पाकिस्तान नहीं, अफ्रीका के इन देशों का भारत से आगे होना है चिंता का विषय
भारत सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है कि अफ्रीका के घाना, बुरुंडी, नांबिया, रवांडा, यूगांडा जैसे देश भी हमसे आगे कैसे हैं. ये वो देश हैं, जिनमें आए दिन गृह युद्ध की स्थिति बनी रहती है.
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भारत में 'सबका साथ, सबका विकास' की जो बात होती है, उसके आधार पर दुनिया में भारत की रेटिंग नहीं होती है. लेकिन अब वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने इंक्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स (Inclusive Development Index) नाम की एक नई व्यवस्था शुरू की है, जो 'सबका साथ, सबका विकास' जैसी ही है. अभी तक सिर्फ जीडीपी के आधार पर ही यह मान लिया जाता था कि कौन से देश की स्थिति अच्छी है, लेकिन इस इंडेक्स में जीडीपी के अलावा भी कई पैमानों पर देश की स्थिति को आंका जाता है. इंक्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स में WEF ने भारत को 62वें स्थान पर रखा है. वहीं पाकिस्तान को इस इंडेक्स में 47वां स्थान मिला है और चीन 26वें स्थान पर है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस लिस्ट में न केवल चीन और पाकिस्तान भारत से आगे है, बल्कि अफ्रीका के वह देश भी भारत से ऊपर हैं, जहां अक्सर गृह युद्ध जैसी स्थिति बनी रहती है.
क्या है इंक्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स?
WEF के अनुसार इस इंडेक्स में लिविंग स्टैंडर्ड, पर्यावरण की स्थिरता और भविष्य की पीढ़ियों की कर्ज से सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को ध्यान में रखकर देशों की लिस्ट तैयार की जाती है. अब देशों को जीडीपी से हटकर इस इंडेक्स पर आने की जरूरत है. आर्थिक उपलब्धि को दिखाने के लिए सिर्फ जीडीपी पर निर्भर रहना काफी कम समय की उपलब्धि है और साथ ही इसमें समानता का भी अभाव रहता है. इस इंडेक्स में 103 देशों की इकोनॉमिक परफॉर्मेंस की सालाना रिपोर्ट है, जो ग्रोथ और डेवलपमेंट, इन्क्लूजन और इंटर-जनरेशनल इक्विटी को ध्यान में रखकर बनाई जाती है. इस रिपोर्ट मे जीडीपी को भी ध्यान में रखा जाता है.
अफ्रीका के ये देश हैं चिंता का विषय
भारत को इस लिस्ट में सिर्फ इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिए कि चीन, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका जैसे देश उससे आगे हैं. बल्कि भारत सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है कि अफ्रीका के घाना (52), बुरुंडी (55), नांबिया (56), रवांडा (57), यूगांडा (59) जैसे देश भी हमसे आगे कैसे हैं. ये वो देश हैं, जिनमें आए दिन गृह युद्ध की स्थिति बनी रहती है. यह आंकड़े भारत के तेजी से विकास करने के दावों पर एक सवालिया चिन्ह लगाते हैं.
अफ्रीका के घाना, बुरुंडी, नांबिया, रवांडा, यूगांडा जैसे देश भी हमसे आगे कैसे हैं.
ब्रिक्स देशों में भी चौथे नंबर पर
अगर सिर्फ BRICS देशों की बात की जाए तो सबसे आगे रूस है, जो 19 वें नंबर पर है. इसके बाद चीन (26), ब्राजील (37), भारत (62) और दक्षिण अफ्रीका (69) हैं. यानी 5 देशों की इस लिस्ट में भारत सिर्फ एक देश से आगे है. विकासशील देशों की लिस्ट को अगर ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि नेपाल आस-पास के देशों में सबसे आगे है. नेपाल को इस लिस्ट में 22वें स्थान पर रखा गया है. साथ ही यह भी दिखाया गया है कि नेपाल तेजी से तरक्की कर रहा देश है. इस लिस्ट में श्रीलंका को 40वां स्थान मिला है, जिसकी तरक्की को धीरे-धीरे घटना हुआ दिखाया गया है.
5 सालों की तस्वीर दिखाती है बेहद खराब स्थिति
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटर-जनरेशनल इक्विटी और सस्टेनेबिलिटी के मामले में भारत ने बहुत अच्छा प्रदर्शन (44वां स्थान) किया है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में गरीबी पिछले 5 सालों में कम हुई है, लेकिन अभी भी 10 में से 6 भारतीय 3.20 डॉलर (करीब 205 रुपए) प्रतिदिन पर अपना गुजारा करते हैं. इससे लोगों की आय में असमानता का साफ पता चलता है. इंक्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 सालों में रोजगार की ग्रोथ में कमी आई है. अगर पिछले 5 सालों की Overall Performance को देखा जाए तो भारत बेहद पिछड़े हुए देशों के समूह में है. नीचे दी गई तस्वीर साफ दिखाती है कि भले ही भारत धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ रहा हो (Slowly advancing), लेकिन अभी भी हमारी स्थिति बेहद खराब (worst) है.
5 सालों के ट्रेंड की इस तस्वीर से साफ है कि भारत स्थिति काफी खराब (worst) है.
भारत में आय में कितनी अधिक असमानता है इसका अंदाजा तो आप ऑक्सफैम की रिपोर्ट से ही लगा सकते हैं. ऑक्सफैम के सर्वे के अनुसार 2017 में हुई कुल कमाई का 73 फीसदी सिर्फ 1 फीसदी लोगों के पास है, जो आय की असमानता को साफ दिखाता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के इस नए इंडेक्स और ऑक्सफैम की रिपोर्ट दोनों ही यह इशारा करती हैं कि देश सही दिशा में नहीं जा रहा है. भारत का इंक्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स में 62वें स्थान पर होना और गृह युद्ध जैसी स्थिति वाले अफ्रीकी देशों का हमसे आगे होना यह दिखाता है कि सरकार को देश के नागरिकों और विकास के बारे में एक बार फिर से सोचते हुए नई रणनीति बनाने की जरूरत है.
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