कार चोरों की रिसाइकल फैक्टरी में हर टेक्नोलॉजी का तोड़ था
इन दिनों दिल्ली-एनसीआर में कार चोरी करने वाला एक गिरोह सक्रिय है. इस गिरोह के 2 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, 4 लोग अभी भी फरार हैं. ऐसे चोर आपने अब तक सिर्फ फिल्मों में ही देखे होंगे.
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हर किसी को अपनी कार बेहद प्यारी होती है. जरा सी खरोंच भी आ जाए तो लगता है मानो अपना ही बदन छिल गया हो. दूसरों की बुरी नजर से बचाने के लिए हम नींबू-मिर्ची तक गाड़ी में टांग दिया करते हैं. तो जरा सोच कर देखिए, अगर कोई आपकी कार ही चुरा ले तो क्या करेंगे? नहीं जनाब, जो आप सोच रहे हैं, वैसा कुछ नहीं होगा. न आपकी गाड़ी के सेंसर आपको या किसी सुरक्षा गार्ड को जगाएंगे ना ही आपकी गाड़ी में लगा जीपीएस आपके किसी काम आएगा. दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों एक ऐसा ही गिरोह सक्रिय है, जो एक खास अंदाज में लोगों की गाड़ियां चुरा रहा है. अब सोचने की बात ये है कि आखिर सेंसर वाला सेंटर लॉकिंग सिस्टम और जीपीएस भी आपकी गाड़ी को चोरी होने से नहीं बचा सकता तो क्या अब पुराने तरीकों से अपनी कार को लोहे की जंजीरों में बांध कर रखना होगा?
फिल्मों में ही देखे होंगे ऐसे चोर
पुलिस ने यूपी के लोनी से दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जो गाड़ियां चुराते हैं. ये गिरोह लैपटॉप और अन्य गैजेट्स की मदद से गाड़ियां चोरी करना का काम करता है. गिरफ्तार किए गए लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने पिछले दो महीनों में करीब 60 गाड़ियां चुराई हैं. गिरफ्तार किए गए लोग मुरादाबाद के नफीस और इमरान हैं. इस गिरोह के 4 लोग अभी भी फरार हैं. ऐसे चोर तो अब तक सिर्फ फिल्मों में ही देखे थे, लेकिन अब असल जिंदगी में इनकी मौजूदगी दर्ज हो चुकी है. इस गिरोह से संभल कर रहने के लिए आपको सिर्फ थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि आपके साथ कभी ऐसी कोई अनहोनी ना हो.
हॉलीवुड फिल्म की कहानी लगता है कार चोरी का तरीका
इस गिरोह के जो 4 लोग फरार हैं, उसमें एक शख्स जीपीएस और सेंसर को डीएक्टिवेट करने में एक्सपर्ट है. इसके लिए वह शख्स लैपटॉप और कई तरह के गैजेट्स इस्तेमाल करता है. ये शख्स गाड़ी के सिक्योरिटी सिस्टम को डीएक्टिवेट कर देता था और फिर वो लोग गाड़ी का लॉक तोड़कर उसे चुरा लेते थे. चुराई हुई गाड़ियों को मुरादाबाद और संभल जिलों में ले जाया जाता था. वहां पर इन गाड़ियों के चेसिस नंबर और इंजन को बदल कर उसे नेपाल, भूटान और म्यांमार में बेच दिया जाता था. आपको बता दें ये गिरोह एक्सिडेंट में बर्बाद हुई गाड़ियों को सस्ते दामों पर खरीदता था और उन्हीं के चेसिस नंबर और इंजन नई गाड़ियों में लगाता था. एक्सिडेंट वाली गाड़ी के कागज पर ही इन गाड़ियों को बिना किसी की नजरों में आए आसानी से बेचा जाता था.
स्मार्टनेस के तो क्या कहने...
ये कार चोर कितने स्मार्ट हैं, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि ये एक दूसरे से बात करने के लिए अपने मोबाइल का तो इस्तेमाल करते थे, लेकिन किसी के नंबर पर फोन नहीं करते थे. चौंक गए ना? दरअसल, ये लोग वाट्सऐप कॉल की मदद से एक दूसरे संपर्क करते थे, ताकि कभी भी इन्हें ट्रेस न किया जा सके.
अपनी कार बचाने का ये तरीका भी जान लें..
आज के समय में एडवांस होती तकनीक और एक से बढ़कर एक गैजेट्स ने न सिर्फ लोगों की जिंदगी को आसान किया है, बल्कि कुछ शरारती तत्वों को अपराध करने का एक हथियार भी दे दिया है. खैर, बढ़ती तकनीक को रोकना तो विकास की राह में रोड़ा बनने जैसा होगा. ऐसे में आपको ही थोड़ा सतर्क होना होगा, ताकि सिर्फ सेंसर और जीपीएस के भरोसे ही आप अपनी कार न छोड़ दें. आजकल कुछ ऐसे गैजेट आ गए हैं जो आपकी कार लॉक करने की फ्रीक्वेंसी को ट्रैक कर रहे हैं. ऐसे में अगर आप किसी ऐसी जगह अपनी कार खड़ी कर रहे हैं, जहां चोरी होने का खतरा ज्यादा है तो उसे रिमोट के बजाय मैनुअल तरीके से लॉक करें. अपनी कार जहां भी खड़ी करें तो यह ध्यान रखें कि कोई उसके आस-पास संदेहपूर्ण काम तो नहीं कर रहा. अगर आपको किसी पर शक हो तो तुरंत ही पुलिस को सूचित करें.
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