औरत को हराने का आखिरी हथियार रेप ही क्यों होता है?
17 फरवरी की रात मलयालम सिनेमा की एक मशहूर अभिनेत्री केरल के त्रिचूर से कोच्चि जा रही थी. तभी कुछ लोगों ने उसकी कार का रास्ता रोक लिया. उसके बाद जो हुआ...
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प्रसिद्ध मलयाली अभिनेत्री के अपहरण और उसके साथ छेड़छाड़ की घटना दिन-ब-दिन घिनौना रुप लेती जा रही है. बीते 17 फरवरी की रात अभिनेत्री केरल के त्रिचूर से कोच्चि जा रही थी. तभी कुछ लोगों ने उसकी कार का रास्ता रोक लिया. इनलोगों ने चलती गाड़ी में अभिनेत्री के साथ ना सिर्फ छेड़छाड़ की बल्कि उसकी कई अर्धनग्न तस्वीरें भी ली ताकि बाद में इसे ब्लैकमेल किया जा सके.
घटना का मास्टरमांइड पल्सर सुनील को माना जा रहा है. सुनील पेशे से ड्राइवर है और केरल फिल्म इंडस्ट्री के कई एक्टरों का ड्राइवर भी वो रह चुका है. ऐसा माना जा रहा है कि सुनील और उसके गैंग ने अभिनेत्री का फिल्मी करियर खत्म करने के इरादे से उसके साथ अपहरण और छेड़छाड़ की थी. कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि अभिनेत्री के साथ इस छेड़छाड़ और अपहरण की घटना को इंडस्ट्री में उनके प्रतिद्वंद्वीयों के इशारे पर ही अंजाम दिया गया है.
इस पूरी घटना के बाद सिर्फ एक ही सवाल मेरे ज़ेहन में बार-बार कौंध रहा है. अगर पीड़िता और किसी इंसान के बीच किसी तरह की कोई अनबन या दुश्मनी होती है तो फिर महिला को सबक सीखाने के लिए उसके साथ छेड़छाड़ जैसे रास्ते ही क्यों अपनाए जाते हैं? इस घटना ने एक बार फिर सदियों पुरानी एक सोच को फिर से सामने ला खड़ा किया. पुराने ज़माने में ये माना जाता था कि अगर किसी महिला को अपनी औकात में रखना है तो उसकी इज्जत को तार-तार कर दो. क्योंकि इज्जत तो औरत का गहना होती है ना!
प्रतीकात्मक फोटो साभार - गणेश टोस्टीइस तरह की घटनाएं आज के दौर की महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता की बातों को खोखला साबित कर देती हैं. इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि महिला को सम्मान जैसी बातें कोरी बकवास हैं. हमारी फिल्में भी इसमें पीछे नहीं हैं. कई बार जब विलेन को हिरोइन से बदला लेना होता है या हिरोइन को सबक सीखाना होता है तो वो उसका रेप कर देता है. यही नहीं ये भी दिखाते हैं कि अगर परिवार के किसी इंसान से बदला लेना है तो गुंडे उस घर की लड़की परेशान करने लगते हैं.
अब इसे कोरी कल्पना मानें या सच्चाई लेकिन आज भी किसी भी महिला या उसके परिवार से बदला लेना है तो उस घर की स्त्री की इज्जत को ब्रह्मास्त्र के रुप में प्रयोग किया जाता है. इस सारी सोच की जड़ महिला और उसके कौमार्य की महत्ता ही है. अगर किसी भी महिला का यौन उत्पीड़न हुआ है तो सारा समाज उसे अछूत मानने लगता है. उस पीड़िता को ही अपराधी घोषित कर दिया जाता है, जैसे कि उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसके लिए वही जिम्मेदार है. समाज ऐसी लड़की को दागदार प्रमाणित कर देता है.
यही सोच और इसी तरह की मानसिकता वाले 'बुद्धिजीवी' लोगों का ही हाथ मलयाली अभिनेत्री के हमले के पीछे भी है. जो उसका करियर और उसकी इज्जत को खत्म करना चाहते थे उन्होंने भी इसी घटिया, शॉर्ट-कट और अचूक तरीके को अपनाने की सोची और अंजाम भी दिया. लेकिन ये क्या? यहां तो उन्हें ही धक्का लग गया. उनका सारा दांव ही उल्टा पड़ गया.
फोटो क्रेडिट- गणेश टोस्टीयहां पीड़िता उनके और अपनी तथाकथित इज्जत खराब होने के डर से चुप नहीं बैठी. उसने इस पूरी घटना को पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया. अभिनेत्री की इस हिम्मत का ही परिणाम है कि सात हमलावरों में कुछ की गिरफ्तारी भी हो गई औ यही नहीं सारी फिल्म इंडस्ट्री उसके पीछे खड़ी हो गई. मलयालम सिनेमा के धुरंधर मामूटी से लेकर बॉलीवुड के सेलिब्रिटी खुलकर अभिनेत्री के पक्ष में आए.
इससे एक बात तो साबित होती है कि ज्यादा कुछ नहीं अगर यौन शोषण का सामना करने वाली औरतें मुखर हो जाएं. खुद पर हुए इस अत्याचार के खिलाफ डटकर खड़ी हो जाएं तो दुनिया उनके आगे झुकने को मजबूर हो ही जाएगी.
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