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सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
उच्च न्यायालय ऐसे कैसे प्रो रेपिस्ट आदेश दे सकती है ?
क्या न्यायाधीश की आस्था 'Marry your Rapist Law' में हैं ? सो जब पीड़िता के वकील ने कहा कि वह मांगलिक नहीं है तो उन्होंने दोनों पक्षों की सहमति से लड़की की कुंडली चेक कराने की ठान ली ताकि आरोपी को उससे शादी करने का आदेश देकर मामले का पटाक्षेप कर दें.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
मीडिया की नासमझी है कि एससी के हवाले से जो नहीं हुआ उसे भी आदेश बता दिया!
आदर्श स्थिति होती कि मीडिया खेद प्रकट करती और कहती कि उनके गलत विश्लेषण की वजह से न्यायमूर्ति को स्पष्टीकरण देना पड़ा, 'न्यायाधीश वर्मा स्टे के दायरे में नहीं आएंगे क्योंकि 'योग्यता- सह-वरिष्ठता' का पालन करने पर भी उनकी पात्रता है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
उद्धव ठाकरे सरकार गिरने के जितने जिम्मेदार राज्यपाल हैं, उतने ही सुप्रीम कोर्ट के जज भी!
उद्धव एकनाथ शिंदे विवाद में भले ही सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सारा ठीकरा तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी पर फोड़ दिया हो. लेकिन इसी सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 29 जून 2022 को राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के आदेश को जायज ठहराते हुए स्टे देने से मना कर दिया था.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
आपका हर फैसला सिर आंखों पर मीलॉर्ड लेकिन बेवजह टिप्पणी कदापि नहीं
बिना किसी संदर्भ के पता नहीं क्यों विद्वान न्यायमूर्ति वन लाइनर टिप्पणी कर बैठे कि मीडिया उनकी ही फाइंडिंग बताने लगा,'...I hope I don't get misquoted, but in the ranking, we are now at 161, in terms of journalistic freedom.'
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
सुप्रीम कोर्ट के बदले रुख से स्पष्ट है, गे कपल की विवाह की चाहत अधूरी ही रहेगी...
हां, सामाजिक संरचना में समलैंगिकों को वे सहूलियतें ज़रूर मिल जायेंगी जिनसे वे वंचित हैं. ऑन ए लाइटर नोट कहें, अन्यथा न लीजिएगा, साजन बिना सुहागन ही सुहाग के फायदे मिल जाएंगे. बिलकुल 'ना' से तो थोड़ा 'हां' हो रहा है तो फ़िलहाल संतोष करें.
सिनेमा
| बड़ा आर्टिकल
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
सुखद स्थिति है कि 'वैसी वैसी' फ़िल्में या कंटेंट्स भारत में बैन नहीं होते
जब आपसी सहमति से बने ऐसे संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर निकालने में सदी से ज्यादा समय लग गया तो फिर अब इसलिए तत्परता दिखाई जाए चूंकि गे/लेस्बियन मुखरता से आगे आ रहे हैं, कदापि उचित नहीं है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
उच्च न्यायालय के जज से सुप्रीम नाराजगी कितनी जायज?
माननीय शीर्ष अदालत ने तब स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया था जब जज ने साक्षात्कार दिया था ? और जब तब नहीं लिया तो आज बनर्जी द्वारा ग्राउंड बनाये जाने पर उस साक्षात्कार पर आपत्ति क्यों ?
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
एडिक्शन का दोहन ही है सिगरेट के दाम बढ़ाना...
सिगरेट के दाम बढ़ाना जनहित में नहीं, सिर्फ राजस्व बढ़ाने के लिए है. जनहित तो तब होता जब सिगरेट को बैन कर दिया जाता. जब कभी भी बैन की दिशा में कदम उठा भी है तो केस अगेंस्ट बैन बन ही जाता है. पता नहीं कौन से निहित स्वार्थ सक्रिय हो जाते हैं...
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
Demonetisation verdict: एक बार फिर सुप्रीम फैसला इसलिए मंजूर है चूंकि मजबूरी है!
पंचों का फैसला शिरोधार्य कभी होता था. कोई नुक्ताचीनी नहीं होती थी. आज आलम ये है कि फ़ैसला अपनी मर्ज़ी का है तो पंच परमेश्वर हैं और यदि फ़ैसला विपरीत आ गया तो सवाल खड़े करने के लिए तमाम नुक़्ते तलाश लिए जाते हैं.