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Updated: 17 अक्टूबर, 2020 09:38 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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'अपराध करना पाप है, पुलिस हमारी बाप है.' मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh ) के जबलपुर (Jabalpur) की सड़कों पर ये नारा दिन दहाड़े गूंज रहा था. नारा लगाने वाले थे अपराधी और उनसे नारा लगवाने वाले थे खुद पुलिसवाले. यह नारा पहली बार नहीं लगा है लेकिन इसमें कुछ तो नया है जिसकी बातें हो रही हैं. मामला ताजा है, जबलपुर की सड़क पर मामूली सा सड़क हादसा हो गया. जिसमें एक महिला को आटो चालक की गलती नज़र आई, उस महिला ने स्थानीय गुंडो को फोन घुमा डाला. जिसके बाद स्थानीय गुंडों ने घटनास्थल पर आकर आटो चालक को बेरहमी के साथ पीट डाला. पीटा भी ऐसे था कि देखने वालों ने कहा ये जल्लाद है, पत्थर दिल है, निडर है, गुंडा है, ये गुंडे तब तक उस आटो चालक को पीटते रहे जब तक वह बेहोश नहीं हो गया, आटो चालक के बेहोश होने के बावजूद उसपे रहम न किया गया और फिर गुंडे आटो चालक को बेहोशी की हालत में ही लेकर चल दिए.

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आगे क्या हुआ इसकी जानकारी पीड़ित शख्श ने दी कि उसे और मारा गया. लेकिन पीड़ित शख्स के साथ क्या हुआ ये जानना आपके लिए ज़रूरी है. पीड़ित शख्स इंसाफ की गुहार लगाने पुलिस थाने पहुंचा. पुलिस ने पहले तो आनाकानी की और फिर खिसियाते हुए पीड़ित को ही हवालात में बंद कर दिया. ये मामला यहीं खत्म हो जाता और शायद ऐसी ज़्यादती कितनी जगह होती भी होगी जिसमें पुलिस की लापरवाही उसकी तानाशाही पीड़ित को ही सज़ा दे डालती है. शायद इसीलिए पुलिस सिस्टम से लोगों का विश्वास उठता चला जा रहा है.

जबलपुर की पुलिस ने पूरे प्रकरण को बेहद मामूली समझा था. ढ़िलाई, लापरवाही, जो हो कर सकती थी उस पुलिस ने किया, खुलेआम कोताही बरती. लेकिन भला हो सोशल मीडिया का, जिसने एक बार फिर अपने आपको साबित किया है. दरअसल मारपीट की पूरी घटना कैमरे में कैद थी, और वह वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया. पुलिस ने जब मारपीट का वीडियो देखा तो उसकी नींद टूट गई, आनन-फानन में पुलिस ने अपराधियों की धरपकड़ शुरू कर दी और इसमें कामयाब भी रही.

पुलिस ने चार आरोपियों में से दो आरोपी को धर दबोचा था और फिर इनकी इनको किए की सज़ा के तौर पर परेड करा डाली. पुलिस ने आरोपियों की हेकड़ी निकालने की पूरा जी जान लगा दिया और कई घंटों तक अपराध करना पाप है पुलिस हमारी बाप है जैसा नारा गूंजता रहा. पुलिस को दो आरोपियों की और तलाश थी जिसके लिए पुलिस ने 10 हज़ार का इनाम भी रख डाला. पुलिस की मुस्तैदी रंग लाई और मुख्य आरोपी भी धरा गया. उसके साथ भी वैसा ही सलूक किया गया.

कुछ मीडिया रिपोर्टस बताती हैं कि मुख्य अपराधी एक शातिर किस्म का अपराधी पहले से है, उसके खिलाफ कत्ल से लेकर दर्जनों किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं. वह ज़मानत पर बाहर है लेकिन अपने हरकतों से कतई भी बाहर नहीं आया, वह खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहा है. पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी नेपाल भागने की फिराक में था और इसी की प्लानिंग गाज़ियाबाद में कर रहा था, लेकिन गुप्त सुचनाओं के आधार पर उसे धर दबोचा गया.

पुलिस ने इंसाफ दिलाने के नाम पर सड़कों पर घुमाने का इरादा किया जिसकी तारीफें हो रही है. बेशक अपराधियों, बलात्कारियों के साथ ऐसा ही सलूक होना चाहिए लेकिन इसमें पुलिस की गलतियां छिप नहीं जाएंगी. पीड़ित शख्स को हवालात में बंद कर देने वाली पुलिस आखिर किस जुर्म में किसी को हवालात में रखती है. क्या अपने खिलाफ हुए ज़ुल्म की शिकायत करना ही एक अपराध है.

क्या महज सोशल मीडिया पर नए तरीके से अपराधियों के अंदर शर्म पैदा करने वाली पुलिस अपने गुनाहों की माफी मांगेगी. ऐसे कई सवाल हैं जो पुलिस पर खड़े होते हैं. पुलिस पर भरोसा कम होने की एक वजह ये भी है जहां पुलिस तानाशाही रवैया अपनाती है. पुलिस विभाग में विश्वास के प्रति काफी सुधार होने की ज़रूरत है वरना हर एक अपराध का इंसाफ पाने के लिए सोशल मीडिया पर वायरल होना ज़रूरी हो जाएगा.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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