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Updated: 29 दिसम्बर, 2017 02:26 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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2017 जाते-जाते मुंबई के भीषण अग्निकांड जैसा दर्द हमें दे गया है. 2018 आने वाला है और बहुत से लोगों ने 31 दिसंबर को पार्टी की तैयारी भी कर ली होगी. इन पार्टियों के दिन बहुत से लोग मुंबई के वैसे ही रेस्टोरेंट में जाएंगे, जहां आग लगने की वजह से 14 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है. आमतौर पर देखा जाता है कि ऐसे रेस्टोरेंट में जाने के लिए एक संकरी सीढ़ी जैसा इकलौता रास्ता ही होता है. दरअसल, इस तरह के कई रेस्टोरेंट नियमों को ताक पर रखकर बनाए जाते हैं. उन्‍हीं कानूनी मान्‍यता तो नहीं होती, लेकिन वे इसकी परवाह भी नहीं करते. क्‍योंकि उन्‍हें अच्‍छी तरह पता होता है कि ऐसे रेस्‍टोरेंट, होटल पर निगरानी रखने वाले किस तरह अपनी नजरें फेरते हैं.

लिहाजा, मुंबई के कमला हिल्स कंपाउंड में हुआ हादसा पूरी तरह एक आपराधिक लापरवाही का नतीजा है. सुरक्षा के पूरा उपाय न होने की वजह से एक चिंगारी ने विकराल आग का रूप ले लिया. आग से निपटने की कोई व्यवस्था नहीं थी. और 14 लोग मारे गए और करीब 55 घायल हुए. मरने वाले 14 लोगों में तो 12 महिलाएं हैं. जो 28 साल की अपनी एक दोस्‍त की बर्थडे पार्टी में शामिल होने आई थीं. मरने वालों के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर राजेश धेरे ने कहा है कि मरने वालों के शरीर पर आग से जलने के मामूली निशान थे. उनकी मौत दम घुटने से हुई. अगर वह एक कमरे में फंसे न होते तो शायद उनकी जान बच सकती थी. सवाल ये है कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? रेस्टोरेंट प्रशासन, सरकार या फिर कोई और...

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किन वजहों से चली गईं 14 जानें

मुंबई में लगी इस आग ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है. भले ही इसके लिए रेस्टोरेंट के मालिक और मैनेजर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर दिया गया हो, लेकिन इसके लिए सरकार भी बराबर की जिम्मेदार है. 14 लोगों की मौत होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जिनकी वजह से ये भीषण हादसा हुआ.

1- आग बुझाने के यंत्र नहीं- किसी भी कंपनी, रेस्टोरेंट, फैक्ट्री या फिर अन्य किसी इस्टेबलिशमेंट में आग जैसी घटना से निपटने के लिए जरूरी यंत्र रखने जरूरी होते हैं. लेकिन जिस रेस्टोरेंट में आग लगी, उसमें आग बुझाने के यंत्र ही नहीं थे. आग बुझाने का यंत्र न रखना नियम के खिलाफ है.

मुंबई हादसा, आग, मुंबई, कमला मिल्स हादसाजिस रेस्टोरेंट में आग लगी, उसमें आग बुझाने के यंत्र ही नहीं थे.

2- फायर एग्जिट पर रखा था सामान- हर कंपनी में आग लगने जैसी स्थिति में बाहर निकलने के लिए आपातकालीन व्यवस्था होती है. लेकिन इस रेस्टोरेंट के फायर एग्जिट पर सामान रखा हुआ था, जिसकी वजह से लोग आग लगने से पैदा हुई भयावह स्थिति में भाग नहीं सके.

3- रेस्तरां मैनेजमेंट तुरंत हो गया फरार- आग लगने की स्थिति में रेस्तरां प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को बाहर निकलने का सही रास्ता दिखाए. लेकिन बजाए इसके, खुद रेस्तरां प्रशासन वहां से फरार हो गया. इसी की वजह से लोग इधर-उधर भागे और बहुत से लोग फंस गए. धुएं की वजह से दम घुटने के कारण ही लोगों की मौत हुई है.

4- सरकार भी जिम्मेदार- ऐसी घटनाओं के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है सरकार. मुंबई के एक सामाजिक कार्यकर्ता मंगेश कालास्कर कहते हैं कि उन्होंने कमला मिल्स परिसर में गैर कानूनी तरीके से हुए निर्माण को लेकर बीएमसी को सूचित किया था, लेकिन बीएमसी ने जवाब दिया कि वहां कुछ गैर-कानूनी नहीं है. भले ही निर्माण गैर कानूनी हो या न हो, लेकिन इनके ऑडिट करने वाले सरकारी अधिकारी शायद अपना काम सही से नहीं कर रहे. अगर उन्होंने अपना काम ईमानदारी से किया होता तो रेस्तरां में फायर एग्जिट पर सामान नहीं रखा होता और आग बुझाने के यंत्र भी मौजूद होते.

