शरारती छात्र और चैंपियन स्पोर्ट्समैन, CJI बोबडे की ये बातें उन्हें बाकी जजों से अलग करती हैं
मुमकिन है कि जस्टिस शरद अरविंद बोबडे (Justice Sharad Arvind Bobde) पहले ऐसे सीजेआई हैं, जिन्होंने मीडिया को अपने इतना नजदीक जाने दिया है. इतना नजदीक कि मीडिया उनके निजी जीवन में भी ताक-झांक करने पहुंच जाए.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Retirement of Ranjan Gogoi) 17 नवंबर को रिटायर हो गए हैं और आज उनकी जगह लेते हुए जस्टिस शरद अरविंद बोबडे (Justice Sharad Arvind Bobde) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी सीजेआई (CJI) की शपथ ले ली है. नागपुर में पैदा हुए जस्टिस बोबडे 18 महीनों का कार्यकाल पूरा करेंगे और 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे. जस्टिस बोबडे सीजेआई बनने से पहले से ही चर्चा में हैं. वैसे बोबडे की चर्चा सिर्फ उनके कोर्ट से जुड़े कामों की वजह से ही नहीं हो रही, बल्कि कोर्ट के बाहर के कामों के चलते भी हो रही है. मुमकिन है कि जस्टिस बोबडे पहले ऐसे सीजेआई हैं, जिन्होंने मीडिया को अपने इतना नजदीक जाने दिया है. इतना नजदीक कि मीडिया उनके निजी जीवन में भी ताक-झांक करने पहुंच जाए और यकीन मानिए कि बोबडे को इस बात से कोई ऐतराज भी नहीं है. ये बात बोबडे को अन्य सभी जजों से अलग बनाती है. तो चलिए पहले जानते हैं कि बोबडे के निजी जीवन में क्या खास है
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी सीजेआई की शपथ ले ली है.
शरारती, लेकिन चैंपियन थे बोबडे
बोबडे का जन्म वकीलों के एक परिवार में 1956 में हुआ था. द प्रिंट के अनुसार नागपुर के ही उनके कॉलेज के दोस्त बताते हैं कि वह एक शरारती छात्र थे. हालांकि, वह ये भी बता रहे हैं कि वह एक चैंपियन स्पोर्ट्समैन थे. उनके एक कॉलेज के दोस्त प्रदीप मालेवार, जो नागपुर में ही एक नेचुरोथेरेपी डॉक्टर हैं, वह बताते हैं कि बोबडे एक औसत स्टूडेंट थे. वह बताते हैं कि बोबडे काफी मदद करने वाले व्यक्ति हैं. उनके साथ हमेशा दोस्तों का एक बड़ा समूह होता था जो उन्हें फॉलो करता था. उनके दोस्त ये भी बताते हैं कि बोबडे कभी गुस्सा नहीं होते हैं. इसके अलावा बोबडे को कुत्तों से बहुत प्यार है. इसके अलावा, वह अपने पोते के साथ भी खूब समय बिताते हैं और मस्ती करते हैं.
कई अहम मामलों में रहा है योगदान
बोबडे ने अयोध्या केस में भी अहम योगदान दिया था और मध्यस्थता की वकालत की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अंदर भी एक अहम भूमिका निभाई. वह उस कमेटी के प्रमुख भी थे, जो रंजन गोगोई के खिलाफ यौन हिंसा के आरोपों की जांच कर रही थी. साथ ही उन्होंने पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले 4 जजों के बीच बातचीत में भी अहम भूमिका निभाई थी.
अयोध्या केस: 9 नवंबर को जिन 5 जजों की बेंच ने राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ किया है, उनमें जस्टिस बोबडे भी थे. कोर्ट ने माना कि 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराना गैर-कानूनी था, लेकिन साथ ही विवादित भूमि को राम मंदिर निर्माण के लिए देने को कहा. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये भी आदेश दिया कि मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही कहीं दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए.
मूल मानवाधिकार: जस्टिस बोबडे उन 3 जजों की बेंच का भी हिस्सा थे, जिन्होंने ये आदेश दिया था कि किसी भी भारतीय नागरिक को आधार कार्ड ना होने की वजह से मूलभूत सेवाओं और सरकारी सब्सिडी से वंचित नहीं किया जा सकता है.
गर्भपात पर रोक: 2017 में जस्टिस बोबडे 2 जजों की उस बेंच का हिस्सा था, जिसने एक महिला की गर्भपात कराने की इजाजत देने की याचिका पर रोक लगाई थी. महिला चाहती थी कि उसे 26 सप्ताह के बच्चे का गर्भपात कराने की इजाजत मिले, क्योंकि उसका बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़िता था. हालांकि, मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि प्रेग्नेंसी से मां को कोई खतरा नहीं है.
वायु प्रदूषण: जस्टिस बोबडे तीन जजों की उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने 2016 में दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, ताकि दिल्ली के भयानक प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सके.
अमित शाह को राहत: जस्टिस बोबडे उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने 2016 में अमित शाह को राहत दी थी. बता दें अमित शाह पर 2005 के शोहराबुद्दीन शेख के फर्जी एनकाउंटर में हाथ होने का आरोप था.
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