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Updated: 19 सितम्बर, 2019 06:34 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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जो लोग अब तक इस मुगालते में थे कि ई-सिगरेट पीकर वो खुद पर और अपने परिवार पर अहसान कर रहे हैं, उन्हें मोदी सरकार एक झटके में जमीन पर ले आई है. सिलसिलेवार तरीके से क्रांतिकारी फैसले लेने वाली मोदी सरकार ने अब E-cigarette पर बैन लगा दिया है.

इस बैन के अंतर्गत अब भारत में E-cigarette की मैन्युफैक्चरिंग, आयात/निर्यात, बिक्री, वितरण, स्‍टोरेज यहां तक कि इसके प्रचार /विज्ञापन तक पर प्रतिबंध लगाया गया है.

कानून तोड़ने वालों के लिए सजा का प्रावधान है. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक साल तक की जेल और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव दिया है. वहीं एक से अधिक बार नियम तोड़ने पर मिनिस्ट्री ने 5 लाख रुपये जुर्माना और 3 साल तक जेल की सिफारिश की है.

E-cigaretteई-सिगरेट को सिगरेट के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है

क्या होती है E-cigarette?

जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट को सिगरेट के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. ये धूम्रपान करने वाले लोगो के बीच कई नामों से जाना जाता है जैसे- e-cigarettes, e-vaporizers, या electronic nicotine delivery systems (ENDS). ये बैट्री से चलने वाला इलेक्ट्रॉनिक इनहेलर होता है, जो देखने में सिगार या पाइप का लुक देता है. बाजार में इन्हें e-cigs, e-hookahs, hookah pens, vapes, vape pens भी कहा जाता है. ये महंगी होती हैं 1500 से लेकर 5000 तक की कीमत में ऑनलाइन मिलती हैं. एक बार पैसा डालिए और रीफिल करते रहिए.

ई-सिगरेट काम कैसे करती है

ज्यादातर ई-सिगरेट चार भागों से मिलकर बनी होती है-

- कार्ट्रेज या reservoir जिसमें liquid भरा होता है, इसे e-liquid या e-juice कहते हैं. इस लिक्विड में निकोटीन, फ्लेवरिंग और दूसरे कैमिकल अलग अलग मात्रा में होते हैं.  इसे आप रीफिल की तरह समझ सकते हैं.

- Atomizer जो गर्म करता है.

- बैटरी जिससे इस उपकरण को पॉवर जी जाती है.

- माउथपीस, जो इन्हेल करने के लिए व्यक्ति अपने मुंह में लेता है.

कई ई-सिगरेट में, पफिंग के द्वारा बैटरी चलने लगती है और हीटिंग डिवाइस सक्रिय हो जाता है. ये हीटिंग डिवाइस cartridge में भरे लिक्विड को भाप में बदल देता है. व्यक्ति इस भाप को अंदर खींचता है और तब उसे ये अनुभव होता है कि वो सिगरेट पी रहा है. यानी इसमें व्यक्ति धुंआ अंदर न लेकर वाष्प लेता है. इसे ही vaping कहा जाता है.

E-cigarette

बैन की नौबत क्यों आई

1 जून को हुई ड्रग कंसल्टेटिव कमेटी मीटिंग में एक्स्पर्ट्स ने इस बात की पुष्टि की थी कि ई-सिगरेट और ऐसे दूसरे उपकरणों को Drug and Cosmetics Act, 1940 (DCA) के सेक्शन 3(b) के तहत ड्रग माना जाएगा. लिहाजा DCA के सेक्शन 26(A) के तहत उन्हें बैन किया जाना चाहिए. electronic nicotine delivery systems के तहत ई-सिगरेट, हीट-नॉट-बर्न स्मोकिंग डिवाइसेस, वेप एंड ई-निकोटीन फ्लेवर्ड हुक्का जैसे वैकल्पिक धूम्रपान उपकरण आते हैं जिनपर प्रतिबंध लगाना मोदी सरकार 2.0 के पहले 100 दिनों के एजेंडे की प्राथमिकताओं में था.

2006 से ई-सिगरेट अमेरिका में उपलब्ध हैं. और इसे धूम्रपान के विकल्प के रूप में लिया गया था. तब ये कहा जाता था कि ये धूम्रपान छोड़ने में आपकी मदद कर सकता है. लेकिन तब इस दावे पर कोई शोध नहीं किया गया था. लेकिन बाद में जब vaping के दुष्परिणाम सामने आए तो पता चला कि ई- सिगरेट भी आम सिगरेट से कम हानिकारक नहीं हैं.

हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प ने भी ई-सिगरेट पर बैन करने की घोषणा की थी क्योंकि इससे कई लोगों की जाने भी जा चुकी हैं. अमेरिकी राज्यों मिशिगन और न्यूयॉर्क ने पहले ही vaping पर बैन लगाया हुआ है. ब्राजील, सिंगापुर, थायलैंड समेत 30 से ज्यादा देशों ने वेपिंग पर बैन लगाया हुआ है.

अमेरिका के Centers for Disease Control and Prevention (CDC) ने हाल ही में कहा था कि वेपिंग से जुड़ी फेफड़ों की बीमारी के करीब 450 से ज्यादा मामले अमेरिका में हैं.

