लगता है अब योगी जी राम मंदिर बनवा कर ही रहेंगे..
योगी सरकार चाहती है कि राम की मूर्ति स्थापित करने के लिए 330 करोड़ का निवेश CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत किया जाए. पर क्या ये सही है?
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उत्तर प्रदेश में अब राम की मूर्ति एक पर्यटन स्थल के तौर पर बनाई जाएगी. कम से कम योगी सरकार का प्लान तो यही है. योगी सरकार ने कॉर्पोरेट कंपनियों से उनके CSR यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत 330 करोड़ रुपए सरयू घाट पर 100 मीटर लंबी राम भगवान की मूर्ति के लिए लेने का प्रस्ताव रखा है.
यूपी के टूरिज्म डिपार्टमेंट ने 10 दिन पहले एक किताब रिलीज की है जिसका नाम है "Opportunities of investment under Corporate Social Responsibility (CSR) in Tourism Sector" (टूरिज्म सेक्टर में CSR के तहत निवेश के अवसर). इस किताब में यूपी के 86 टूरिज्म प्रोजेक्ट्स के लिए CSR इन्वेस्टमेंट की मांग रखी गई है. इसमें अयोध्या, वाराणसी और गोरखपुर मुख्य तौर पर हैं.
पर CSR के तहत जहां कंपनियां भारत के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में निवेश कर टैक्स में छूट पा सकती हैं वो असल में है क्या?
ये सिर्फ एक पॉलिसी नहीं है बल्कि एक सामाजिक ज़िम्मेदारी है उन लोगों के लिए काम करने की जो समाज में निचले तब्के के हैं और उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने की एक पहल है. कॉर्पोरेट कंपनियां अपने नेट प्रॉफिट का 2% हिस्सा CSR के तहत अलग-अलग सामाजिक प्रोजेक्ट्स में लगा सकती हैं. ये कंपनी एक्ट 2013 के सेक्शन 135 के तहत आता है और किन सामाजिक चीजों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है वो भी दिया गया है, जिसमें...
1. भुखमरी को मिटाना, गरीबी खत्म करना, स्वास्थ्य, स्वच्छता और साफ पानी की व्यवस्था करने के लिए CSR का इस्तेमाल करना शामिल है.
2. शिक्षा के क्षेत्र में काम करना, खास कौशल और रोजगार पैदा करने वाले कोर्स के लिए काम करना, खासतौर पर युवाओं और बच्चों के लिए शिक्षा की सही व्यवस्था करना, महिलाओं, बुजुर्गों और विकलांगों के लिए जीविका के साधन बढ़ाने वाले प्रोजेक्ट्स में पैसे देना.
3. लैंगिक समानता के लिए, महिला सशक्तीकरण के लिए, अनाथ बच्चों और बेघर महिलाओं के घरों-हॉस्टल, ओल्ड एज होम बनाना, डे केयर सेंटर बनाना, वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करना, सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए काम करना शामिल है.
4. बच्चों का मॉर्टेलिटी रेट कम करने, नई माओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं बनाने और कम कीमत में दवाएं उपलब्ध करवाने के लिए.
5. अस्पताल और डिस्पेंसरी की सुविधा सभी को पहुंचाना और साथ ही साफ-सफाई का ध्यान रखता ताकि कोई बिमारी न फैले और AIDS, मलेरिया और अन्य बीमारियों के क्षेत्र में काम करना शामिल है.
6. पर्यावरण के क्षेत्र में काम करना, वनस्पतियों और जीवों, जानवरों, खेती, प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में काम के लिए, साथ ही साथ मिट्टी, हवा और पानी की सुरक्षा और सफाई के लिए काम करना शामिल है.
7. रोजगार के लिए व्यावसायिक कौशल बढ़ाने के लिए काम करना.
8. राष्ट्रीय घरोहर की सुरक्षा करना, कला और संस्कृति की सुरक्षा और मेंटेनेंस, बिल्डिंग और साइट्स जहां ऐतिहासिक घरोहरें हैं उनकी सुरक्षा करना, पब्लिक लाइब्रेरी बनाना, पारंपरिक कलाऔर हस्तशिल्प का डेवलपमेंट करना शामिल है.
