जब जानवरों ने थामा इंसाफ का तराजू...
अदालत में फरयादी और गुनहगारों को पेश किया जाता है. हमने कभी किसी जानवर के अदालत में पेश होने की बात नहीं सुनी है, लेकिन अब सुन लीजिए. एक नहीं कई मामलों में जानवरों को पेश किया गया और गवाही ली गई.
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'गीता पर हाथ रखकर कसम खाओ कि जो कहूंगा सच कहूंगा सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा' ये डायलॉग फिल्मों में हमने काफी बार देखा है. लेकिन असलियत में नहीं. यहां न गीता होती है और न इंसाफ का तराजू. अब भाई जानवर गवाही देने आएं तो वो क्या जानें. जी हां, आपने सही पढ़ा. अब कोर्ट में जानवर हाजरी लगाते हैं और गवाही भी देते हैं.
कभी तोता, कभी बकरी तो कभी गाय. इनकी गवाही से ही दोषियों को सजा मिली है. हालही में अमेरिका के मिशिगन में एक महिला को उसके पति की हत्या का दोषी करार दिया गया है. इस मामले में दिलचस्प ये है कि उसके पालतू तोते की गवाही के बाद ये मामला सामने आया.
ये मामला 2 साल पहले साल 2015 का है. ग्लेन्ना दुरम नाम की इस महिला ने मिशिगन में सैंड लेक स्थित अपने घर में अपने पति मार्टिन पर एक के बाद एक पांच गोलियां चलाई थी. इसके बाद उसने खुद भी आत्महत्या करने की कोशिश की थी. ये पूरी घटना इस दंपति का पालतू तोता देख रहा था. उसने बार-बार मार्टिन की आवाज निकालकर महिला को ऐसा करने से रोका था. ऐसा नहीं है कि ये कोई पहला मामला है भारत में भी जानवों की पेशी कोर्ट में हो चुकी है और गवाही भी दी गई है.
अदालत में अपनी गवाही देने खुद पहुंची गाय
सीकर की खंडेला कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान गाय को पेश किया गया. एसडीएम कोर्ट में बाबा विशंभरदास गौ सेवा समिति की पेशी होनी थी. इस मामले में गौशाला की ओर से गाय को ही पेश किया गया. गाय ने कोर्ट में पेश होकर खुद ही अपने हक की मांग की. गायों को पेशी के दौरान कोर्ट में लाया गया. जिससे कोर्ट रूम में मौजूद सभी वकील और अन्य कर्मी हैरान रह गए. अपनी तरह का यह देश का पहला मामला होगा जब गाय ने खुद अपनी मांग के लिए कोर्ट में पेशी लगाई हो. इन गायों पर गौशाला की ओर से कुछ बैनर लगाए गए थे. जिसमें लिखा गया था कि हमें हमारा हक चाहिए, हमें न्याय दिलवाने में सर्व समाज सहयोग करे.
बकरी भी पहुंच चुकी है गवाही देने
खंडवा की अदालत में उस समय कौतूहल मच गया जब दो बकरियों को गवाही के लिए पेश किया गया. यह सब हुआ एक केस के सिलसिले में. दरअसल एक बकरे के असली मालिक का पता लगाने के लिए कोर्ट ने इस बाबद आदेश दिए. सबसे मजेदार बात यह रही कि जिस व्यक्ति पर बकरा चोरी का आरोप निकला था, बकरा उसी का निकला. खंडवा के निकल तलवड़िया गांव के रहने वाले गजराज चापमाट पर पिपलौद के विनोद पूनमसिंह ने आरोप लगाया कि उसने बकरा चुराकर जावर के अकबर मुंशी को बेच दिया. कुल मिलाकर अब इंसाफ की अदालत में इंसानों का फैसला जानवर कर रहे हैं.
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हम उस देश के वासी हैं जहां इंसान की जान की कीमत गाय से भी कम है!
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