NCRB data आया है जो 'मुहब्बत' का नशा काफूर करने के लिए काफी है
एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि देश में होने वाली सभी हत्याओं में विवाहेतर संबंधों सहित रोमांटिक संबंध दस प्रतिशत से अधिक हैं. और हां इन आंकड़ों में ऐसा बहुत कुछ है जिसके चलते देश की जनता को गंभीर हो जाना चाहिये.
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मुहब्बत की राहें बड़ी पेचीदा हैं. इसपर गाने भी ढेरों लिखे गए शायरी भी खूब हुई. बात आगे बढ़ेगी लेकिन एक शेर सुन लिया जाए. शेर किस शायर का है इसका तो आईडिया नहीं है लेकिन शेर है वाक़ई बड़ा डीप इतना कि यदि आदमी सोचने बैठे तो गारंटी है डोप हो जाए. हां तो शेर कुछ यूं है कि
कश्ती-ए-इश्क़ में रखना क़दम संभाल के,
दरिया-ए-मुहब्बत के किनारे नहीं होते.
शेर पढ़ लिया हो तो जान लीजिए इश्क़ सिर्फ इंसान को पागल नहीं करता, दीवाना नहीं बनाता बल्कि इंसान कातिल भी बन जाता है. विचलित होने से पहले कुछ उदाहरणों पर नजर डालिए.
इश्क वाली हत्याओं के संदर्भ में एनसीआरबी के आंकड़े चौकाने वाले हैं
बात अप्रैल की है दिल्ली की भीड़भाड़ वाली सड़क पर 26 साल की एक हॉस्पिटल कर्मी नीलू मेहता की चाकू से गोदकर हत्या होती है. मामले में लोग उस वक़्त हैरत में पड़ गए जब ये पता चला कि कातिल नीलू का पति था. नीलू के पति को शक था कि नीलू उसे धोखा दे रही है.
अगस्त में, नागपुर में एक व्यक्ति ने कथित तौर पर अपनी पूर्व प्रेमिका को डेट करने के लिए अपने दोस्त का गला काट दिया.
सिंतबर 2021 की शुरुआत में, यूपी पुलिस ने नोएडा में 2018 में अपनी पत्नी और दो बच्चों की कथित तौर पर हत्या करने के आरोप में 34 वर्षीय एक पूर्व रोगविज्ञानी को गिरफ्तार किया. कत्ल का मकसद बस इतना था कि कातिल अपनी प्रेमिका के साथ रह सके.
आंकड़े जो कई मायनों में दिल दहलाते हुए नजर आते हैं
भले ही ये तमाम मामले अलग- अलग समय पर हुए हों और अलग अलग स्थानों में फैले हों मगर अपराध के इन मामलों में जो एक कॉमन थ्रेड हमें दिखता है वो प्यार यानी मुहब्बत के सिवा कुछ और नहीं है.
'इश्क़' स्वास्थ्य नहीं जान के लिए हानिकारक हो सकता है.
हालिया दौर में इश्क रोमांटिक रिश्तों में बदल गया है जिसमें एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर भी शामिल हैं. शायद आपको जानकर आश्चर्य हो कि सभी हत्याओं के दस प्रतिशत से अधिक मामलों के लिए यही विवाहेतर संबंध जिम्मेदार हैं.
हो सकता है ये बातें आपको हवा हवाई लगें तो बताना जरूरी है कि उपरोक्त आंकड़ा कोरी लफ्फाजी नहीं है. NCRB द्वारा हाल ही में जारी क्राइम इन इंडिया ईयर 2020 रिपोर्ट के अनुसार, 29,193 दर्ज हत्याओं में से 3,031के लिए प्रेम संबंध जिम्मेदार हैं या फिर ये हत्याएं प्रेम संबंधों से प्रेरित थीं.
इसका मतलब यह हो सकता है कि कोई शादी जो चली नहीं, या फिर रोमांटिक प्रतिद्वंद्विता, या संदेह हत्याओं के तमाम कारण हो सकते हैं. हालांकि, एनसीआरबी ने इन उद्देश्यों को मोटे तौर पर दो शीर्षकों के तहत निरूपित किया जिसमें से एक'प्रेम संबंध' है जबकि दूसरा 'अवैध संबंध' है.
'इश्क़' से प्रेरित हत्याओं में तेज उछाल
2010-2014 के दौरान, भारत के कुल हत्या के आंकड़ों में ऐसी हत्याओं की हिस्सेदारी सात-आठ प्रतिशत थी. लेकिन 2016-2020 के बीच यह बढ़कर दस-ग्यारह प्रतिशत हो गई. दिलचस्प बात ये है कि ये उस वक़्त में हुआ है जब हत्याओं की कुल संख्या में गिरावट दर्ज की गई है.
तो कहां कहां हुईं 'इश्क़' वाली हत्याएं
NCRB के मद्देनजर जब इतनी बातें हमने सुन ही ली हैं तो हमारे लिए भी ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि आखिर ये हत्याएं हुई कहां कहां हैं? ऐसे में बताना जरूरी है कि चाहे वो उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश हो या फिर तमिलनाडु और गुजरात इन राज्यों में तमाम लोगों ने इश्क़ के चक्कर में दुनिया छोड़ी है.
एनसीआरबी के जो ताजे आंकड़े आए हैं उनमें यूपी के संदर्भ में एक एक दिलचस्प बात की गई है. आंकड़े बताते हैं कि इश्क़ मुहब्बत वाली हत्याओं को लेकर किसी और राज्य के मुकाबले यूपी का हाल ज्यादा खराब है.'रोमांटिक हत्याओं' के तहत यूपी का मामला 15 प्रतिशत अधिक है.
क्या कभी किसी ने सोचा था इश्क सच में किसी की जान ले सकता है
बात ऐसी हत्याओं के संदर्भ में NCRB के डेटा के हवाले से हुई है तो इसी डेटा में इस बात का भी जिक्र है कि जिन राज्यों ने कम मामले दर्ज किए हैं उनमें केरल, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्य शामिल हैं.
बहरहाल अब जबकि NCRB की तरफ़ से इतनी बड़ी बातें हमारे सामने आ चुकी हैं कहना गलत नहीं है कि ये बातें उन लोगों को कहीं से भी हल्की नहीं लगेंगी जो इश्क या मुहब्बत को हल्का समझते थे. कहावत है इश्क चाहे कहीं का भी हो किसी का भी हो वो अपनी कीमत उसूल ही लेता है. पहले ये बातें मजाक रही होंगी मगर NCRB के डेटा के बाद हरगिज़ नहीं. बिल्कुल नहीं.
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