संत मदर टेरेसा: इस महिला की महानता पर दाग लगाते गंभीर आरोप
मदर टेरेसा मिशनरी पर ये आरोप लग चुका है कि उसकी स्वास्थ्य सेवाएं सही नहीं थीं, वहां लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता था. उनपर जातिवाद से लेकर उपनिवेशवाद तक हर तरह के इल्जाम लगे.
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मदर टेरेसा. एक महिला, एक नन, एक संत, एक फरिश्ता या फिर धर्म परिवर्तन करवाने वाली एक विवादास्पद महिला? उन्हें कैसे याद करेंगे आप? ऐसा इसलिए क्योंकि उस इंसान को जिसे हम मदर कहते हैं वो हर किसी के लिए मां का स्वरूप नहीं रही हैं. जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि मदर टेरेसा के विवादास्पद पहलुओं को लेकर किताबें लिखी जा चुकी हैं. कुछ लोगों के इकबालिया बयान तो मदर टेरेसा की महानता पर दाग लगाने वाले हैं.
26 अगस्त 2018 यानी मदर टेरेसा के 108वें जन्मदिन तक भी लोग उन्हें लेकर विवादों को जन्म देते आए हैं. एक कैथोलिक नन जिसने कोलकता आकर दुनिया के सबसे बड़े मिशनरी ग्रुप में से एक को बनाया. 3000 नन और 400 ब्रदर्स वाले इस मिशनरी ग्रुप ने 87 देशों में अपनी सेवाएं दीं, लेकिन सरकारों ने इसे अलग ढंग से लिया और ये कहा गया कि मदर टेरेसा सेवाएं देती हैं ये सिर्फ एक छलावा मात्र ही है. उनका असली काम तो धर्म परिवर्तन का है.
मदर टेरेसा को संत घोषित किया जा चुका है
इतिहासकार कहते हैं कि मदर टेरेसा ने गरीब लोगों की मदद के लिए सब कुछ छोड़ दिया. लेकिन इस रोमन कैथोलिक नन, मिशनरी और मदर टेरेसा को हमेशा से ही लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है. हाल ही में मदर टेरेसा की मिशनरी का एक स्कैंडल भी सामने आया है जहां नन और फादर मिलकर बच्चा बेच रहे थे.
मदर टेरेसा मिशनरी पर ये आरोप लग चुका है कि उसकी स्वास्थ्य सेवाएं सही नहीं थीं, वहां लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता था. उनपर जातिवाद से लेकर उपनिवेशवाद तक हर तरह के इल्जाम लगे. मदर टेरेसा और मीडिया को भी जोड़कर देखा जाता है. कहा जाता है कि चर्च ने मदर टेरेसा की छवि को लेकर कैथोलिज्म को प्रचारित करने की कोशिश की थी.
कब और कहां से शुरू हुई कहानियां?
भारतीय ऑथर और फिजीशियन अनूप चटर्जी ने मदर टेरेसा होम्स के साथ काम किया और बाद में वहां के फाइनेंशियल और अन्य कार्यक्रमों को देखा और पड़ताल की. 1994 में दो ब्रिटिश जर्नलिस्ट क्रिस्टोफर हिचेन्स (Christopher Hitchens) और तारिक अली ने ब्रिटिश चैनल 4 के लिए एक डॉक्युमेंट्री की जिसका नाम Hell's Angel (नर्क का दूत) था. ये डॉक्युमेंट्री अनूप चटर्जी के काम पर ही आधारित थी. अगले ही साल क्रिस्टोफर ने एक किताब लिखी 'The Missionary Position: Mother Teresa in Theory and Practice' . ये वो किताब थी जिसने मदर टेरेसा के नाम पर होने वाली धांधलियों को उसी तरह से दिखाया था जैसा कि डॉक्युमेंट्री में बताया गया था.
अनूप चटर्जी ने भी 2003 में एक किताब लिखी थी जो मदर टेरेसा और उनके काम को लेकर काफी कुछ कहती थी. अनूप चटर्जी और क्रिस्टोफर दोनों को ही वैटिकन बुलाया गया और उनको मदर टेरेसा के काम को लेकर सबूत पेश करने को कहा गया.
विवादों ने भी कभी मदर टेरेसा का पीछा नहीं छोड़ा
वैसे तो इसके पहले भी मदर टेरेसा को लेकर कई आरोप लगते रहे हैं, पर ये कुछ अहम थे और लिखित तौर पर मदर टेरेसा और उनकी मिशनरी पर आरोपों को उजागर किया गया था.
