IAS topper रहे शाह फैसल का 'रेपिस्तान' को समझाना जुर्म क्यों है
शाह फैसल ने दक्षिण एशिया में लगातार बढ़ रहे रेप को लेकर एक व्यंग्यात्मक ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था- 'पितृसत्ता+ जनसंख्या+ अशिक्षा+ शराब+ पॉर्न+ टेक्नॉलजी+ अराजकता= रेपिस्तान'. इसी पर अब बवाल शुरू हो गया है.
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जैसे-जैसे एक बच्चा बड़ा होता जाता है, परिवार और समाज के लोग उसे आर्दशवादी बातें बताना शुरू कर देते हैं. कोशिश रहती है कि उसे ये सिखाया जा सके कि क्या सही है और क्या गलत. लेकिन जब वही बच्चा बड़ा होकर गलत के खिलाफ आवाज उठाता है, तो कई बार अपनों को ही ये बातें नागवार गुजरती हैं. इन दिनों इसका ताजा उदाहरण हैं जम्मू-कश्मीर के पहले यूपीएससी टॉपर शाह फैसल. स्कूल-कॉलेज में उन्होंने भी यही समझा और सीखा कि क्या गलत है और क्या सही. ट्रेनिंग में भी यही सिखाया होगा कि गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, लेकिन अब जब शाह फैसल ने एक सामाजिक बुराई रेप के खिलाफ आवाज उठाते हुए ट्वीट किया है तो जम्मू-कश्मीर की सरकार को ही ये बात सबसे बुरी लगी है. इस ट्वीट के एवज में उनके ऊपर कार्रवाई शुरू हो गई है और उन्हें कारण बताओ नोटिस तक जारी किया जा चुका है. नोटिस के जरिए सीधे उनकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाया गया है. सोचने वाली बात ये है कि आखिर रेप के खिलाफ आवाज उठाने से उसकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का क्या लेना देना? उन्होंने तो अपने ट्वीट में किसी राजनीतिक पार्टी तक की बात नहीं कही, लेकिन सजा भुगत रहे हैं.
बॉस ने दिया लव लेटर
शाह फैसल ने दक्षिण एशिया में लगातार बढ़ रहे रेप को लेकर एक व्यंग्यात्मक ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था- 'पितृसत्ता+ जनसंख्या+ अशिक्षा+ शराब+ पॉर्न+ टेक्नॉलजी+ अराजकता=रेपिस्तान'. जब ये ट्वीट जम्मू-कश्मीर सरकार की नजर में आया तो उन्होंने शाह फैसल को एक नोटिस भेजा, जिसमें कहा गया कि वह आधिकारिक रूप से अपना कर्तव्य निभाने के दौरान पूर्ण ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का पालन करने में असफल रहे हैं, जो एक लोक सेवक के लिए उचित व्यवहार नहीं है. इसके बाद शाह फैसल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर उस नोटिस की तस्वीर डालते हुए लिखा है- दक्षिण एशिया के रेप कल्चर पर मेरे व्यंग्यात्मक ट्वीट के लिए मेरे बॉस की तरफ से लव लेटर.
Love letter from my boss for my sarcastic tweet against rape-culture in South Asia. The Irony here is that service rules with a colonial spirit are invoked in a democratic India to stifle the freedom of conscience. I'm sharing this to underscore the need for a rule change. pic.twitter.com/ssT8HIKhIK
— Shah Faesal (@shahfaesal) July 10, 2018
ऐसा क्या गलत कहा शाह फैसल ने?
अगर शाह फैसल के ट्वीट को देखें तो पता चलता है कि उन्होंने एक कड़वा सच सामने रखा है. 'पितृसत्ता+ जनसंख्या+ अशिक्षा+ शराब+ पॉर्न+ टेक्नॉलजी+ अराजकता=रेपिस्तान'. अगर इस ट्वीट को सही से समझें तो शाह फैसल ने पुरुष वर्चस्व के समाज, देश में शिक्षा का लचर स्तर, लोगों को शराब की तल, अश्लील फिल्म और साहित्य, तकनीक का गलत इस्तेमाल और अराजकता यानी बदमाशी की बात की है. उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए कहा है कि ये सब मिलकर एक रेपिस्तान बनाते हैं.
पहले भी हो चुका है ऐसा
इससे पहले एक अन्य आईएएस अधिकारी ऐलक्स पॉल मेनन ने जुलाई 2016 में ट्विटर पर भारतीय न्याय प्रणाली पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया था, जिसके बाद उन्हें भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. उन्होंने लिखा था- कोर्ट द्वारा फांसी की सजा 94 फीसदी दलितों-मुस्लिमों को दिया जाना क्या न्यायिक व्यवस्था का पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं दिखाता?' इसके बाद सरकारी अधिकारियों के तरफ से कहा भी गया था कि किसी प्रशासनिक अधिकारी द्वारा न्यायिक तंत्र पर सवाल उठाना नियमों के खिलाफ है.
ये सब देखने के बाद सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों कोई सरकारी अधिकारी अपनी आवाज नहीं उठा सकता? माना कि देश को इन बुराइयों से निकालने का जिम्मा इन्हीं सरकारी अधिकारियों के कंधों पर होता है, लेकिन किसी समस्या का समाधान निकालने से पहले उसको चिन्हित तो करना ही होगा. वैसे भी, शाह फैसल का ट्वीट तो पूरी तरह से एक सामाजिक बुराई के खिलाफ था, तो आखिर सरकार को इससे बुरा क्यों लगा? ऐसे ही सवालों के चलते अब जम्मू-कश्मीर सरकार लोगों की आलोचना का शिकार हो रही है.
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