72 घंटे, 5 खबरें : स्कूल इतने 'खतरनाक' क्यों हो रहे हैं!
कहीं गर्ल्स टॉयलेट में कैमरा मिलता है, कहीं दो साल के बच्चे का शोषण होता है.. पिछले 72 घंटों में भारत के स्कूलों से जुड़ी जो खबरें आई हैं वो माता-पिता की चिंता बढ़ाने के लिए काफी हैं.
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बच्चों को स्कूल भेजा जाता है ताकि वो बेहतर भविष्य पा सकें. कुछ सीख सकें. सुबह मां जब बच्चों को स्कूल भेजती है तो उसे ये लगता है कि उसका बच्चा कुछ नया सीखेगा और उसके साथ कुछ बेहतर होगा, लेकिन आजकल जैसे हालात हैं उससे लगता है कि बच्चों के लिए कुछ बेहतर नहीं हो रहा बल्कि उनको नुकसान पहुंच रहा है.
बात बहुत पुरानी नहीं करते सिर्फ पिछले 72 घंटों पर ध्यान देते हैं. पिछले 72 घंटों में आपके साथ क्या-क्या हुआ? आपके आस-पास के लोगों के साथ क्या हुआ है? इसका जवाब शायद बहुत से लोगों के लिए कुछ खास न हो, लेकिन अगर पूछा जाए कि देश के स्कूलों में पिछले तीन दिनों में क्या हुआ है तो क्या कहेंगे आप?
कुछ खबरों की ओर ध्यान दीजिए..
1. लड़कियों के अंडरगार्मेंट का फरमान..
पुणे के एक स्कूल में लड़कियों को कैसे अंडरगार्मेंट पहनने चाहिए इसपर फरमान जारी किया गया. MIT Vishwashanti Gurukul School में लड़कियों को सिर्फ सफेद या स्किन रंग की अंडरवियर पहन कर आने का फरमान जारी हुआ. इसपर माता-पिता द्वारा हंगामा तो जायज ही था. यकीनन किसी भी स्कूल में ऐसा फैसला लिया गया तो मतलब स्कूल प्रशासन को शायद माता-पिता के फैसलों पर बिलकुल यकीन नहीं होगा, स्कूल को लगता होगा कि माता-पिता अपनी बच्चियों को सही कपड़े नहीं पहनाएंगे तभी ऐसा फैसला लिया होगा. खैर, विरोध के बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया.
2. गर्ल्स टॉयलेट के अंदर वीडियो कैमरा..
यूपी के एक स्कूल में गर्ल्स टॉयलेट से छुपा हुआ कैमरा मिला है. शुरुआती जांच में पता चला है कि प्रिंसिपल के भाई ने ये कैमरा गर्ल्स टॉयलेट में पांच-छह महीने पहले इंस्टॉल किया था. दो शिक्षकों को इसके बारे में मालूम हुआ और उन्होंने वीडियो वायरल कर दिए.
महाराजगंज के एक स्कूल की ये घटना है और प्रिंसिपल का कहना है कि उन्हें इस कैमरे या वायरल हुए वीडियो के बारे में कोई जानकारी नहीं है. स्कूल के बच्चों और उनके माता-पिता ने स्कूल में काफी हंगामा किया. यकीनन ये करना सही था.
3. दो साल के बच्चे का शोषण..
कोलकता में एक दो साल के बच्चे का प्लेस्कूल में शोषण किया गया. मां का कहना है कि जब उनका बच्चा वापस आया तो वो रो रहा था और वो न तो ठीक से खड़े हो पा रहा था और न ही बैठ पा रहा था. डॉक्टर के कहने पर स्कूल गए उसके माता-पिता और सीसीटीवी फुटेज देखा.
पॉस्को एक्ट के तहत एफआईआर भी करवाई गई. स्कूल की तरफ से सीसीटीवी फुटेज देने से ही मना कर दिया गया था. स्कूल ने कहा कि 26 जून से लेकर 3 जुलाई तक की सीसीटीवी फुटेज ही नहीं है उनके पास.
4. पानी पीने और टॉयलेट जाने का समय निर्धारित..
ये खबर में पुणे की ही है और MIT Vishwashanti Gurukul स्कूल की ही है. इस स्कूल में सिर्फ लड़कियों की अंडरवियर की ही बातें नहीं की गई हैं, बल्कि यहां बच्चों के पानी पीने और टॉयलेट जाने को लेकर भी नियम बना दिए गए हैं. अगर कोई बच्चा पीने के पानी का गलत इस्तेमाल करते या फिर इलेक्ट्रिसिटी का गलत इस्तेमाल करते पाया गया तो 500 रुपए का फाइन भी लगाया जाएगा. इस स्कूल में एडमीशन के लिए माता-पिता को IPC की धारा के तहत कई एफिडेविट भी साइन करने होंगे और स्कूल माता-पिता के खिलाफ शिकायत कर सकता है अगर माता-पिता ने नियम नहीं माने तो.
अगर किसी बच्चे को टॉयलेट जाना है तो वो सिर्फ कुछ खास समय पर ही ये हो सकता है. साथ ही पानी भी कुछ खास समय पर ही पिया जा सकेगा.
5. स्कूल बस के कारण बच्चे की मौत..
उत्तर प्रदेश की ही एक और दिल दहला देने वाली खबर है. एक स्कूल बस का फ्लोर खराब हो गया था, लेकिन स्कूल प्रशासन को इसकी कोई चिंता नहीं थी. एक बच्चा स्कूल बस के उसी खराब फ्लोर का शिकार हो गया और फिसलकर नीचे गिर गया. बस के ही पिछले टायर के नीचे आकर उसकी मौत हो गई. ये स्कूल बस खेरागढ़, उत्तर प्रदेश के सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल की थी. स्कूल प्रशासन का कहना था कि स्कूल की गाड़ियों की जांच पड़ताल होती रहती थी, लेकिन अगर ऐसा था तो इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई?
वो स्कूल बस जिससे बच्चा फिसल कर रोड पर जा गिरा
ये थीं पिछले कुछ दिनों में भारत के स्कूलों में हुई घटनाएं. ये मामले तो ज्यादा हाइलाइट हो गए इसलिए नजर में आ गए, लेकिन ऐसे न जाने कितने मामले रहे होंगे जिनकी खबर तक नहीं लगी. नियम, कायदे कानून किसी भी स्कूल की रीढ़ की हड्डी होते हैं. लेकिन कई स्कूल इसे जरूरत से ज्यादा ही आगे ले जाते हैं. बच्चों के लिए नियम कायदे तो बना दिए जाते हैं, लेकिन स्कूलों को खुद क्या करना है और कैसे नियमों का पालन करना है ये नहीं ध्यान रहता. यहां उन स्कूलों की तो बात ही नहीं हुई है जो पिछले 1 साल में चर्चा का विषय बने हैं जहां कहीं एक बच्चे का कत्ल हो गया है तो कहीं किसी बच्ची का रेप.
पिछले तीन दिनों की ये खबरें किसी भी माता-पिता को परेशान करने के लिए काफी हैं. ज़रा खुद ही सोचिए कि इसके बाद आप अपने बच्चे को स्कूल भेजते हुए कितना सुरक्षित महसूस कर पाएंगे? आए दिन बच्चों के साथ स्कूलों में कोई न कोई घटना हो जाती है और ऐसे में पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया जैसे अभियान बेमानी लगते हैं.
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