल्कि एक सिख युवक पिटता हुआ दिखा, जो (सिख) दिल्ली में किसी वोट बैंक से कम नहीं. आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह ने इस वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा सोशल मीडिया पर शेयर किया और उसे पुलिस की बर्बरता कहते हुए पुलिसवालों पर कार्रवाई की बात कही. इसे तुरंत ही मनीष सिसोदिया ने भी रीट्वीट कर दिया और भाजपा की पुलिस पर आम आदमी को पीटने का आरोप लगा दिया.
जहाँ तक मुझे याद है दिल्ली में बीजेपी के सात सांसद चुने गए थे.. उनका कुछ अता-पता है? उनकी पार्टी की पुलिस आम आदमी को सड़क पर घसीट रही है.. कोई सांसद कुछ करेगा या सब अगले चुनाव तक कमेंट्री करके पैसा कमाने में बिजी हैं? https://t.co/kKG55g7ka3
— Manish Sisodia (@msisodia) June 17, 2019
केजरीवाल ने भी इस घटना को पुलिस की बर्बरता कहा. किसी ने भी उस सिख युवक की कोई गलती नहीं मानी, जो तलवार लिए पुलिस को धमका रहा था और बाद में हमला भी कर दिया.
3 पुलिसवाले सस्पेंड होने के मायने भी सियासी !
इस मामले ने जैसे ही तूल पकड़ा तो 3 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया. वैसे भी, इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था. सिख समुदाय के बहुत से लोगों ने रिंग रोड जाम कर दी थी और पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार की है, ऐसे में अगर सिख समुदाय केंद्र से नाराज हो गया तो अगले साल दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव का क्या होगा? आखिर सिख सिर्फ आम आदमी पार्टी के वोट बैंक तो हैं नहीं, इसलिए 3 पुलिसवालों को सस्पेंड करना ही पड़ा.
अब यहां सवाल ये उठता है कि आखिर सड़क पर हुई इस घटना में ऐसा क्या खास है, जिस पर राजनीति शुरू हो गई है. क्या हुआ था? गलती कितनी है? उस सिख युवक को गलत कहें या फिर दिल्ली पुलिस को? इन सब सवालों के जवाब तो तभी मिल सकते हैं जब इस घटना को सिलसिलेवार तरीके से समझा जाए. तो चलिए जानते हैं इस घटना के बारे में.
लड़के की मानें तो पहले पुलिस ने की बदतमीजी
टैंपो ड्राइवर के लड़के की मानें तो पहले पुलिस ने उससे बदतमीजी की. उसके अनुसार ये घटना रास्ते में शुरू हो गई थी, जहां पुलिसवाले ने अपनी जिप्सी उसकी गाड़ी के आगे लगाकर उससे बदतमीजी की. अगर इस बात को सच भी मान लें तो क्या उस बदतमीजी के जवाब में तलवार से हमला किया जाना सही है? कानून को हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है, ये बात शायद वो सिख युवक भूल गया.
तलवार से किया पुलिसवाले पर हमला
इस मामले की शुरुआत एक बहस से हुई. नीचे दिए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पहले टैंपो ड्राइवर और उसके लड़के के साथ एक पुलिसवाले की बहस होती है. जब पुलिसवाला उस व्यक्ति के हाथ में तलवार देखता है तो तुरंत पास में ही स्थित थाने से पुलिसवालों को बुला लाता है. वहां से 10-12 पुलिसवाले लाठी-डंडे लिए आते हैं. उन्हीं में से एक सादी वर्दी में मौजूद पुलिसवाला उस सिख युवक को पीछे से पकड़ लेता है. पुलिस वाले पास आते हैं और सिख युवक को लाठियों से मारकर उसके हाथ से तलवार छुड़ाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं वो तलवार से हमला ना कर दे. और उनका डर तब सच साबित हो जाता है, जब इस धक्का-मुक्की में सिख युवक छूट जाता है. वह तलवार लेकर पुलिसवालों पर टूट पड़ता है और सादी वर्दी में मौजूद पुलिसवाले पर तलवार से दो बार वार करता है. एक बार छाती पर और दूसरी पर सिर पर. तलवार में धार ना होने के चलते पुलिस वाले को अधिक चोट तो नहीं लगी, लेकिन उसका सिर जरूर लहू-लुहान हो गया.
तलवार में धार ना होने के चलते पुलिस वाले को अधिक चोट तो नहीं लगी, लेकिन उसका सिर जरूर लहू-लुहान हो गया.
फिर शुरू होती है युवक की पिटाई
जब युवक पुलिसवाले पर हमला कर देता है तो बाकी के सभी पुलिसवाले लाठी-डंडों से उसे मारना शुरू कर देते हैं. जैसे-तैसे उसके हाथ से तलवार छुड़ाई जाती है, लेकिन इतने में उस युवक का 15 साल का लड़का टैंपों से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश करता है. वीडियो देखकर उसके इरादों पर किसी को शक नहीं होगा. इसके बाद पुलिसवालों को गुस्सा उस लड़के पर भी टूटता है और उसे भी लाठी-डंडों से पीटा जाता है. आखिरकार, दोनों को पुलिस वाले घसीटते हुए थाने ले जाते हैं.
A Mob outside Mukherjee Nagar police station went on a rampage during which they attacked an Assistant Commissioner of Police @THNewDelhi @DelhiPolice pic.twitter.com/l1tmmZ5wle
— Saurabh Trivedi (@saurabh3vedi) June 17, 2019
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग मुखर्जी नगर थाने में तोड़फोड़ करते हुए अपना गुस्सा निकालते दिख रहे हैं. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिसवालों को भी सिख समुदाय के लोग मारते हुए दिख रहे हैं. वैसे तो मुखर्जी नगर में एक सिख युवक को पीटे जाने की घटना को अधिकतर लोग पुलिस की बर्बरता मान रहे हैं, जो गलत नहीं है, लेकिन सिख युवक ने जो किया, वो भी अपराध है. दोनों की ही गलती है. खैर, अब मामला तूल पकड़ चुका है और इस घटना ने सियासी खेमे में हलचल पैदा कर दी है. राजनीतिक पार्टियों ने अब इसे अपने पक्ष में भुनाना भी शुरू कर दिया है.
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