कंसॉर्टियम कुछ कहे, पेट्रोल पंपों पर पीएम की तस्वीर के अपने राजनीतिक मायने हैं...
पेट्रोल पंप में पीएम की तस्वीर को लेकर कंसॉर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष का तेल कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाना, तेल कंपनियों का उन आरोपों पर चुप्पी साध कर बैठना दोनों ही बातें विचलित करने वाली हैं.
-
Total Shares
अगर हमारे पास गाड़ियां हैं तो आप अवश्य ही पेट्रोल या डीजल लेने के लिए पेट्रोल पंप पर गए होंगे. अब आप जब भी दोबारा पेट्रोल खरीदने, पेट्रोल पंप जाएं तो जरा नजर उठा कर देख लीजियेगा कि वहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो या कोई कट आउट है या नहीं. अगर हुआ तो बहुत अच्छी बात है. नहीं हुआ तो अवश्य ही ये खबर आपको प्रभावित करेगी. आप अभी से अपने लिए कोई ऐसा पेट्रोल पंप तलाश लीजिये जहां पीएम मोदी का फोटो है क्योंकि वो पम्प जहां फोटो नहीं है वो किसी भी क्षण बंद हो सकता है. जी हां, भले ही ये बात आपको विचलित कर दे मगर सच है.
अंग्रेजी अखबार "द हिन्दू" में छपी एक खबर के मुताबिक पेट्रोल पंप डीलरों का आरोप है कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां जैसे इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगाने का दबाव डाल रही हैं.
कंसॉर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष ने तेल कंपनियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं
पेट्रोल पंप डीलरों के संगठन कंसॉर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष एसएस गोगी ये इस पूरे विषय पर अपना पक्ष रखते हुए बताया कि यदि पेट्रोल पंप अपने फिलिंग स्टेशन पर 2019 के चुनावों के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो नहीं लगवाते तो उन्हें तेल की सप्लाई बंद कर दी जाएगी. गोगी ने बताया कि सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियां जिसमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड शामिल हैं ने डीलरों को मौखिक रूप से ऐसा करने की सलाह दे रही हैं.
ये कोई पहला मामला नहीं है जब प्रधानमंत्री या केंद्र सरकार के चलते पेट्रोल पम्पों के डीलर और कर्मचारी सुर्ख़ियों में आए हैं. इससे पहले पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने तब उस वक़्त अपना विरोध दर्ज किया था जब पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने देशभर के पेट्रोल पंप डीलरों से कहा था कि वे अपने कर्मचारियों की जाति, धर्म और लोकसभा-विधानसभा क्षेत्र जैसी जानकारियां उपलब्ध करवाएं. ध्यान रहे कि अभी देश भर में 60 हजार से ऊपर पेट्रोल पंप हैं जिनमें तकरीबन 10 लाख कर्मचारी काम करते हैं. किसी भी व्यक्ति की ये जानकारियां क्यों ली जा रही हैं इस पर सरकार का तर्क था कि वह ये जानकारियां अपने कौशल विकास कार्यक्रम के लिए मांग रही है.
गौरतलब है कि तब सरकार के इस फैसले पर पेट्रोल पंप डीलरों ने कड़ी आपत्ति जताई थी. डीलरों ने सरकार की इस मांग को असंवैधानिक बताया था और इसके खिलाफ अदालत जाने की बात कही थी. बहरहाल इस पूरे मामले के बाद हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी है कि, एक तरफ जहां कंसॉर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष तेल कंपनियां पर पेट्रोल पंपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाने का आरोप लगा रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ तेल कंपनियों ने उनके इस आरोप पर अभी तक कोई सफाई नहीं दी है.
इस पूरे मामले में जो बात सबसे ज्यादा विचलित कर रही हैं वो है कंसॉर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष का तेल कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाना. और तेल कंपनियों का उन आरोपों पर चुप्पी साध कर बैठना. यदि कंसॉर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स के द्वारा लगाए गए ये आरोप सही निकलते हैं तो फिर ये न सिर्फ ये एक गहरी चिंता का विषय है. बल्कि इस बात का भी एहसास कराता है कि 2019 के लिए मोदी सरकार की इस नीति ने विपक्ष को मौका दे दिया है कि वो आए और इस नीति का भारी विरोध कर जनसमर्थन जुटाए.
ये भी पढ़ें -
9 पैसे का दान! कहीं पीएम मोदी को आहत न कर दे
पेट्रोल-डीजल कीमतों में तेजी और राहत का फर्क 'राहत' नहीं देता
GST के दायरे में लाकर भी पेट्रोल कीमतों में बाजीगरी नहीं रुकेगी
आपकी राय