प्रिया प्रकाश वारियर की जीत पूरे देश के धार्मिक ठेकेदारों की हार है
प्रिया प्रकाश वारियर के खिलाफ दर्ज ईश निंदा के मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है और साथ ही उनलोगों को आईना दिखाने का काम किया है जो हर बात में धार्मिक कट्टरपंथ का जत्था लेकर निकल जाते हैं सामाजिक शांति को भंग करने के लिए.
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2018 के शुरूआती महीनों में इंटरनेट सेंसेशन बनने वाली प्रिया प्रकाश वारियर तो आपको याद ही होंगी, हों भी क्यों न कैसे उनकी एक अदा ने पूरे हिंदुस्तान को अपना दीवाना बना दिया था. देश में कैटरीना, करीना और दीपिका के दीवानों की कोई कमी नहीं है क्योंकि हमने इन्हें कई बार बड़े परदे से लेकर सड़क किनारे लगे होडिंग्स और चैनलों के विज्ञापन में देख चुके हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी लड़की ने इंटरनेट के रास्ते युवाओं के दिल में अपनी एक ख़ास जगह बनाई थी. अब आते हैं सीधे मुद्दे पर और बतातें हैं आपको की कैसे देश की सबसे बड़ी अदालत ने धार्मिक ठेकेदारों को आइना दिखाने का काम किया है.
प्रिया प्रकाश को लोगों ने भारत का 'नेशनल क्रश' बताया था.
'ओरू अदार लव' नामक मलयाली फ़िल्म का वो गाना जिसने देश में इंटरनेट लोकप्रियता की नई मिशाल पेश की थी. प्रिया के आँखों की कलाबाजियों ने करोड़ों लोगों को घायल किया था, लेकिन कुछ धार्मिक ठेकेदारों ने इसे ईश निंदा से जोड़कर देखा और प्रिया प्रकाश के खिलाफ बाकायदा केस दर्ज करवाया था. जिसके बाद प्रिया ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी. भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में पाकिस्तान और सऊदी अरब की थ्योरी को सिद्ध करने का इरादा रखने वालों के ऊपर भारत की सर्वोच्च अदालत ने करारा प्रहार किया है.
मुख्य न्यायाधीश की फटकार
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अभिनेत्री प्रिया वॉरियर, निर्देशक और निर्माता के ख़िलाफ़ केस को ख़ारिज करते हुए कहा, "कोई फ़िल्म में गाना गाता है और आपके पास केस दायर करने के अलावा कोई काम नहीं है." धार्मिक कट्टरपंथियों को इससे करारा जवाब नहीं दिया जा सकता था. हर बात में अपने धर्म के ऊपर खतरा महसूस करने वाले ये डरपोक लोग सामाजिक शांति में अपने कुंठित मानसिकता को स्थापित करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते. ऐसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सीख लेनी चाहिए.
लोगों ने उन्हें भारत का 'नेशनल क्रश' बताया था. प्रिया प्रकाश को इस फैसले से राहत तो मिली ही होगी, उनके करोड़ों चाहने वाले भी इस खबर से पुलकित महसूस कर होंगे. खैर भारत में धार्मिक ठेकेदारों का जत्था तो निकलता ही रहेगा लेकिन उन्हें सही आइना दिखाने का काम सुप्रीम कोर्ट के साथ समाज के लोगों को भी करना होगा.
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