फांसी से बचने के लिए निर्भया के बलात्कारी की एक और बेशर्मी
Nirbhaya Case में अपनी फांसी से पहले जो Mercy Petition चारों आरोपियों में से एक अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में डाली है उसने पूरे देश को बता दिया है कि बेशर्मी की पराकाष्ठा क्या होती है.
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2012 का निर्भया मामला अपने अंतिम पड़ाव पर आ गया है. दिल्ली की तिहाड़ जेल में तैयारी पूरी है. जल्द ही मामले के चारों दोषियों को फांसी हो सकती है. बात अगर दिसंबर 2012 में हुए निर्भया गैंग रेप की हो तो इस घटना का शुमार देश की सबसे वीभत्स घटनाओं में है. घटना ऐसी थी कि जिसको सोचने मात्र से ही इंसान के रौंगटे खड़े हो जाएं. एक ऐसे वक़्त में, जब फांसी के दिन करीब हों निर्भया मामले के दोषी कितने बेशर्म हैं इसे उनकी उन दलीलों से भी समझ सकते हैं जो उन्होंने फांसी पर पुनर्विचार याचिका दायर करते वक़्त दी हैं. निर्भया कांड के दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है. याचिका में बड़ी ही बेशर्मी के साथ अक्षय की तरफ से कहा गया है कि दिल्ली के लोग वायु और जल प्रदूषण से मर रहे हैं तो फिर फांसी क्यों दी जा रही है. याचिका में कहा गया है कि प्रदूषण से दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है ऐसे में मृत्यु दंड की क्या जरूरत है. ध्यान रहे कि अक्षय सिंह को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.साथ ही इसकी सजा को दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था.
निर्भया मामले में जो आरोपी ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है वो बेशर्मी की पराकाष्ठा है
ANI के अनुसार, दोषी अक्षय कुमार सिंह ने अपने वकील के जरिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुप्रीम से फांसी के फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है. साथ ही मामले में दोषी अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने में हुई देरी के लिए माफी की बात भी स्वीकार की है.
Nirbhaya case: One of the convicts in the case, Akshay Kumar Singh, has filed review petition before the Supreme court. Akshay was sentenced to death by a trial court in the case. His sentence was upheld by Delhi High Court and the Supreme Court.
— ANI (@ANI) December 10, 2019
अपनी याचिका में अक्षय कुमार यदि इतने पर भी रुक जाता तो ठीक था. बेशर्मी की इंतेहा तो उसका अपनी पुनर्विचार याचिका में वेदों और पुराणों को लाना है. अक्षय की तरफ से दायर याचिका में वेद पुराण और उपनिषद का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे. त्रेता युग में भी एक-एक आदमी हज़ार साल तक जीता था, लेकिन अब कलयुग में आदमी की उम्र 50-60 साल तक सीमित रह गई है. बहुत कम लोग 80-90 साल की उम्र तक पहुंच पाते हैं. जब कोई व्यक्ति जीवन की कड़वी सच्चाई और विपरीत परिस्थितियों से गुजरता है तो वो एक लाश से बेहतर और कुछ नहीं होता.
अक्षय की इस पुनर्विचार याचिका में कही गई बातों पर यदि गौर किया जाए तो मिलता है कि जैसे उसे इस बात का एहसास ही नहीं है कि उससे एक बहुत बड़ी चूक हुई है.
बहरहाल, बात इन चारों दोषियों की फांसी पर पुनर्विचार याचिका की चली है तो आपको बताते चलें कि इससे पहले चारों दोषियों में से एक, विनय शर्मा को पहले ही दिल्ली सरकार की तरफ से बड़ा झटका लग चुका है. दरअसल दिल्ली सरकार ने विनय शर्मा की मर्सी पेटीशन को पहले ही नामंजूर कर दिया था और इसपर मोहर खुद दिल्ली सरकार के एलजी अनिल बैजल ने लगाई थी. बाद में इस पेटीशन को राष्ट्रपति के पास भेजा गया. बताया जा रहा है कि इस याचिका का संज्ञान खुद देश के गृह मंत्रालय ने लिया है और राष्ट्रपति से सिफारिश की गई है कि इस याचिका को नामंजूर किया जाए.
गौरतलब है कि साल 2012 में हुए निर्भया केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजा गया. जहां अदालत ने मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को दोषी मानते हुए इन्हें फांसी की सजा सुनाई. ज्ञात हो कि हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप और हत्या के दोषियों को एनकाउंटर में मार गिराए जाने के बाद निर्भया के दोषियों को फांसी पर चढ़ाने की मांग तेज हो गई है. एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि अब वो समय आ गया है जब निर्भया मामले के इन चारों दोषियों को फांसी पर लटकाकर इंसाफ कर दिया जाए.
निर्भया मामले में चारों दोषियों को फांसी कब होती है इसका जवाब वक़्त की गर्त में छुपा है. लेकिन जिस हिसाब से ये लोग बार बार अपनी फांसी के विरोध में पुनर्विचार याचिका दायर कर रहे हैं और जैसे तर्क उसमें दे रहे हैं साफ़ हो जाता है कि बेशर्मी की पराकाष्ठा क्या है.
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