कृषि के लिए कभी 'वैदिक टेक्नीक' तो कभी 'ब्यूटी कांटेस्ट'
गोवा में कृषि की स्थिति क्यों खराब है इसकी वजह न तो जमीन है, न उपकरण. बल्कि इसका कारण कृषि मंत्री जैसे लोग है जिनकी कही बात और दिए गए बयान में न सिर होता है, न पैर.
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वो तो भगवान भला करे बीजेपी का, जिसने जब गोवा में सरकार बनाई हमें वहां कृषि के बारे में पता चला. सरकार बनने से पहले तक हममें से शायद ही किसी ने सोचा हो कि गोवा में कृषि होती है. सरकार बनने से पहले तक हमारे लिए गोवा का मतलब बीच, अंग्रेज, शराब, पार्टी, नाईट लाइफ और सीफूड था. सच में, अब जब इस मुद्दे पर जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. महसूस होता है कि आखिर कैसे हमने इतनी बड़ी चूक कर दी जो कभी इस मुद्दे पर ध्यान ही नहीं दिया.
गोवा में कृषि कितनी बड़ी समस्या है इसका अंदाजा हम वहां के कृषि मंत्री के आए रोज़ के प्रपंच देख कर पता चलता है. गोवा के कृषि मंत्री ने खेती किसानी को लेकर एक बेहद अनोखा सुझाव दिया है. गोवा के कृषि मंत्री विजय सरदेसाई ने कहा कि अगर धान के खेतों में सौंदर्य प्रतियोगिता (ब्यूटी कॉन्टेस्ट) आयोजित करने से युवा खेती की तरफ आकर्षित होते हैं तो वे ऐसा करने के पक्ष में हैं. कृषि मंत्री ने आगे कहा कि युवा पीढ़ी को खेती-बाड़ी आकर्षित नहीं करती और उन्हें लगता है कि यह बूढ़े लोगों का व्यवसाय है.
राज्य में कृषि की स्थिति को लेकर गोवा के कृषि मंत्री का बयान हैरत में डालने वाला है
आपको बताते चलें कि विजय सरदेसाई गोवा विधानसभा में कृषि के लिए अनुदान की मांगों को लेकर किए गए सवालों का जवाब दे रहे थे. इसी दौरान उन्होंने कहा कि,‘अगर आप चाहें तो धान के खेत में ब्यूटी कॉन्टेस्ट आयोजित कर सकते हैं. (इससे) युवा वहां आएंगे. उन्हें कृषि में लाने के लिए जो करना संभव हो वह करें.’ ये कोई पहली बार नहीं है जब राज्य के कृषि मंत्री ने 'कृषि की समस्या' पर अपना दिव्या ज्ञान दिया है. इससे पहले गोवा में घूमने आए अंग्रेज तक तब हैरत में पड़ गए थे जब सरदेसाई ने ‘वैदिक कृषि’ की हिमायत की थी और किसानों को खेत में मंत्र पढ़ने की सलाह दी थी.
समझ में ये नहीं आता, ये लोग ऐसा कैसे कर लेते हैं. आप खुद कल्पना करके देखिये. मिलेगा कि जहां एक तरफ 'वैदिक कृषि' और मंत्रों का जाप करना 'नार्थ पोल' है तो वहीं धान के खेत में ब्यूटी कांटेस्ट कराना 'साउथ पोल'. मतलब जब मंत्री जी ने देखा कि ट्रेडिशनल बनने से कुछ हो नहीं रहा, तो इन्होंने तत्काल प्रभाव में पाला बदल लिया. और एक विदेशी अवधारणा का समर्थन कर मॉडर्न हो गए. मंत्री जी द्वारा जिस तरह राज्य में कृषि के लिए नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. अजीब-अजीब सुझाव दिए जा रहे हैं कहना गलत नहीं है कि ये कृषि के लिए कुछ करना तो चाहते हैं मगर क्या करना चाहते हैं इन्हें खुद नहीं पता.
बहरहाल, गोवा में अचानक उपजे कृषि के मुद्दे को देखकर और मंत्री जी की बात सुनकर हम बस इतना ही कहेंगे कि अगर मंत्री जी को राज्य की कृषि के लिए कुछ करना है तो सबसे पहले तो वो अपना मुंह बंद करें. ऐसा इसलिए क्योंकि इनके बयान विपक्ष को इनकी आलोचना का मौका देगा जिससे न सिर्फ इनकी बल्कि पूरी पार्टी की किरकिरी होगी. बाक़ी इस बयान को देखकर ये भी कहना गलत नहीं है कि कुछ होते हैं जो पैर पर कुल्हाड़ी मारते हैं. कुछ होते हैं जो कुल्हाड़ी पर पहले धार लगवाते हैं. फिर उसपर पैर मारते हैं. गोवा के कृषि मंत्री का शुमार दूसरे वाले लोगों में है.
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