कितनी नुकसानदेह हैं ई-सिगरेट

हाल ही किए गए शोध से ये सामने आया कि ई-सिगरेट से अस्थमा समेत कई दूसरी बीमारियां हो सकती हैं. ई-सिगरेट में आने वाले कैमिकल जानलेवा हैं. कुछ ब्रांड्स ई-सिगरेट में फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो बेहद खतरनाक और कैंसरकारी तत्व हैं. इसके दुष्प्रभावों से लंग्स कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.

ICMR द्वारा जारी किये गए व्हाइट पेपर के मुताबिक ई-सिगरेट व्यक्ति के डीएनए को क्षतिग्रस्त कर सकता है. इसके अलावा ई-सिगरेट की वजह से सांस, हृदय और फेफड़े से संबंधित तमाम बीमारियां हो सकती हैं. दूसरी तरफ, ई-सिगरेट का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान भ्रूण के विकास में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.

और सबसे बड़ा कारण ये कि ई-सिगरेट अपने पॉजिटिव इमेज की वजह से किशोरों में बेहद पॉपुलर है. इसने बहुत तेजी से टीनेजर्स के बीच जगह बनाई है. एक शोध में पाया गया था कि कम उम्र से ही ई-सिगरेट पीने वाले बच्चे जल्दी ही धूम्रपान के आदी हो गए. यानी ई-सिगरेट भविष्य में सिगरेट पीने की संभावनाओं को भी बढ़ाती हैं.

E-cigaretteकिशोरों में ई-सिगरेट पीने का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है

एक और शोध में भी ये पाया गया कि ई-सिगरेट वास्तव में किशोरों में सिगरेट पीने को प्रोत्साहित कर सकती है. एक शोध बताता है कि सामान्य सिगरेट पीने वाले भले ही सिगरेट पीना छोड़ दें, लेकिन ई-सिगरेट पीने वालों के लिए इसे छोड़ना काफई मुश्किल होता है. 800 लोगों पर एक और शोध किया गया जो ये कहते थे कि उन्होंने ई-सिगरेट पानी इसीलिए शुरू किया जिससे वो सामान्य सिगरेट पीना छोड़ सकें. लेकिन एक साल के बाद केवल 9% लोग ही सिगरेट छोड़ सके. ये सारे शोध ये बताने के लिए काफी हैं कि सिगरेट पर बैन लगाना बेहद जरूरी था.

इस बैन से भारत को कितना फर्क पड़ेगा

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में ई-सिगरेट के 460 ब्रांड मौजूद हैं और 150 से भी ज्यादा फ्लेवर में मिलते हैं. लेकन भारत में एक भी नहीं जो ई-सिगरेट बनाता हो. यानी भारत में इसकी मैनुफैक्चरिंग होती ही नहीं है. ये गैर-लाइसेंस वाले प्रोडक्ट्स हैं, जो अवैध रूप से भारत में बेचे जा रहे हैं. तो भारत को इससे कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही है. सेहत और स्वास्थ्य का तो है ही साथ ही अगर मुनाफे की दृष्टि से देखें तो जब ई-सिगरेट मिलनी बंद हो जाएंगी तो सामान्य सिगरेट की तरफ इंसान बढ़ेगा ही. इसमें ITC का फायदा ज्यादा नजर आ रहा है.

क्या इससे किसानों को फायदा होगा

ये दो और दो चार वाली बात है कि अगर भारत में ई-सिगरेट बैन नहीं होगी तो तम्बाकू किसानों के लिए मुश्किल होगी. खबरों के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन ने केंद्र से देश में वैपिंग उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी. इनका कहना था कि- “अगर भारत में ई-सिगरेट को अनुमति दी जाती है, तो इसका भारत में तम्बाकू किसानों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा. कारण यह है कि ई-सिगरेट कंपनियां जो भारत में दुकानें खोलने की कोशिश कर रही हैं, वो विदेशी मूल की हैं और वो भारतीय तंबाकू का उपयोग नहीं करतीं. दरअसल, ये ई-सिगरेट जिन देशों की हैं, जैसे अमेरिका आदि उन्होंने खुद इनपर प्रतिबंध लगा रखा है.' अब बैन के बाद कम से कम तंबाकू किसान तो खुश होंगे.

ई-सिगरेट पापी है तो बाकी सिगरेट पवित्र हैं क्‍या?

सारी बात सही है कि ई-सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. बच्चों पर गलत असर हो रहा है. बीमारियों का खतरा है. फायदा कम नुकसान ज्यादा है लेकिन इससे इस बात को तो नकारा नहीं जा सकता कि सामान्य सिगरेट ई-सिगरेट से ज्यादा हानिकारक हैं. और यदि हैं तो फिर बैन सिर्फ ई-सिगरेट पर क्यों, सामान्य सिगरेट पर क्यों नहीं. सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं, जिन्हें बाद में जवाब देंगे कहकार टाला जा रहा है. प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि 'इस सवाल का उत्तर आपको दो दिन बाद मिलेगा, जब आप डॉ. हर्षवर्धन के साथ चर्चा करेंगे. लेकिन ई-सिगरेट की वजह से देश में एक नया एडिक्शन तैयार हो रहा है, जिसपर लगाम जरूरी है.'

ये बैन बिल्कुल वैसा है जैसे शराब पर प्रतिबंध तो लगा दिया लेकिन शराब बनाने वालों पर नहीं. उसी तरह ई-सिगरेट पर बैन तो लगा दिया जो कम ही लोग इस्तेमाल करते हैं, पैसे वाले इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उस सिगरेट पर नहीं लगाया जो हर किसी की पहुंच में है. और ज्यादा नुकसान करती है. 

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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