कुसंगति ही सही, पवन से गलती हुई है निर्भया मामले में फांसी लाजमी है!
Nirbhaya Gangape मामले में फांसी पर चढ़ने वाले Pawan Gupta के परिवार का कहना है कि पवन निर्दोष है और उसका मामले से कोई लेना देना नहीं है. परिजनों को समझना होगा कि यदि ऐसा है तो आज पवन और कुछ नहीं बस अपनी कुसंगति का खामियाजा भुगत रहा है.
-
Total Shares
बसि कुसंग चाहत कुसल, यह 'रहीम' जिय सोस,
महिमा घटी समुद्र की, रावन बस्यो परोस.
दोहा रहीमदास का है और उपरोक्त दोहे का अर्थ ये है कि कुसंगति में रह कर व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता. बुरी संगती में रह कर व्यक्ति कुशल-क्षेम चाहे तो वह भी संभव नहीं. मन में यही शोक बना रहता है, जैसे पड़ोस में रावण के निवास करने से समुद्र की महत्ता में कमी आ गई थी. रावण जैसा दुराचारी यदि समुद्र के पास न रहता तो समुद्र को कौन लांघ कर उसकी महिमा को कम करता. सवाल होगा कि रहीम का ये प्राचीन दोहा क्यों? जवाब है निर्भया केस (Nirbhaya Gangrape Case) और उस केस के अंतर्गत दी जा रही फांसी. निर्भया मामले में किसी भी क्षण फांसी हो सकती है. फांसी तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में होनी है इसलिए वहां भी तैयारियां जोरों पर हैं. दरिंदों का अंत समय करीब है. इसलिए देश का मीडिया भी उनके घरवालों का पक्ष समझना चाहता है. मीडिया जानना चाहता है कि जिन लोगों को 7 साल पुराने निर्भया मामले (Nirbhaya Rape Case) में फांसी हो रही हैं उसपर उनके परिवार का क्या कहना है? इन्हीं सवाल और जवाबों के बीच कुछ बातें निर्भया मामले में आरोपी पवन गुप्ता के पिता ने भी कही हैं और अपने बेटे को साजिश का हिस्सा बताते हुए बेगुनाह बताया है.
निर्भया मामले में दोषी पवन गुप्ता के परिवार का कहना है कि पवन को व्यर्थ में फंसाया गया है
निर्भया गैंगरेप केस के दोषी पवन गुप्ता (Pawan Gupta Innocent) के पिता हीरालाल गुप्ता ने पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में निर्भया के दोस्त और इस पूरे केस के इकलौते गवाह अवनींद्र पांडे के खिलाफ याचिका दायर की है. साथ ही जल्द सुनवाई की गुहार लगाई है. बताया जा रहा है कि हीरालाल गुप्ता की इस याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा. याचिका में दोषी पवन के पिता की तरफ से आरोप लगाया गया है कि निर्भया के दोस्त ने पैसे लेकर गवाही दी है जिसके चलते पवन को सजा हुई है.याचिका में गुप्ता परिवार की तरफ से यह भी दावा किया गया कि अवनींद्र ने न्यूज चैनलों से पैसे लेकर इंटरव्यू दिए हैं.
This Pawan Gupta got a lenient punishment being a minor while gang raping her and he inserted rusted iron rod in to the Vag- - & brought out her viscera & intestines out .Such a fellow is reportedly roaming somewhere in south . Can’t any one bring him the same fate as his victim? https://t.co/ENK0MfBSTX
— Durai Ashok Nath (@durai_nath) December 10, 2019
आपको बताए चलें कि पवन गुप्ता के पिता हीरालाल गुप्ता ने निर्भया के दोस्त और केस के मुख्य गवाह के खिलाफ आपराधिक केस दायर किया है. पवन गुप्ता के पिता ने कहा, 'यह केस इसलिए फाइल कर रहा हूं, क्योंकि उसकी झूठी गवाही पर ही सजा हुई है. इस मामले में पवन निर्दोष है. गौरतलब है कि 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप मामले में दिल्ली की अदालत ने पवन समेत निर्भया के अन्य दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे इन गुनहगारों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. बाद में मामला सुप्र्तेम कोर्ट आया जहां देश की सर्वोच्च अदालत ने दोषियों को किसी भी प्रकार की कोई भी राहत देने से मना कर दिया था और चारों की सजा को बरक़रार रखा था. इन सब के बाद दोषियों ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई है और माना यही जा रहा है कि वहां से भी दोषियों को खाली हाथ लौटना होगा जिसके बाद इनकी फांसी को कोई नहीं रोक सकता.
बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मद्देनजर इन चार दरिंदों की फांसी कब होगी? जवाब जल्द मिल जाएगा लेकिन जो बात अचरज में डालने वाली है वो है इन दोषियों के घर वालों का रवैया. बात चूंकि पवन गुप्ता के कांटेक्स्ट में हुई है तो बताना जरूरी है कि बार बार उसके घर वालों की तरफ से यही तर्क आ रहे हैं कि निर्भया के दोस्त की झूठी गवाही के चलते उसे फंसाया है और पवन पूरी तरह से निर्दोष है. चलिए एक बार के लिए मान भी लें कि पवन निर्दोष है लेकिन इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता कि वो अन्य लोगों के साथ मौका-ए-वारदात पर मौजूद था.
अब अगर हम इन तथ्यों को कानून की नजर से देखें तो मिलता है कि चूंकि पवन मौके पर मौजूद था. कानून यही कहता है कि उस स्थिति में जब अपराध हो रहा हो और अपराधी के अलावा मौके पर कोई और मौजूद हो तो वो भी घटना का उतना ही जिम्मेदार है जितना कि मुख्य अभियुक्त. इसलिए चाहे वो निर्भया मामले में दोषी पवन गुप्ता के पिता हीरालाल गुप्ता हों या फिर उसकी माता या फिर कोई और हमदर्द उसे इस बात को समझना होगा कि घटना के लिए पवन भी उतना ही दोषी है जितने कि बाकी के 3 लोग.
बहरहाल, अब जबकि सात साल बाद पवन के घर वालों ने पवन की सुध ली है. साफ़ हो जाता है कि परिजन अपनी तरफ से हर वो हथकंडा अपना रहे हैं जिसका इस्तेमाल करते हुए वो इस फांसी को रोक लें. बाकी सारा मुद्दा आचार विचार और संगत का है. तो पवन गुप्ता ने उन तमाम लोगों को सबक दिया है जो बुरी संगत में हैं और अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं. ऐसे लोगों को वो कहावत भी याद रखनी होगी जिसमें कहा गया है कि गेहूं के साथ साथ घुन भी पिसता है.
पवन के घरवाले भले ही उसे बेगुनाह कह रहे हों मगर इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि वो बुरी संगत में था. व्यक्ति जब बुरी संगत में रहता है तो फिर उसकी रक्षा ईश्वर और प्रार्थनाएं भी नहीं कर पाती और ठीक वैसे ही दोषी कहलाता है जैसे निर्भया मामले में पवन.
ये भी पढ़ें -
फांसी से बचने के लिए निर्भया के बलात्कारी की एक और बेशर्मी
हैदराबाद रेप पीड़िता को दिशा कहने से क्या फायदा जब 'निर्भया' से कुछ न बदला
निर्भया फंड की हालत बता रही है कि क्यों हैदराबाद में महिला डॉक्टर का रेप और हत्या हुई !
आपकी राय