एक बच्चे के 'अदने से ट्वीट' ने पुलिस महकमे को लाइन पर ला दिया!
यूं तो बच्चे ने जो किया उसे किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन उसकी इस हरकत ने उजागर कर दिया कि पुलिस के लिए एक अफसर के ट्वीट और एक आम आदमी की गुहार में कितना फर्क है.
-
Total Shares
आज के समय में ट्विटर कितना बड़ा हथियार हो चुका है, ये तो हम सभी को पता है. महज एक ट्वीट भर कर देने से विदेश में कहीं भी दिक्कत का सामना कर रहे लोगों तक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मदद भेज देती हैं. मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को टैग करते हुए कोई मुद्दा उठा दिया जाए तो उस पर एक्शन भी हो जाता है. लेकिन यूपी में दसवीं कक्षा के छात्र ने ट्विटर का एक हथियार की तरह ऐसा इस्तेमाल किया. इसे शायद गलत कहा जाए, लेकिन ये था बेहद असरदार. तो चलिए अब जान लेते हैं कि क्या किया है इस बच्चे ने...
बच्चे ने ट्विटर पर ये फर्जी अकाउंट बनाया था और पुलिस को आदेश दिए थे.
फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाया
दसवीं कक्षा के छात्र ने यूपी के डीजीपी के नाम से एक फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाया. इस ट्विटर अकाउंट से उसने गोरखपुर पुलिस को कुछ ट्वीट किए और ठगी के एक मामले में छानबीन करने के आदेश दिए. बच्चे की ये चाल काम कर गई. पुलिसवालों को लगा कि बड़े साहब का ये खास आदेश है. फिर क्या था, पुलिसवालों ने एड़ी-चोंटी का जोर लगा दिया. मामले की जांच करके तत्काल उसकी तह तक पहुंचे. पुलिस को तकनीक की कितनी जानकारी है, इसकी भी पोल बच्चे ने खोल दी. इस फर्जी ट्विटर अकाउंट की तस्वीर देखिए, इस पर सिर्फ 4 ट्वीट हैं और उन्हें सिर्फ 1 शख्स फॉलो कर रहा है, अकाउंट वेरिफाइड भी नहीं है. इतनी सारी शक की गुंजाइशों के बावजूद जो पुलिस बेवकूफ बन गई. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर किसी केस के लिए बच्चे ने ऐसा क्यों किया? तो चलिए जान लेते हैं इसका जवाब.
भाई से ठगी का था केस
दरअसल, उस बच्चे ने डीजीपी का फर्जी अकाउंट बनाकर जिस केस की छानबीन करने के लिए पुलिस को आदेश दिए थे वह किसी और का नहीं बल्कि उसी के भाई का केस था. उसके भाई से 45,000 रुपए की ठगी हो गई थी, जिसकी शिकायत के लिए वह पुलिस स्टेशन भी गए थे. लेकिन जैसा अमूमन होता है वैसा ही उस दिन भी हुआ, पुलिस ने मामले में मदद करने से इनकार कर दिया. उसके बाद बच्चे को मामला सुलझाने के लिए फर्जी अकाउंट बनाना पड़ा. पुलिस की जांच की बदौलत सादिक अंसारी नाम के शख्स से ठगी के 30,000 रुपए वापस भी मिल गए हैं और बाकी के 15,000 रुपए भी उसने जल्द ही वापस देने का वादा किया है. यह पैसा उसने दुबई में नौकरी दिलवाने के नाम पर लिए थे.
कैसे आया ये आइडिया?
यूपी पुलिस के डीजीपी का फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाने का आइडिया दरअसल कक्षा 10 में पढ़ने वाले उस बच्चे का नहीं, बल्कि उसके दोस्त का था. जब उसके दोस्त को पता चला कि पुलिस मामले में कोई मदद नहीं कर रही है तो उसने कहा कि यूपी के डीजीपी की तस्वीर लगाकर ट्विटर की एक फर्जी आईडी बनाई जाए और उसी से पुलिसवालों को ट्वीट के जरिए आदेश दिए जाएं. उसके बाद 10 में पढ़ने वाले उस बच्चे ने यूपी के डीजीपी की यूनिफॉर्म वाली एक तस्वीर लगाकर ट्विटर अकाउंट बनाया और उसी से पुलिस को मामले की छानबीन के आदेश दे दिए.
ये है यूपी के डीजीपी का असली ट्विटर अकाउंट.
और एक दिन ये झूठ पकड़ा गया
केस की पड़ताल पूरी कर लेने के बाद गोरखपुर पुलिस के कॉन्सटेबल ने खुशी-खुशी डीजीपी को केस की रिपोर्ट दी. लेकिन जब डीजीपी का जवाब आया तो पुलिस वालों की खुशी नई चिंता में बदल गई. अब पुलिस डीजीपी के फेक ट्विटर अकाउंट बनाने वाले की तलाश में जुट गई. एक महीना लगा. साइबर पुलिस को जांच में पता चला कि वह ट्विटर अकाउंट एक मोबाइल फोन से ऑपरेट हो रहा है जो महाराजगंज में है, जिसके बाद बच्चे पुलिस की पकड़ में आए.
डीजीपी ओपी सिंह के मुताबिक, बच्चों को सिर्फ एक चेतावनी देकर ही छोड़ दिया गया, क्योंकि वह स्कूल जाने वाले बच्चे थे और उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से उनके भविष्य पर भी असर पड़ सकता था. भले ही इसके पीछे पुलिस का तर्क बच्चों के भविष्य की चिंता हो, लेकिन कहीं न कहीं पुलिस भी यह बात समझ गई होगी कि आम जनता की परेशानी कोई तब तक नहीं सुनता, जब तक कि किसी बड़े अधिकारी का आदेश न आए. खैर, अब कोई भी पुलिस वाला किसी ट्वीट पर एक्शन लेने से पहले सोचेगा जरूर. हो सकता है कि वह ट्वीट को वेरिफाई करने के लिए अधिकारी के ऑफिस में फोन भी घुमा दे.
ये भी पढ़ें-
बच्चियों के साथ बलात्कार क्यों?
हम अपने बच्चों के लिए रेप और नफरत भरा समाज छोड़कर जाना चाहते हैं?
आपकी राय