हाथी, शेरों के शिकार का बदला मगरमच्छों ने ले लिया!
जो अपनी मस्ती के लिए जानवरों का शिकार करता था, खुद मगरमच्छ का शिकार बन गया. अफसोस बस इस बात का है कि उसके शिकारी होने पर तालियां और शिकार करने वाले जानवरों को मौत मिली.
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जिसने कभी हाथियों और शेरों का शिकार किया था वो खुद मगरमच्छों का शिकार बन गया. ऐसा माना जा रहा है कि स्कॉट वेन ज़िल नाम के दक्षिण अफ्रीकी शिकारी को जिम्बाब्वे में शिकार करने के दौरान दो मगरमच्छ खा चुके हैं. इस बात के कयास दो मगरमच्छों के अंदर मानव अवशेष पाए जाने के बाद लगाए जा रहे हैं.
दरअसल ज़िम्बाब्वे में सफारी पर जाने के बाद स्कॉट वेन ज़िल पिछले हफ्ते गायब हो गए थे. वहां वो अपने कुत्तों और ज़िम्बाब्वे के एक ट्रैकर के साथ गए थे. स्कॉट वेन ज़िल एक प्रोफेशनल शिकारी थे और विदेशी क्लाइंटों के साथ वो ट्रीप पर जाते थे.
माना जा रहा है कि स्कॉट वेन ज़िल को लिपोंपो नदी के किनारे मगरमच्छों ने अपना शिकार बना लिया है. अनुमान के मुताबिक ज़िल और उनके ट्रेकर अपना ट्रक छोड़कर पैदल ही जंगल में अलग-अलग रास्तों पर निकल पड़े थे. ज़िल के कुत्ते बाद में बिना मालिक के ट्रक में लौट आए, जहां ज़िल का सारा सामान पड़ा था.
दुनिया का सबसे बड़ा शिकारी खुद शिकार बन गया.
बचाव दल ने ज़िल को खोजने के लिए हेलीकाप्टर, ट्रैकर और गोताखोरों का इस्तेमाल किया जिन्हें लिंपोपो नदी के किनारे ज़िल का ट्रैकिंग का सामान मिला जिसके पास में ही उनका बैकपैक भी मौजूद था. सर्च टीम के एक सदस्य साक्की लौवेर का दावा है कि ज़िल को नील मगरमच्छों ने अपना शिकार बना लिया है. इस बात का संदेह खुद पुलिस भी जता रही है. मगरमच्छों से मिले अवशेष ज़िल के हैं या नहीं इसकी पुष्टि के लिए फॉरेन्सिक टीम के द्वारा जांच की जा रही है.
जंगल में जाइल ने किसी को नहीं छोड़ा था, और अब जंगल ने ही इंसाफ कर दिया.
ज़िल की वेबसाइट एसएस प्रो सफारी में लिखा है कि ज़िल ने पूरे दक्षिणी अफ्रीकी प्रांत में उन्होंने कई कई सफारी आयोजित किए हैं. यही नहीं उन्होंने जंगली भैंसों, राइनो, शेर, तेंदुए और हिरणों का शिकार भी किया है. दुखद ये है कि ज़िल जिंदा हैं ये मर गए इसका पता लगाने के लिए दो मगरमच्छों की बलि चढ़ा दी गई.
मैं ये नहीं कह रही कि ज़िल का पता लगाना जरुरी नहीं है. लेकिन किसी इंसान की जान के आगे हम अपने इकोसिस्टम के बाकी कंपोनेन्ट को कैसे इग्नोर कर रहे हैं, ये घटना बस उसकी बानगी भर है. ज़िल मर गए या जिंदा हैं, उनके परिवार वालों को ये जानने का पूरा हक है. लेकिन उसके लिए किसी निरीह की जान लेने का हक किसी को नहीं है. सरकार को भी नहीं और खुद ज़िल को भी नहीं थी.
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