सबसे बड़ा विवाद..
क्रिस्टोफर के मुताबिक मदर टेरेसा ने अपनी मिशनरी के मेंबर्स को मरते हुए लोगों का बैप्टिज्म करने को कहा था. इसे किसी मरीज के धर्म को देखकर नहीं किया जाता था. सूजन शील्ड्स जो पहले इन मिशनरी के साथ काम कर चुकी हैं बताती हैं कि, 'नन मरते हुए व्यक्ति से पूछती थी कि क्या उन्हें स्वर्ग की टिकट चाहिए? और अगर उत्तर हां होता था तो उस व्यक्ति का बैप्टिज्म कर दिया जाता था.' सिस्टर ऐसे दिखाती थीं जैसे उस इंसान का सिर ठंडा किया जा रहा है, जब्कि असल में उसे बैप्टाइज किया जाता था.
आरएसएस के मोहन भागवत ने भी कहा है कि मदर टेरेसा सिर्फ भारत में धर्म परिवर्तन करने आई थीं. और मदर टेरेसा की मिशनरी पर सबसे ज्यादा आरोप धर्म परिवर्तन के ही लगे हैं.
इसके अलावा, मदर टेरेसा की मिशनरी पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं न प्रदान करने के भी आरोप लगे हैं.
विवादित दोस्ती..
जो डॉक्युमेंट्री बनाई गई थी उसमें मदर टेरेसा के कई बड़ी हस्तियों से दोस्ती की बात भी कही गई थी. इसे मदर टेरेसा का एंडोर्समेंट कहा जाता है. अल्बानिया में मदर टेरेसा जब गई थीं तब उन्हें रिसीव करने मिनिस्ट्री के कई लोग आए थे.
ब्रिटिश पब्लिशन रॉबर्ट मैक्सवेल से पैसे लिए गए थे. 450 मिलियन ब्रिटिश पाउंड की इस डोनेशेन के बारे में बाद में पता चला जब विवाद गहराया. ये पैसे एम्प्लॉय पेंशन फंड से चुराए थे. चार्ल्स कीटिंग केस में भी मदर टेरेसा की बातों को विवाद कहा गया था. कीटिंग पर फ्रॉड का केस चल रहा था और मदर टेरेसा को कीटिंग ने कई मिलियन डॉलर डोनेशन के तौर पर दिए थे.
मदर टेरेसा और इंदिरा विवाद...
भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 1975 में इमर्जेंसी घोषित कर दी थी तब मदर टेरेसा ने उस दौर में कहा था कि, 'लोग खुश हैं और नौकरियां मिल रही हैं, कोई हड़ताल भी नहीं है.' इसे न सिर्फ यहां बल्कि विदेशी मीडिया ने भी आड़े हाथों लिया था और इसके पीछे इंदिरा गांधी और मदर टेरेसा की दोस्ती बताई गई थी.
इंदिरा गांधी से कई बार मिली थीं मदर टेरेसा
इसके अलावा, इटली के विवादित लिसियो गिली के नोबल नॉमिनेशन को भी मदर टेरेसा ने सपोर्ट किया था. लिसियो पर कई केस चल रहे थे जिसमें करप्शन और हत्या के लिए उकसाने का केस भी शामिल था.
2017 में खोजी पत्रकार जियानलुजी नुजी (Gianluigi Nuzzi) ने एक किताब लिखी थी ओरिजनल सिन जिसमें वैटिकन के अकाउंटिंग डॉक्युमेंट्स का जिक्र था. ये बताया गया था कि मदर टेरेसा के नाम पर कई बिलियन डॉलर का चंदा लिया गया था. और इस चंदे से कई बार पैसे निकाले भी गए थे.
बहरहाल जो भी हो इस बात को कभी भी नकारा नहीं जा सकता है कि मदर टेरेसा ने अपने जीवन में कई लोगों की मदद की है और उस मदद ने ही उनका नाम इतने ऊंचे स्थान तक पहुंचाया है. एक संत की उपाधी दिलाई है. कम से कम मेरे लिए तो वो किसी संत से कम नहीं थीं या फरिश्ता कहना सही होगा. वो इंसान जिसने अपने से बढ़कर दूसरों को देखा.
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