मैं भी किसी 'निर्भया' का ब्वॉयफ्रैंड हूं !
बचपन और फिर जवानी की दहलीज पर उसके साथ जो हुआ, उसमें उसका कोई दोष नहीं था. मेरा उसके लिए प्यार बेहद सहज है. वह निर्भय फील करती है, यही काफी है.
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उनकी मुलाकातें कब आकर्षण से प्यार में बदली मालूम नहीं चला. दोनों एक दूसरे से सहज होते चले गये और एक दिन उसने कहा -‘लक्ष्मी, आई लव यू. विल यू मैरी मी?’
‘येस रौनित, आई लव यू. बट, आई डोन्ट नो इफ़ आई वुड मैरी यू.’
दिन बीतते गये, दोनों घंटों बिताते और खूब बातें करते. लेकिन, लक्ष्मी कई बार हंसते-हंसते खामोश हो जाती. वो समझ पा रहा था लक्ष्मी के साथ सबकुछ ठीक नहीं है. उसकी आंखें, चेहरे की भाव-भंगिमा का बदलना उसे परेशान किया करती. एक दिन बहुत हिम्मत कर उसने पूछ लिया, ‘लक्ष्मी, हमलोग लवर्स होने से पहले बेस्ट फ्रैंड्स हैं न, अगर कोई बात तुम्हें परेशान कर रही है तो खुलकर शेयर करो लक्ष्मी.’
वो उसे टकटकी लगाकर देखने लगी. चेहरा बिल्कुल स्थिर और आंखों में आंसू. उसने उसके आंसू पोछने चाहे. लक्ष्मी ने उसका हाथ हटा दिया. रोती रही. तकरीबन दस मिनट बाद उसने रौनित का हाथ पकड़ा और कहा -‘अब सबकुछ ठीक है रौनित. मैं तुमसे इतनी कम्फर्टेबल और सिक्योर फील करती हूं कि जो बात मुझे मां से कहने में चार साल लग गये वो तुमसे एक महीने में कह सकती हूं.’
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और उसने कहना शुरू किया-
“रौनित, मैं बहुत छोटी थी. मेरी बुआ का लड़का था. हमारे घर पर रहकर ही सरकारी नौकरी की तैयारी करता था. मैं उसके साथ खेला करती थी. वो मुझे बस स्टॉप तक छोड़ने जाया करता. एक बार मम्मी-पापा को रिश्तेदार की शादी में बेगुसराय जाना पड़ा. वो अकेले मेरे साथ रहा. उसने मुझे गलत तरीके से छुआ. उसने मेरे साथ बहुत बुरा किया. मैं चीखती-चिल्लाती रही. वो मुझे डराता कि वो ये सब मम्मी-पापा को बता देगा और वो आत्महत्या कर लेंगे.
यौन शोषण जो जीवन का हिस्सा बन गया था |
उसने मेरे साथ ऐसा चार साल तक किया. मैं जिंदा लाश बन गई थी. मुझे दर्द होता लेकिन, चीख नहीं पाती. बाथरूम में शॉवर के नीचे पानी के साथ घुलता खून मेरे जीवन का हिस्सा बनता चला गया. मम्मी-पापा के सामने खुश रहने का नाटक करती और अकेले में रोया करती. मरना चाहती थी. पंखें से लटकने ही वाली थी कि दीदी ने देख लिया. तब जाकर मम्मी-पापा सबको मालूम हुआ. पापा ने उसे घर से बाहर कर दिया. बस, यही उसकी सजा थी. मैं मम्मी पापा से बहुत प्यार करती हूं, उनके बिना रह नहीं सकती. लेकिन, उन्होंने अपनी लाड़ली की हंसी के पीछे का दर्द कभी नहीं समझा. ये बात मुझे हमेशा कचोटती रहती है.
तुम्हें बताऊं, मुझे बारहवीं में पहली बार मोहब्बत हुई. वो मेरा क्लासमेट था. विनय नाम था उसका. हमने साथ में भविष्य के सपने देखे. शादी के वादे किये. इन शादी के वादों को वादे नहीं झांसे कहो. उसके साथ फिजिकल हो गई. उसके बाद जब भी वो मिलता, मकसद सिर्फ सेक्स होता. कारण कि हम अगले कुछ वर्षों में शादी करने वाले हैं. जब मैंने उससे अपना पास्ट शेयर किया. उसने मुझे गालियां दीं और छोड़ दिया. उसे मेरे साथ हमबिस्तर होने पर शर्म आने लगी. क्योंकि, मैं तो पहले से ही वर्जिन नहीं थी!
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हां, मुझे फिर से प्यार हुआ है. इस बार तुमसे. तुम जब पिरियड्स, लव लिबरेशन, नो ब्रा डे, पिंजरा तोड़, चाइल्ड एब्यूज़ की बातें करते हो, मुझे लगता है ऐसे कितने कम लोग बचे हैं हमारे बीच. मैं तुमसे ये सब कितनी आसानी से कह गई रौनित. कोई सेकंड थॉट नहीं देना पड़ा.
तो बताओ रौनित, बोलो, इस ‘निर्भया’ से अब भी प्यार करते हो? निभा पाओगे दोस्ती? कर पाओगे शादी ऐसी किसी निर्भया से?”
“हां लक्ष्मी, मैं इस निर्भया का ब्वॉयफ्रेंड हूं. शादी करने के लिए निर्भया का पास्ट मैटर नहीं करता, मन मिलते रहना चाहिए.”
”रौनित, तुम्हारी वजह से ही आज मैं निर्भय हूं. काश, सारी लक्ष्मियों को ‘निर्भय’ बनाने वाले साथी मिल जायें.”
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