मोदी जी... लीजिए स्वच्छ भारत अभियान पर ही पानी फिर गया!
स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार, सड़कों, अखबारों, टेलीवीजन पर और तो और अब तो नोटों पर स्वच्छ भारत अभियान पर स्वच्छ भारत का सपना दिखा रही है. लेकिन लोग हैं कि मान ही नहीं रहे.
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स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार क्या-क्या नहीं कर रही. सड़कों पर... अखबारों के फ्रंट पेज पर... टेलीवीजन पर और तो और अब तो नोटों पर स्वच्छ भारत अभियान पर स्वच्छ भारत का सपना दिखाया जा रहा है. गांवों में जहां टॉयलेट बनवाने की जंग सी छिड़ गई है, वहीं मध्यप्रदेश में अलग ही कहानी चल रही है, एमपी के छत्तरपुर में रहने वाले दिनेश यादव के घर पर भी सरकार द्वारा एक टॉयलेट बनवाया था, जिसे वो किचन के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.
एमपी के रहने वाले दिनेश यादव टॉयलेट को किचन के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं
दिनेश का कहना है कि सरपंच ने उनके घर में टॉयलेट तो बनवा दिया, पर उसका सैप्टिक टैंक लगाना भूल गए. इसलिए दिनेश ने टॉयलेट को किचन में तब्दील कर दिया. इसी ज़िले में एक घर लक्ष्मण कुशवाहा का भी है, जिनके घर पर सरकार ने टॉयलेट बनवाया था. लक्ष्मण के घर सेप्टिक टैंक भी बनाया गया था, पर लक्ष्मण अपने टॉयलेट का इस्तेमाल एक दुकान के रूप में करने लगे.
एम के ही लक्ष्मण टॉयलेट का इस्तेमाल दुकान के रूप में कर रहे हैं.
यहां सरकार तो अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, लेकिन लोग नहीं, ऐसा हम नहीं आकड़े बयां कर रहे हैं. आपको बता दें, गांव में अभी भी 55.4% ग्रामीण अभी भी बाहर शौच कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं शौचायल से जुड़े कुछ fact...
परिवारों के पास टॉयलेट में पानी की व्यवस्था नहीं
स्वच्छ भारत अभियान में भी लग चुकी है भ्रष्टाचार की दीमक
पीएम मोदी के बहुचर्चित 'स्वच्छ भारत अभियान' में भी भ्रष्टाचार की दीमक लग चुकी है. सरकारी अनुदान राशि खाने की मंशा से बड़ी संख्या में ऐसे लोगों ने भी आवेदन कर दिया, जिनके घरों में पहले से ही शौचाल बने हुए थे. इसके बाद तो और भी चौंकाने वाला खुलासा शौचालय बनवाने के कार्यों के वैरीफिकेशन के दौरान हुआ. इसमें पाया गया कि आर्मी द्वारा खुदवाए गए गड्डों की फोटो खिंचवाकर धनराशि आहरित करने के लिए कई लोगों द्वारा आवेदन कर दिया गया. इतना ही नहीं, संबंधित क्षेत्र के पार्षद ने भी इन आवेदनों को जांचे-परखे बिना ही अपनी मुहर लगाकर फाइल को आगे बढ़ा दिया.
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