17 दिन से मृत बच्चे को लिए घूम रही एक 'मां'
एक मां व्हेल अपने मृत बच्चे की लाश लेकर 17 दिन से तैर रही है. जी हां, पूरे 17 दिन से. वो अपने बच्चे के शरीर को पानी में लगातार ढकेल रही है. इसकी वजह मातृत्व की परिभाषा को नया आयाम देती है.
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एक मां के दिल की गहराई को क्या कोई नाप सकता है? इसका जवाब है नहीं. कोई ये नहीं जानता कि एक मां अपने बच्चे के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. कितना भी दर्द सह सकती है. लेकिन ये जरूरी नहीं कि मां इंसान ही हो. अगर किसी को लगता है कि जानवरों में कोई भी भावना नहीं होती तो आपको गलत लगता है.
सबसे पहले एक किस्सा जान लीजिए. एक मां व्हेल अपने मृत बच्चे की लाश लेकर 17 दिन से तैर रही है. जी हां, पूरे 17 दिन से वो अपने बच्चे के शरीर को पानी में लगातार ढकेल रही है.
इस व्हेल पर दुनिया की नजर सबसे पहले 27 जुलाई को पड़ी थी जहां कनाडा के वैंकूवर आइलैंड के पास इसे मृत शरीर को लेकर तैरते देखा गया था.
ये मछली किलर व्हेल प्रजाति (Orcinus orca) की है. लेकिन इस प्रजाति की मां का ये पहलू इतना इमोशनल करता है कि उसके नाम में जुड़ा 'किलर' शब्द बेमानी लगने लगता है. इस प्रजाति की मछलियां अपने बच्चों के मरने पर उनके शरीर को कुछ दिन तक लेकर तैरती हैं, लेकिन इस मछली ने एक रिकॉर्ड ही बना दिया है.
इस शावक की मृत्यू 24 जुलाई को हुई थी तबसे मछली इसे लेकर तैर रही है
सेंटर फॉर व्हेल रिसर्च के साइंटिस्ट केन बालकॉम्ब का कहना है कि इस मछली ने पहले भी अपने बच्चे खोए होंगे. उनका अंदाज़ा है कि इस मछली ने एक दशक में दो बच्चे खोए हैं. पिछले एक दशक में ये मछली अपना तीसरा बच्चा खो रही है. और वो यह मानने तो तैयार नहीं है कि उसका बच्चा मर चुका है. शायद यही वजह है कि ये व्हेल अपना दुख भुला नहीं पा रही.
रिसर्चरों का कहना है कि ये बच्चा शायद 24 जुलाई को मरा होगा. उसकी मौत का कारण अभी नहीं पता है. किलर व्हेल की संख्या पिछले कुछ सालों में बहुत कम हो गई है और पिछले तीन साल में एक भी बच्चा बच नहीं पाया है.
कुछ लोग ये भी कहते हैं कि ये किलर व्हेल का रिवाज है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो ये दरअसल उस मछली के दुख जताने का तरीका है. वह बच्चे को कभी सिर से ढकेल रही है तो कभी मुंह से पकड़े हुए है. उसको इस दुख को देखने वाले भी दुखी हो रहे हैं.
मां चाहें कोई भी हो बच्चे की मौत पर दुख जताती है
एक मां का दर्द दिखाती ये तस्वीर किसी के भी आंसू छलकाने के लिए काफी है. इसे देखकर मुंह से 'उफ्फ' के सिवा और कुछ नहीं निकलता. तो क्या हुआ कि इस तस्वीर में इंसान नहीं, एक मछली है. तो क्या हुआ अगर वो जमीन पर नहीं है. तो क्या हुआ अगर उस मछली के आंसू नहीं दिख रहे. लेकिन ध्यान दें तो भावनाएं जरूर दिख रही हैं.
जानवरों का दुख जानेंगे तो कलेजा फट जाएगा
जानवरों को भी दर्द का अहसास होता है. व्हेल की ये तस्वीर साफ कहती है. इसे वैज्ञानिक तरीके के समझें तो विकासवादी जीवविज्ञानी मार्क बेकॉफ का कहना है कि सारे स्तनधारी एक ही नर्वस सिस्टम, न्यूरोकेमिकल्स, धारणाएं और भावनाएं साझा करते हैं, और ये सभी मिलकर दर्द का अनुभव कराते हैं. हालांकि वो इंसानों की तरह से ही दर्द का अनुभव करते हैं, ये कहा नहीं जा सकता. पर इसका मतलब ये जरा भी नहीं कि वो अहसास नहीं करते.'
वहीं Natural History Museum of Los Angeles में शोधकर्ता ब्री पुटमैन का कहना है कि 'जो स्तनधारी नहीं हैं उनका दर्द को दिखाना और भी ज्यादा संघर्षपूर्ण हो जाता है क्योंकि वो स्तनधारियों की तरह फेशियल एक्प्रेशन नहीं बना पाते. पर इसका मतलब ये जरा भी नहीं कि उसे दर्द नहीं है.'
ये बातें साबित करती हैं कि भले ही इंसान हो या जानवर, लेकिन एक मां का दिल मां का ही होता है. और उसे किसी भी हाल में कम नहीं समझा जा सकता है.
मृत बच्चे को लिए तैर रही व्हेल का वीडियो दिल पिघला देता है:
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