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Updated: 23 जनवरी, 2017 02:05 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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स्वीडन का एक ऐसा मामला सामने आया है जो किसी को भी शर्मिंदगी से भर देगा. जिस देश में रेप को लेकर कई कड़े कानून हैं वहां एक तीन युवकों ने मिलकर एक गैंगरेप का फेसबुक पर लाइव ब्रॉडकास्ट किया. पुलिस को इस मामले की खबर लाइव ब्रॉडकास्ट देखने वाली 21 साल की एक महिला ने दी. महिला के अनुसार लड़के कह रहे थे "...अब हम उसके कपड़े फाड़ेंगे और अपना काम करेंगे". ब्रॉडकास्ट खत्म होते ही लड़कों ने कहा "अब तुम्हारा रेप हो चुका है" और फिर हंसने लगे. थोड़ी देर में एक और ब्रॉडकास्ट लाइव हुआ जिसमें लड़की को फोर्स किया जा रहा था कि वो कहे कि उसके साथ कुछ नहीं हुआ.

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दूसरा ब्रॉडकास्ट खत्म हो पाता उससे पहले ही पुलिस वहां पहुंच गई और लड़कों को गिरफ्तार कर लिया. 19 से 25 साल के बीच के ये लड़के आखिर क्या सोच रहे होंगे? क्या वो फेमस होना चाहते थे? क्या उन्होंने ऐसा सिर्फ मस्ती के लिए किया? क्या ये सोचकर उनके मन में जरा भी डर पैदा नहीं हुआ कि ये काम कितना घिनौना है?

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 सरकार का कहना है कि मुस्लिम, इमिग्रेंट्स और रिफ्यूजी बढ़ते रेप केस के जिम्मेदार हैं

एक प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि पहले उसे लगा कि ये मजाक चल रहा है. कोई भद्दा मजाक.. लेकिन थोड़ी देर में मामले की गंभीरता का अंदाजा हुआ. पुलिस को खबर करने वाली थी 21 साल की लड़की जोसफीन लंग्रीन. उस ग्रुप में 60 हजार लोग जुड़े थे जिसमें लाइव ब्रॉडकास्ट किया गया. प्रत्यक्षदर्शियों की तरह शायद आप और मैं भी यही सोचते की ये कोई मजाक चल रहा है. आखिर कोई किसी लड़की के साथ ऐसा कैसे कर सकता है? पर यहां सोचने वाली बात ये है कि लोगों की मानसिकता को क्या हो गया है.

स्वीडन जैसे देश में जहां रेप को लेकर कड़े नियम हैं अगर वहां का ये मामला है तो क्या वजह है इसकी?

अगर स्वीडन में होता है कोई रेप तो ये हैं नियम...

- 13वीं सदी से लेकर 1779 तक स्वीडन में रेप की सजा सिर्फ मौत होती थी. इसे एक ऐसा जुर्म माना जाता था जिसकी कोई माफी नहीं.

- स्वीडन वो पहला देश है जहां मैरिटल रेप को एक जुर्म का दर्जा दिया गया. ये बात है सन 1965 की.

- होमोसेक्शुअल एक्ट्स और जेंडर इक्वैलिटी के नियम स्वीडन में 1984 में ही लागू किए गए थे.

- 2005 में रेप की परिभाषा में बदलाव कर किसी की बेहोशी की हालत में कोई भी सेक्शुअल हरकत करना भी रेप के तहत माना गया.

- 2014 में रेप की परिभाषा में किसी भी तरह का सेक्शुअल इंटरकोर्स जोड़ा गया जो पीड़ित की सहमती के बिना किया गया हो, फिर चाहें वो कोई भी करे.

- सजा के तौर पर 2 साल से 6 साल तक की कैद सिर्फ असॉल्ट के लिए भी हो सकती है. हालांकि, अलग-अलग तरह के जुर्म के लिए सजा का प्रावधान भी अलग है.

- स्वीडन में किसी को गलत तरह से छूने पर भी आप सजा के हकदार हो जाएंगे. अगर पीड़ित बेहोश है या बीमार है तो 4 तक की कैद हो सकती है.

- अगर ऐसी ही परिस्थिती में रेप किया गया तो 10 साल तक की सजा हो सकती है.

बहरहाल, ऐसे ही कई नियम हैं स्वीडन के रेप कानून में. कम से कम ये भारत से तो ज्यादा कठोर नियम हैं जहां गलत तरह से छूना लोग अपना जन्‍मजात हक समझते हैं और रेपिस्ट को सजा तब जाकर मिलती है जब जुर्म हुए कई साल हो जाते हैं. फास्ट ट्रैक अदालत भी बेमानी सी लगती है. अब सवाल ये है कि नियम तो कठोर हैं, लेकिन फिर भी स्वीडन में रेप की घटनाओं में कमी नहीं आई है. यूरोप के जिन देशों में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होते हैं उनमें से एक स्वीडन भी है.

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2016 में ही स्वीडन के रेप लॉ को और ज्यादा कठोर करने की बात पर चर्चा हुई. पिछली 5 अक्टूबर में सेक्शुअल कंसेंट को कानूनी तौर पर जोड़ने की बात कही गई. इसका मतलब कोई भी बिना सहमती के किसी भी तरह की सेक्शुअल हरकत अपने पार्टनर के साथ भी नहीं कर सकता. इसके खिलाफ भी रिपोर्ट की जा सकती है.

नियम कानून जितने कड़े हैं उतनी ही बुरी तरह से उनकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. अब खुद ही सोच लीजिए इतने सक्त कानून होने के बाद भी स्वीडन में रेप के मामले कम नहीं हो रहे. 2009 में तो स्वीडन को उस लिस्ट में शामिल किया गया था जिसमें रेप के मामलों में सबसे कम लोगों को सजा देने वाले देश थे. सरकार का दावा है कि इमिग्रेंट, रिफ्यूजी और मुस्लिम रेप कर रहे हैं, लेकिन अगर ऐसा है और सरकार को इसके बारे में पता है तो क्यों वो कुछ नहीं करती?

कुल मिलाकर कोई भी नियम बना लिया जाए या बदल दिया जाए, लेकिन अगर लोगों की मानसिकता ही नहीं बदली है तो ऐसे नियमों का कोई फायदा नहीं. इससे अच्छे तो वो देश हैं जहां रेप की सजा सिर्फ मौत ही होती है. ऐसे में कम से कम डर के ही कारण सही लोग रेप जैसे अपराध के बारे में सोचने से पहले घबराते हैं. हालांकि, स्वीडन में जो इंतजाम हैं अगर उनपर ध्यान से अमल ही कर लिया जाए तो रेप जैसे मामले कम हो सकते हैं.

लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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