बहू को सताने वाली 64 साल की महिला को तीन महीने की कैद, ये सास कहां से आती हैं!
देश की सुप्रीम कोर्ट ने बहू के साथ दहेज प्रताड़ना की आरोपी महिला की अपील को खारिज कर दिया है. अदालत ने 64 साल की सास को दोषी माना है और केवल तीन महीने कैद की सजा सुनाई है.
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किसी और देश का तो पता नहीं. भारत में शादी या विवाह एक संस्था है. यहां विवाह का उद्देश्य सिर्फ बच्चे पैदा करने की प्रक्रिया नहीं है. बल्कि आने वाली पीढ़ी को तैयार करना भी है. बात शादी की हुई है तो लड़कों के लिए भले ही ये लाइफ रूटीन का हिस्सा हो. लेकिन लड़कियों के लिए ये किसी भी सूरत में आसान नहीं है. लड़की जब अपने पिता के घर से विदा होकर ससुराल आती है तो उम्मीद यही की जाती है कि वो खुश रहे और जिस परिवार में उसकी शादी हुई है, वो उस परिवार का मान बढ़ाए. नए घर में बेटी ख़ुश रहे और उसे किसी तरह की तकलीफ का सामना न करना पड़े इसलिए उसे तोहफे दिए जाते हैं. यही तोहफे आम बोल चाल की भाषा में दहेज और एक बड़े सामाजिक बवाल की जड़ हैं.
शायद ही कोई दिन बीतता होगा. जब हम टीवी और अखबार से लेकर फेसबुक और व्हाट्सऐप तक दहेज उत्पीड़न या दहेज हत्या से जुड़ी कोई ख़बर न सुनें. भले ही भारतीय दंड संहिता की धारा 304B, 498A हमारे सामने हों लेकिन लोग बेखौफ होकर दहेज दे रहे हैं. ले रहे हैं और जिन्हें नहीं मिल रहा है वो इसके लिए दूसरे पक्ष को बाध्य कर रहे हैं जिसका सीधा असर लड़कियों पर हो रहा है और वो डिप्रेशन में जा रही हैं. कई बार नौबत आत्महत्या तक की आ रही है.
दहेज उत्पीड़न के मामले पर देश की सुप्रीम कोर्ट का फैसला कई मायनों में विचलित करता है
ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट आया है. जहां देश की सर्वोच्च अदालत ने एक महिला को अपनी बहू की दहेज प्रताड़ना के आरोप में दोषी ठहराया है. बताया जा रहा है कि मामले के अंतर्गत बहू ने कथित तौर पर तंग आकर आत्महत्या कर ली थी.
मिली जानकारी के मुताबिक लड़की वालों ने लड़के वालों पर दहेज़ हत्या का मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लेते हुए मृत युवती की 64 साल की साल को गिरफ्तार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना की आरोपी इस 64 वर्षीय महिला की अपील को खारिज कर दिया है.
मामले पर अपनी बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, 'यह एक अधिक गंभीर अपराध है जब एक महिला अपनी बहू के साथ क्रूरता करती है. जब एक महिला दूसरी महिला की रक्षा नहीं करती है, तो वह असुरक्षित हो जाती है. कोर्ट ने आरोपी सास को 3 महीने की सजा सुनाई है. बताया जा रहा है कि सजायाफ्ता सास अब तीन महीने का समय जेल में बिताएगी.
भले ही मामले के मद्देनजर कोर्ट ने तमाम तरह की बड़ी बड़ी बातें की हों और 64 साल की सास को दोषी माना हो. मगर जो सजा निर्धारित की गई है वो इसलिए भी अजीब है क्योंकि अब तक हमसे यही जा रहा था कि दहेज एक गंभीर अपराध है. सवाल ये है कि जब सजा इतनी छोटी हो तो क्या दहेज लोभियों को कानून का डर सताएगा? इस सवाल का सही और सटीक जवाब क्या होगा इसका फैसला जनता खुद करे.
3 months jail term for serious offence?An innocent life lost because of dowry & a cruel Mother in Law. Where is the husband who is supposed to protect? 'When a woman doesn't protect another woman': SC on dowry charges on mother-in-law https://t.co/cqX0SqbRQY via @indiatoday
— Meghna (@meghn888888) January 11, 2022
बाकी बात क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हुई है. तो बेहतर यही होता कि कोर्ट आरोपी महिला को सख्त से सख्त सजा देता ताकि एक नजीर बनती और लोगों के बीच दहेज़ से जुड़े कानूनों का खौफ बना रहता. हम ये बिलकुल नहीं कहेंगे कि कोर्ट के इस फैसले ने हमें निराश किया है. लेकिन हां इतना जरूर कहेंगे कि ऐसे फैसलों का सीधा असर समाज पर होगा. हो सकता है कि शायद दहेज़ उत्पीड़न/ दहेज़ हत्या से जुड़े मामलों में भरी इजाफा देखने को मिले.
बाकी जैसा कि कोर्ट ने कहा था एक जब एक महिला दूसरी महिला की रक्षा नहीं करती है, तो वह असुरक्षित हो जाती है. तो ऐसे में हम जज साहब से बस इतना ही कहेंगे कि दहेज़ उत्पीड़न के आरोपों पर सिर्फ 3 महीने की सजा भी लड़कियों को असुरक्षित ही रखेगी.
शायद इस फैसले के बाद लड़कियां भी ये कह दें कि न तो उनका समाज ही है और न ही कानून और कोर्ट.कुल मिलाकर दहेज का धंधा बदस्तूर चलेगा. लोग लेंगे भी. देंगे भी और लड़कियां यूं ही मरती रहेंगी. दोषी को सजा हुई भी तो वो महीने छह महीने में छूट ही जाएगा.
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