मटुकनाथ और जूली का ब्रेकअप हो गया है, अब आप क्या कहेंगे?
जूली के साथ प्रेम-प्रसंग की वजह से 15 जुलाई, 2006 को पटना यूनिवर्सिटी ने मटुकनाथ को बीएन कॉलेज के हिंदी डिपार्टमेंट के रीडर पद से सस्पेंड कर दिया था. बाद में 20 जुलाई, 2009 को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. 2014 में जूली उन्हें छोड़कर चली गईं.
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प्रोफेसर मटुकनाथ को कौन नहीं जानता? पटना विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाने वाले प्रोफेसर मटुकनाथ 2006 में रातों-रात चर्चा का विषय बन गए थे. ये वही लव गुरू हैं जिन्हें अपनी छात्रा से प्यार हो गया था और जूली-मटुकनाथ की जोड़ी 21वीं सदी की सबसे पहली बोल्ड प्रेम कहानी के रूप में सामने आई थी.
मटुकनाथ ने तो खुलेआम जूली के लिए अपने प्यार का इजहार किया था. उनकी पत्नी ने टीवी पत्रकारों की मदद से उस घर में छापा मारा था जहां वह अपनी पूर्व शिष्या के साथ लिव इन में रह रहे थे. इसके बाद उन्होंने किसी की नहीं सुनी और बस जूली के साथ अपना प्यार जगजाहिर कर दिया. फिर मटुकनाथ का मुंह काला करने से लेकर जूली के बाल पकड़ कर उसे मारने तक सब कुछ उनकी पत्नी ने किया.
इस तरह मुंह काला किया गया था मटुकनाथ का
यहां तक कि 53 साल की उम्र में उनकी पत्नी आभा ने कानून की पढ़ाई भी की जिससे वो मटुकनाथ से कानूनी रूप में मदद ले पाएं. अब आभा 61 साल की हैं और 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने लव गुरू के नाम से चर्चित प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी को आदेश दिया कि उन्हें अपने वेतन का एक तिहाई हिस्सा अपनी पत्नी आभा चौधरी को गुज़ारा भत्ता के रूप में देना होगा.
मटुकनाथ की पत्नी की कानूनी लड़ाई तो पूरी हो गई और साथ ही साथ ये बात भी साबित हो गई कि आखिर भारतीय महिला किसी से कम नहीं वो चाहे तो कुछ भी कर सकती है. पर मटुकनाथ और जूली की प्रेम कहानी पर विराम लग गया.
मटुकनाथ और जूली 2007 से लेकर 2014 तक पूरे 7 साल लिवइन में रहे. जूली जो खुले विचारों वाली थीं उन्हें देखकर मटुकनाथ को पहली बार प्रेम का अहसास हुआ था. मटुकनाथ का कहना है कि जूली जब उनकी कक्षा में देर से आईं थीं तो उन्हें बहुत गुस्सा आया था, लेकिन फिर भी जूली उन्हें अच्छी लगी थीं क्योंकि जूली बाकी छात्रों की तरह नहीं थीं. जूली बुद्धिमान थीं.
मटुकनाथ जी को जूली धीरे-धीरे भाने लगीं, लेकिन वो कुछ नहीं कह पाए, एक दिन जूली ने ही उन्हें फोन कर ये कह दिया कि वो मटुकनाथ को पसंद करती हैं और उनसे शादी करना चाहती हैं. पहले तो मटुक जी ने इसका विरोध किया और फिर वो मान गए.
जूली के साथ प्रेम-प्रसंग की वजह से 15 जुलाई, 2006 को पटना यूनिवर्सिटी ने मटुकनाथ को बीएन कॉलेज के हिंदी डिपार्टमेंट के रीडर पद से सस्पेंड कर दिया था. बाद में 20 जुलाई, 2009 को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.
सेवा से बर्खास्त होने के बाद भी उनके मन में जूली के लिए प्यार कम नहीं हुआ. पटना विश्वविद्यालय ने उन्हें 13 फरवरी 2013 को एरियर के तौर पर 16 लाख रुपए भी दिए थे. असल में नौकरी से बर्खास्तगी के पांच साल में मटुकनाथ को 20 लाख मिलने थे जिसमें से 16 मिले और 4 लाख टैक्स के तौर पर काट लिए गए. जो पैसे मिले उससे मटुकनाथ ने अगले ही दिन कार खरीद कर जूली को गिफ्ट कर दी.
जूली और मटुकनाथ का प्यार पर्वान तो चढ़ा, लेकिन ज्यादा चला नहीं. मटुकनाथ के बुढ़ापे में अब जूली उनसे काफी दूर हैं...
जूली मटुकनाथ को छोड़कर अब कहीं दूर चली गई हैं. मटुकनाथ की जूली अब आध्यात्म की ओर चली गई हैं और उन्हें ये पता भी नहीं कि वो कहां हैं. मटुकनाथ का कहना है कि वो जूली से अलग नहीं हुए बस उन्होंने अलग-अलग रहने का फैसला किया है. प्रेम अभी भी चालू है और उनके मन में प्रेम की प्यास हमेशा बनी रहेगी.
मटुकनाथ की प्रेम कहानी में एक नया अध्याय ही कहेंगे इसे कि उनकी पत्नी को इतने सालों बाद न्याय मिला है. इस मामले में लोगों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं. कुछ लोग ये कहेंगे कि, 'देखा हमने तो कहा था, ऐसा प्यार कहीं का नहीं छोड़ता, ये अश्लीलता है..' और कुछ इस मामले में शायद ये कहेंगे कि, 'तो क्या हुआ अलग हो गए, कम से कम अपनी जिंदगी अपने हिसाब से तो जी, कम से कम अपने प्यार को पाने की कोशिश तो की.'
सच्चाई तो ये है कि मटुकनाथ और उनकी जूली के मामले में जहां पूरी दुनिया का विरोध हुआ वहीं कुछ लोग उनके साथ भी खड़े रहे. ये मामला चाहे जितना भी पुराना हो जाए, लेकिन मटुकनाथ का प्रेम पुराना नहीं होगा.
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