गरीबों और असहायों की सेवा में अपना जीवन न्यौछावर कर देने वाली मदर टेरेसा को उनकी मौत के 19 साल बाद वेटिकन सिटी में संत की उपाधि दी जा रही है.
मदर टेरेसा के बारे में बात हो तो एक शख्स का जिक्र करना जरूरी है जिन्होंने मदर टेरेसा के जीवन के बहुत से पलों को अपने कैमरे में कैद किया. रघु राय एक बेहतरीन फोटोग्राफर हैं और इनकी तस्वीरों के माध्यम से मदर टेरेसा को जानने का अनुभव उससे भी ज्यादा शानदार.
मदर टेरेसा के बारे में रघु राय कहते हैं कि- मदर टेरेसा ने मां की नई परिभाषा दी. वो ऐसी शख़्सियत थीं जो प्यार से किसी को भी जीत सकती थीं. ये तस्वीरें ही दिखाती हैं कि कैसे खुद 'ब्लैक एंड व्हाइट' जिंदगी जीते हुए मदर टेरेसा ने कई लोगों की जिंदगी को बेरंग होने से बचाया. वो ऐसी शख्सियत थीं जिनका मानना था कि वे स्वर्ग में नहीं बल्कि अंधकार में रहना पसंद करेंगी और वहां से लोगों को प्रकाश की ओर ले जाने का काम करेंगी.
शुक्रिया..रघु राय का भी जिनके कारण मदर टेरेसा की ये अद्भुत तस्वीरें पूरी दुनिया के स्मरण में हमेशा रहेंगी.
रघु राय ने 'द स्टेट्समैन' अखबार के लिये यह तस्वीर 1970 में ली थी. इस असाइनमेंट के जरिये ही उनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई जिसके बाद उनसे जीवनभर का नाता जुड़ गया था. इसलिए राय के लिए उनकी यह तस्वीर बेहद खास है
कोलकाता की मिशनरी में प्रार्थना करते हुए मदर टेरेसा
जितना प्रेम मदर टेरेसा लोगों से करती थीं, लोग भी उन्हें उतना ही प्रेम करते
ममता की मूरत थीं मदर टेरेसा
1989 में अपनी मिशनरी में प्रार्थना करते मदर टेरेसा
कोलकाता में बुजुर्गों और असहाय लोगों के लिए मदर टेरेसा ने एक घर बनाया था जिसमें अपनी सहयोगियों के साथ लोगों की सेवा करती थीं
असम में सिसिटर्स को बाय कहती हुईं मदर टेरेसा
गोहाटी के चिल्ड्रन होम में मदर टेरेसा
प्रार्थना के दौरान
3 फरवरी 1986 को पोप जॉन पॉल 'निर्मल ह्रदय' कोलकाता आए, जहां मदर टेरेसा ने करीब 50 हजार मरीजों का इलाज किया था
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