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Updated: 26 अक्टूबर, 2019 04:48 PM
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STD यानी sexually transmitted diseases या यौन संचारित रोग. ये वो रोग या संक्रमण हैं जो यौन संपर्क द्वारा एक व्‍यक्ति से दूसरे में सं‍चारित हो सकते हैं. एड्स इसी तरह का एक रोग है. STDs पूरी दुनिया में हैं, कहीं ज्यादा तो कहीं कम. जगह कोई भी हो लेकिन इसकी मार सबसे ज्यादा महिलाएं ही झेलती हैं.

40 वर्षों से STDs का अध्ययन करने वाले डॉ. हंटर हैंड्सफील्ड का कहना है कि 'एसटीडी जैविक और मनोवैज्ञानिक रूप से सेक्सिस्ट यानी महिला विरोधी हैं.' इन बीमारियों का सबसे बुरा असर महिलाओं पर ही पड़ता है. दुनिया में क्लैमाइडिया और गोनोरिया नाम की बीमारियां बांझपन और ectopic pregnancy के प्रमुख कारणों में से हैं.

STD पर आई रिपोर्ट डराने वाली है

अमेरिका के Centers of Disease Control and Prevention. (CDC) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार गोनोरिया, क्लैमाइडिया और सिफलिस के मामले अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं. पिछले एक साल में कुल 2.4 मिलियन संक्रमण का पता लगा है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि युवाओं विशेषकर लड़कियों पर सबसे ज्यादा खतरा है. CDC का अनुमान है कि STD के सभी नए मामले 15 से 24 वर्ष की आयु के लोगों में देखे गए हैं. जबकि 4 में से 1 sexually active किशोरी में ये रोग दिखाई देते हैं.

STDयौन रोग की मार सबसे ज्यादा महिलाएं ही झेलती हैं

महिलाएं ही क्यों ज्यादा भुगत रही हैं

रिपोर्ट बताती है कि महिलाएं ही यौन संक्रमित रोग से सबसे ज्यादा पीड़ित होती हैं. उसकी कई वजह हैं जिन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता. जैसे-

महिलाओं में संक्रमण आसानी से होता है

विषमलैंगिक जोड़ों में ये बीमारियां महिला से पुरुष की तुलना में पुरुष से महिला में अधिक आसानी से प्रसारित होती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि vagina की त्वचा penis की त्वचा की तुलना में पतली और ज्यादा नाजुक होती है. इसलिए बैक्टीरिया और वायरस का अंदर चले जाना आसान होता है. और vagina की नमी से बैक्टीरिया जल्दी विकासित होते हैं. एक बार infection हो गया तो,ये महिला के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालते हैं.

उदाहरण के लिए हरपीज रोग अगर एक महिला को होता है तो महिला जननांग की प्रकृति के कारण उसे बहुत सारे दर्दनाक फफोले होते हैं जबकि पुरुषों में इतने फफोले नहीं होते. दूसरा उदाहरण है human papillomavirus या HPV जो cervical cancer का कारण बनता है. और अगर ये जल्दी पकड़ में न आए तो जानलेवा हो सकता है. पुरुषों को भी HPV से पेनाइल कैंसर हो सकता है लेकिन वो महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर की तुलना में इसेएक का सौवां हिस्सा कह सकते हैं. वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर दुनिया में आठवां सबसे आम कैंसर है.

STD in womanमहिलाओं के शरीर में सामान्य से कुछ भी अलग हो तो वो STD का शुरुआती लक्षण हो सकता है

महिलाएं लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेतीं

इन बीमारियों के लक्षण अक्सर महिलाओं में साफ नहीं दिखाई देते. उन्हें आसानी से महिलाओं की कोई दूसरी परेशानी समझा जा सकता है. उदाहरण के लिए अगर किसी महिला को पेशाब में थोड़ी जलन होती है तो वो उसे बहुत गंभीरता से नहीं लेतीं. उसके लिए रात के मसालेदार खाने को दोषी ठहरा दिया जाता है. ज्यादा से ज्यादा महिला इसे yeast infection समझ लेती हैं और खुद ही उसका उपचार भी कर लेती हैं. जबकि हो ये सकता है कि उसकी fallopian tubes में क्लैमाइडिया (chlamydia) प्रभाव डाल रहा हो. एसटीडी से संक्रमति पुरुषों या महिलाओं में ऐसे लक्षण ही नहीं होते कि उन्हें पता चले कि वे संक्रमित हैं. भारतीय महिलाओं में भी chlamydia तेजी से बढ़ रहा है.

लक्षण पहचानना आसान नहीं होता

कोई पुरुष अगर शिकायत लेकर डॉक्टर के पास जाता है तो उसके होने के पीछे की वजह बहुत कम होती हैं जिसका आसानी से पता भी लग जाता है और इलाज शुरू हो जाता है. लेकिन जब एक महिला अपनी ऐसी किसी परेशानी को लेकर डॉक्टर के पास जाती है तो उसके अनेकों कारण हो सकते हैं. तब उनके यूरिन का सैम्पल लिया जाता है, वजाइना की जांच की जाती है जिससे कारण और निवारण का पता चल सके. और इसमें काफी समय भी लगता है.

यौन संक्रमण के कारण

यौन रोगों की बढ़ती संख्या का अहम कारण है कंडोम के इस्तेमाल में कमी. विशेषज्ञों का कहना है कि यही सबसे महत्वपूर्ण गलती है, क्योंकि सुरक्षा का केवल यही एक तरीका है.

condomकंडोम के इस्तेमाल से ही यौन रोगों से बचा जा सकता है

यौन संक्रमण से बचने के लिए ये करें महिलाएं

- पहले तो अपने दिमाग से ये गिल्ट निकाल दें कि STD केवल बुरे काम करने वाले लोगों में होती है. ये आम धारणा है, लेकिन ये गलत है ये किसी को भी हो सकता है.

- अपने शरीर को जानें. सामान्य से कुछ भी अलग महसूस होता है तो उसे हल्के में न लें. योनि स्राव या गंध सहित योनि स्राव हो, या स्राव में कोई भी परिवर्तन दिखाए दे, genital sore हो, गांठ या सूजन महसूस हो, पीरियड साइकल में बदलाव हो या सेक्स के बाद spotting हो तो समझ लीजिए कि आपको एक डॉक्टर की जरूरत है.

- नियमित रूप से जांच करवाती रहनी चाहिए. 24 साल या इससे कम की महिलाएं जो यौन रूप से सक्रीय हों उन्हें साल में एक बार chlamydia का टेस्ट करवाना चाहिए.

- योनि स्राव सामान्य होता है लेकिन अपने अंडर गार्मेंट्स को हमेशा सूखा रखने का प्रयास करें.  

- पीरियड के दौरान हर 4-6 घंटे बाद पैड चेंज करना जरूरी है, नहीं तो इनफैक्शन का खतरा होता है.

- सेक्स के बाद vagina को साफ करना बेहद जरूरी है. इससे आप इनफैक्शन से बच सकती हैं.

- vagina के लिए कैमिकल युक्त साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कम कैमिकल वाला साबुन और गुगुने पाने से धोएं.

- सेफ सेक्स की आदत डालें.

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