जहां लोग जिंदा मुर्गा खा रहे हैं, वहां ममता जगाने से क्या फायदा?
जानवरों के बच्चों की तस्वीरें देखने से नॉन वेज खाने की इच्छा मर जाती है जिसका ये सोचना है उसे तेलंगाना के उस शख्स से मिलना चाहिए जिसने शराब के नशे में जिंदा मुर्गा खाया.
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दो खबरें हैं. मुद्दा दोनों में एक जैसा है. मगर दोनों में गहरा विरोधाभास है. पहली खबर के अनुसार तेलेंगाना में शराब के नशे में धुत युवक ने जिंदा मुर्गा खा लिया. युवक के मुर्गे के पंख उधेड़ने और बिना पकाए उसे जिंदा खाने का यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है और लगातार सुर्खियां बटोर रहा है. माना जा रहा है कि वीडियो नजदीक से गुजरने वाले एक व्यक्ति ने रिकॉर्ड किया है. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. भले ही ये खबर व्यक्ति को विचलित कर दे मगर सच है, जिसे नाकारा नहीं जा सकता.
ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी ने जिंदा मुर्गे को इस तरह और इतनी बेदर्दी से खाया है
खबर के मुताबिक, तेलंगाना स्थित महबूबाबाद के केसमुद्रम में एक अजीब ओ गरीब मामला सामने आया है. शराब पार्टी कर रहे दो युवकों ने करी बनाने के लिए दुकान से मुर्गा तो खरीदा लेकिन शराब का नशा उन पर इस हद तक हावी था कि इनमें से एक युवक ने इसे जिंदा ही खा लिया. नशे में धुत दोनों युवक घर जा रहे थे मगर उन्होंने इतनी ज्यादा पी रखी थी कि उनके होश ओ हवास गायब हो गए और वो बेसुध हो गए. कुछ वक्त बाद जब दोनों में से एक युवक की भूख के कारण नींद खुली तो उसने मुर्गे की खाल उधेड़ना शुरू कर दिया और फिर उसे जिंदा ही खाना शुरू कर दिया.
अब दूसरी खबर सुनिए
खबर का आधार विदेश में हुआ एक शोध है. खबर के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति नॉनवेज खाना नहीं छोड़ पा रहा है. या फिर उसे नॉनवेज छोड़ने में दिक्कतें आ रही हैं तो उसे जानवरों के बच्चों की तस्वीरें देखनी चाहिए. शोध के अनुसार तस्वीरें देखने से उसके अन्दर नॉन वेज खाने की इच्छा खत्म हो जाएगी. शोध में इस बात को प्रमुखता से माना गया है कि तस्वीरों का असर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर ज्यादा होता है.
ब्रिटेन की लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के साइकोलॉजिइस्टों ने महिलाओं और पुरुषों को बछड़ों, कंगारूओं के बच्चों, सूअर के बच्चों और मेमनों की तस्वीरें दिखाई. इसी के साथ उन्होंने यह जांच भी की कि क्या इससे उनके मांस खाने की इच्छा पर कोई असर पड़ा.
परिणाम हैरान करने वाले थे. शोधकर्ताओं के मुताबिक, 'हमने पाया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को पशुओं के बच्चे बहुत प्यारे लगे और उनमें बच्चों के प्रति स्नेह का भाव आया.'चूंकि जांच पुरुषों और महिलाओं पर हुई तो परिणामों का अलग निकलना स्वाभाविक था. पुरुषों और महिलाओं में ये भावनाएं अलग-अलग तरह से निकल कर सामने आई. शोधकर्ताओं के मुताबिक महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की मांसाहार की इच्छा पर कम असर पड़ा.
विदेश में हुआ शोध कहता है कि जानवरों के बच्चों की फोटो देखने से नॉन वेज खाने की इच्छा मर जाती है
लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की जारेड पियाजा के इस पूरी स्टडी पर अपने तर्क हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि आज भी महिलाओं की भूमिका देखरेख करने वाली की होती है. शोध में ये बात भी निकल के सामने आई है कि महिलाओं का बच्चों के प्रति भावनात्मक लगाव ज्यादा होता है जिससे उनमें पशुओं के बच्चों के प्रति भी सहानुभूति पैदा हो जाती है.
कुल मिलाकर इस दूसरी खबर का सार बस इतना है कि यदि व्यक्ति सिर्फ जानवरों की तस्वीरें देखे तो उसके अन्दर मांस भक्षण की इच्छा खत्म हो जाएगी. मगर सवाल ये है कि क्या ऐसा वाकई में है. ये सवाल इसलिए भी उठाना लाजमी है क्योंकि विदेश का मामला अलग है. बात जब भारत की हो तो यहां मामला पूरा बदल जाता है. शोध कह रहा है जानवरों के बच्चों की फोटो देख लेने से मांस खाने की इच्छा दब जाती है. तेलेंगाना में घटित हुई घटना बता रही है कि शराब के नशे में धुत युवक को मुर्गा खाना था. व्यक्ति को इस बात से भी कोई मतलब नहीं था कि जिंदा है या पका हुआ है उसे केवल खाने से मतलब था उसने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया.
दोनों ही मामलों पर गौर करने के बाद इतना तो साफ हो गया है कि हर चीज में व्यक्ति की मर्जी शामिल होती है. यदि व्यक्ति की मर्जी होगी तो वो नॉनवेज या वेज जो मन हो खाएगा. यदि मन नहीं हो तो नहीं खाएगा. हम दुनिया का तो नहीं जानते मगर भारत के सम्बन्ध में अगर केवल तस्वीरें देखने से चीजें या आदतें बदलती तो भारत से शराब, गुटखा और सिगरेट जैसी चीजें कबका गायब हो गईं होतीं.
देखा आपने भी होगा बस याद करने की देर है. सिनेमा हॉल का वो मुकेश तो आपको याद ही होगा जिसकी मौत तम्बाकू खाने से हुई थी. सवाल ये है कि उसकी फोटो देखकर कितने लोगों ने अपनी उस आदत को बदला जवाब है एक भी नहीं. लोग हॉल मनें फिल्म देखने जाते हैं जिसे देखकर वो वापस अपने घर आ जाते हैं.
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