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Updated: 04 नवम्बर, 2016 05:00 PM
प्रवीण झा
प्रवीण झा
  @vamagandhijha
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मुझे 3 स्टाफ की जरूरत थी, 7 लोग बुलाए गए और सातों को नौकरी दे दी गई. किसी को 33%, किसी को 67% बांट दिया. यहां की एक रीत है कि अगर साक्षात्कार के लिए किसी को बुलाते हैं तो किसी महा विकट परिस्तिथि में ही मना किया जाता है. ये और बात है कि कइयों को बुलाते ही नहीं. पर खामख्वाह इंटरव्यू में बेइज्जत नहीं करते, और बिना नौकरी वापस नहीं भेजते.

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 इंटरव्यू में जिन लोगों को बुलाया जता है उन्हें नौकरी मिलती ही है

दरअसल प्रवासियों को छोड़ दें तो 100% नौकरी कोई करना भी नहीं चाहता. उमर के साथ कार्य प्रतिशत घटाते जाते हैं, आराम बढ़ाते जाते हैं. मालिक या सी.ई.ओ. टाइप के लोग 30-35% काम करते हैं और कुछ 10-15% कंपनी के शेयर रखते हैं. ये साफ कर दूं कि यह प्रतिशत पक्का है, इसके एक-एक मिनट का हिसाब लिया जाएगा. गर आप सिगरेट पीने या कुछ और चीजों में समय लगाते हैं तो उतना प्रतिशत घटा लें, 82% नौकरी करें, 18% सिगरेट फूंकें. आपका वेतन भी प्रतिशत के हिसाब से और टैक्स भी प्रतिशत हिसाब से कटेगा.

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मेरे एक मित्र हाल ही में लंबी बीमारी से जूझ रहे थे, जिसकी वजह से वह लंबे समय तक बैठ नहीं सकते थे. उन्होनें नौकरी नहीं बदली, 24% कार्य समय घटा लिया. वेतन कुछ खास नहीं घटा, क्योंकि टैक्स भी कम हुआ. और घटा भी तो, खुद का बेहतर ख्याल रख पा रहे हैं.

ऐसे ही कई लोग बच्चों के ऊंची क्लास में जाने पर भी कुछ प्रतिशत घटा लेते हैं. यह प्रणाली बड़ी अटपटी है, पर स्ट्रेस-फ्री जिंदगी में सहायक है.

सोचिए हम 100% काम करते-करते अचानक रिटायर हो जाते हैं, और शून्य पर आ जाते हैं. 100 से 60, 40, 20 और फिर शून्य पर आना कैसा रहेगा?

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लेखक

प्रवीण झा प्रवीण झा @vamagandhijha

लेखक ब्लॉगर और रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं.

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