मुंबई हादसा, आग, मुंबई, कमला मिल्स हादसाधुएं की वजह से दम घुटने के कारण ही लोगों की मौत हुई है.

तीन हादसे, जिनसे सबक लिया होता तो नहीं होता मुंबई अग्निकांड

ऐसा नहीं है कि पहली बार आग से इतना बड़ा हादसा हुआ है. पहले भी देश में कई बार आग से बहुत से लोगों की मौत हो चुकी है, जिनके लिए कहीं न कहीं सरकार भी जिम्मेदार है. देश में हुए इन हादसों ने भी दुनिया को हिलाकर रख दिया था.

13 जून 1997- दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म लगी हुई थी. जनरेटर में आग लगी, जिसने देखते ही देखते पूरे हॉल को अपनी चपेट में ले लिया. इस घटना में 59 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से भी अधिक लोग घायल हो गए थे. उपहार सिनेमा की घटना में भी अधिकतर लोग दम घुटने से मरे थे. जब आग लगी तो इसके बारे में कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई. आपातकालीन लाइट्स, फुट लाइट्स और एग्जिट लाइट्स भी नहीं थीं. हॉल को बनाते समय गैर-कानूनी तरीके से अधिक कुर्सियां लगाई गई थीं, जिसकी वजह से निकलते का रास्ता काफी संकरा हो गया. एग्जिट के सभी दरवाजे खुले नहीं थे. यहां तक कि जो दरवाजा छत की ओर जाता था वह भी बंद था. हॉल बनाते समय जिन स्थानों को नियमों के मुताबिक खाली रखना होता है, वहां पर गैर कानूनी तरीके से दुकानें चल रही थीं.

मुंबई हादसा, आग, मुंबई, कमला मिल्स हादसाउपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म लगी हुई थी. जनरेटर में आग लगी, जिसने देखते ही देखते पूरे हॉल को अपनी चपेट में ले लिया.

11 अप्रैल 2016- केरल के कोल्लम स्थित पुत्तिंगल देवी मंदिर में आतिशबाजी प्रतियोगिता के लिए पटाखे रखे थे. इस प्रतियोगिता की मंजूरी भी स्थानीय प्रशासन ने नहीं दी थी. मंदिर में जगह और लोगों की संख्या (करीब 10 हजार) को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने आने वाले खतरे को सूंघ लिया था. लेकिन अगर प्रशासन की तरफ से सिर्फ मंजूरी नहीं देना काफी न होता और वहां पर एक टीम भेजकर मामले पर नजर रखी जाती जो शायद ये हादसा नहीं होता. मंदिर में रखे पटाखों में आग लगने से 100 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई और करीब 400 लोग घायल हो गए थे. केरल के मलयाली दैनिक मलयाला मनोरमा के मुताबिक पिछले 10 सालों में आग की घटनाओं से करीब 500 लोगों की मौत हो चुकी है.

मुंबई हादसा, आग, मुंबई, कमला मिल्स हादसापिछले 10 सालों में आग की घटनाओं से करीब 500 लोगों की मौत हो चुकी है.

9 दिसंबर 2011- कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल के आईसीयू में भीषण आग लग गई थी. इसकी वजह से करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी. अस्पताल के आईसीयू में ऐसी भीषण आग लग जाना भी सरकारी दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. घटना के बाद फायर ब्रिगेड की करीब 25 गाड़ियां मौके पर पहुंची थीं और लोगों को खिड़कियों के शीशे तोड़-तोड़कर निकालना पड़ा. अस्पताल के बेसमेंट में ज्वलनशील चीजें रखी हुई थीं, जिन्होंने शॉर्ट सर्किट के चलते आग पकड़ ली. यह अस्पताल ISO 9001:2000 सर्टिफाइड था. बावजूद इसके अस्पताल में इतनी बड़ी लापरवाही के चलते लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

मुंबई हादसा, आग, मुंबई, कमला मिल्स हादसालोगों को खिड़कियों के शीशे तोड़-तोड़कर निकालना पड़ा.

आग लगने से हुई अब की अधिकतर घटनाएं यही दिखाती हैं कि कहीं न कहीं इसके लिए सरकार या यूं कहें कि सरकारी अधिकारी जिम्मेदार हैं. सरकार की ओर से ऑडिट के जो दावे किए जाते हैं, उन पर ये घटनाएं एक सवाल उठाती हैं. उपहार सिनेमा के मालिक रिहा हो चुके हैं. बाकी बड़े हादसे के मामलों में भी किसी को जवाबदेह मानकर सजा नहीं दी गई है. इसलिए तैयार रहिए. मुंबई के इस कांड में भी कोई नहीं फंसेगा. क्‍योंकि आग लगाने वाले किसी एक व्‍यक्ति की पहचान तो हुई नहीं है. और कुव्‍यवस्‍था को कभी सजा हुई है ?!

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