अब अपनी पत्नी का बलात्कार करने के 5 'सरकारी' कारण
ऐसे तो महिलाओं के कंवारे रहने में ही भलाई है, क्योंकि शादी के बाहर ही रेप को रेप माना जाता है, और कोई अदालत तब आपके सही या गलत होने का सुबूत भी नहीं मांगती.
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इस देश के कितने आदमी सेक्स के बाद अपनी पत्नी से पूछते होंगे कि क्या वो संतुष्ट हुई? मर्दों के लिए सेक्स सिर्फ खुद को संतुष्ट करने का साधन है. औरतों को भी सदियों से यही समझाया गया है कि पति तो परमेश्वर है, पति को संतुष्ट करना, उसकी इच्छाओं की पूर्ति करना ही पत्नी का सबसे बड़ा धर्म है. औरत का न कहना, उसका मन न होना या उसकी तबीयत ठीक न होना वगैरह तो बहाने मात्र हैं. और ऐसे में अगर पति, पत्नी से जबरदस्ती संबंध बनाता है (जिसे बलात्कार कहते हैं) तो उसमें गलत ही क्या है?
अगर पति बलात्कार करे तो आपको विरोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि शादी पवित्र बंधन होता है
शादी तो सात जन्मों का बंधन होता है, और पति आपका परमेश्वर, तो अगर पति बलात्कार करे तो आपको विरोध नहीं करना चाहिए. यही तो सरकार भारत की महिलाओं को समझा रही है, कि दुनिया का कोई भी मर्द तुम्हारा बलात्कार करे तो आवाज उठाओ, पर पति करे तो चुप रहो, क्योंकि वो पति है उसने तुमसे शादी करके तुम्हारे साथ कुछ भी करने का लाइसेंस लिया है. (वो बात और है कि इस लाइसेंस के लिए तुमने उसे अच्छा खासा दहेज भी दिया है)
भारत में मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जा सकता, सरकार इसपर अड़ी हुई है और इसकी कुछ वजह भी साफ तौर पर बताई गई हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. मैरिटल रेप की कोई सही परिभाषा है ही नहीं-
सरकार मानती है कि हमारे समाज में बलात्कार तो सब जानते हैं, लेकिन वैवाहिक बलात्कार क्या होता है, ये कोई नहीं जानता. और जब इसकी कोई परिभाषा ही नहीं दे सकता तो इसपर कानून कैसे लाया जा सकता है? एक बार महिला की शादी हो गई फिर उसके बाद उसके अपने अधिकार, उसकी पसंद के कोई मायने होते ही नहीं. और कंसेंट... वो क्या होता है?? इसलिए अगर शादी के बाद आपके साथ कुछ बी होता है तो वो गलत नहीं, सही ही होता है.
2. शादी नाम की संस्था को बचाना सर्वोपरी-
समाज में शादी ही सबसे बड़ी और जरूरी चीज है, किसी भी बलात्कार से ज्यादा. और फिर अगर ये मैरिटल रेप लागू कर भी दिया जाए तो सरकार को भोले भाले पतियों की और भी चिंता सताएगी, कि कहीं बेचारे पति इन शातिर पत्नियों की ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने लग जाएं.
3. मैरिटल रेप के सबूत भी तो जरूरी हैं-
सरकार का कहना है कि अगर पति द्वारा अपनी ही पत्नी के साथ की जाने वाली सभी यौन क्रियाएं वैवाहिक बलात्कार के अंतर्गत आएंगी तो फिर निर्णय तो केवल पत्नी के ही हाथ में रह जाएगा. फिर ऐसे में अदालत किन सुबूतों पर अपना निर्णय सुनाएगी, क्योंकि पति और पत्नी के बीच की यौन क्रियाओं में तो कोई सुबूत भी नहीं होगा. फिर सही और गलत का फैसला होगा कैसे ?
ऐसे तो कंवारा रहने में ही भलाई है, क्योंकि शादी के बाहर ही रेप को रेप माना जाता है, और कोई अदालत तब आपके सही या गलत होने का सुबूत भी नहीं मांगती.
शादी से पहले बलात्कार हो तो अपराध, शादी के बाद हो तो अपराध नहीं??
4. समाज को कानून की नहीं जागरुकता की जरूरत है-
सरकार कहती है कि अगर मैरिटल रेप पर कानून बन भी जाए तो भी मैरिटल रेप बंद नहीं होगा. क्योंकि इस तरह की घटनाएं केवल नैतिकता और सामाजिक जागरुकता के कारण ही रुक सकती हैं.
अगर ऐसा है तो फिर अपराध के लिए कानून की जरूरत ही क्या है. क्योंकि सभी तो नैतिकता से जुड़े मामले ही होते हैं, चाहें बलात्कार हो या आतंकवाद. सती प्रथा और दहेज प्रथा को भी रोकने के लिए कानून बनाने की क्या जरूरत थी, समाज के जागरुक होने का ही इंतजार कर लेते.
5. मैरिटल रेप पाश्चात्य सोच है-
सरकार मानती है कि वैवाहिक बलात्कार जैसा कुछ भारत में होता ही नहीं है, ये कॉन्सेप्ट तो विदेशों से आया है. इससे ज्यादा हास्यास्पद और क्या होगा? कपड़े और संस्कृति के साथ-साथ अब भारत की महिलाओं ने मैरिटल रेप जैसी विदेशी चीज को भी अपना लिया है... अच्छा हुआ सरकार ने ये नहीं कहा कि बलात्कार भी पाश्चात्य संस्कृति का हिस्सा है, भारत तो महापुरुषों का देश है.
हालांकि सरकार ने इसके लिए असाक्षरता को दोषी जरूर करार दिया है. यानी सरकार के हिसाब से तो देश के सारे अनपढ़ रेपिस्ट हैं.
तीन तलाक से जीतती तो मैरिटल रेप से हारती महिलाएं
वैसे इस मामले में सरकार को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला. ये सारा खेल तो समाजा का खेला है. जिस देश का समाज प्रेम विवाह पर ऑनर किलिंग करता हो, बलात्कार करने पर शादी बलात्कारी से करवाने की पैरवी करता हो, वो समाज भला शादी में रेप को क्या समझेगा. और ऐसे समाज में सरकार मेरिटल रेप को लागू भी कैसे कर सकती है. समाज के इसी ताने बाने में उलझी सरकार और हमेशा की तरह प्रताड़ित होती महिलाएं. हैरानी होती है कि ये वही सरकार है जो तीन तलाक को गलत माने, लेकिन मैरिटल रेप को नहीं !
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