9. पूर्व सैनिकों, सैनिकों की विधवाओं और उनके बच्चों का ध्यान रखने के लिए चलाए जाने वाले प्रोजेक्ट शामिल हैं.
10. ग्रामीण खेलों, राष्ट्रीय खेलों और ओलिंपिक जैसे खेलों के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था करना और खिलाड़ियों के विकास के लिए काम करना शामिल है.
11. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय रिलीफ फंड या ऐसे ही किसी अन्य फंड में सरकार को चंदा देना जो सामाजिक और आर्थिक सुधार में मदद करे और साथ ही पिछड़ी जातियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को मदद कर सके.
12. केंद्र सरकार द्वारा पारित तकनीकी सुविधाएं प्रदान करने वाले प्रोजेक्ट जो शैक्षिकसंस्थानों को मदद कर सके उसमें निवेश करना.
13. ग्रामीण विकास की योजनाओं में पैसा लगाना.
14. झोपड़पट्टियों के विकास की योजनाओं में पैसा लगाना.
ये खास तौर पर लिखा गया है कि सभी CSR योजनाओं को पर्यावरण के अनुकूल होना होगा और साथ ही सामाजिक तौर पर मान्यता मिलनी होगी.
पहली बार नहीं होगा CSR का ऐसा इस्तेमाल..
ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी मूर्ति के लिए CSR का सहारा लिया जा रहा हो. लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति 'Statue of Unity' को बनाने के लिए भारत की एक बड़ी पब्लिक सेक्टर तेल कंपनी ने 121 करोड़ रुपए CSR के तहत दिए थे. स्टैचू ऑफ यूनिटी का बजट 2 हजार करोड़ रुपए था. इस मूर्ति को बनाने से पहले भी कई विवाद हुए थे, जमीन से लेकर पर्यावरण तक काफी बातें कहीं गईं थीं, लेकिन ये मूर्ति बनी जरूर.
CSR गाइडलाइन जो 1 अप्रैल 2014 से लागू की गई थी उसमें कहीं भी धार्मिक स्थलों का बनाना CSR के जरिए शामिल नहीं किया गया था. हां, ये जरूर लिखा गया था कि कंपनियां ये पैसा नैशनल हैरिटेज प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं. इसमें कला, संस्कृति से जुड़ी चीजें, बिल्डिंग और स्थान शामिल हैं.
जब से मोदी सरकार सत्ता में आई CSR का इस्तेमाल स्वच्छ भारत कोश और गंगा की सफाई के फंड के लिए भी होने लगा और अब लग रहा है कि शेड्यूल 7 CSR एक बार फिर से बदला जाएगा और इसमें धार्मिल स्थल को बनाना और उसकी मेंटेनेंस भी शामिल की जाएगी. हालांकि, ये सिर्फ अटकलें ही हैं.
यकीनन मंदिरों में, मूर्तियों के लिए निवेश करना भारतीयों के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन CSR का असली मकसद भारत में सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को कम करने के लिए योगदान देना है और इसके तहत कंपनियों को सामाजिक कार्य के लिए टैक्स में छूट मिलती है. अब धार्मिक स्थलों पर इतना खर्च सोचना वाजिब नहीं लगता.
अगर CSR का इस्तेमाल वाकई उन सेक्टर पर किया जाए जहां से आम आदमी को ज्यादा फायदा हो तो क्या ये राम राज जैसा माहौल नहीं होगा? अगर वाकई राम राज स्थापित हो गया तो जनता खुद ही अपने पैसे से राम की मूर्ति बनवा सकती है, लेकिन ऐसा तब होगा जब पैसा उत्तर प्रदेश के उद्धार में लगाया जाए और न की ऐसी मूर्ति बनवाने के लिए जहां टूरिज्म से लोगों को कितना फायदा होगा इसका अंदाजा ठीक तौर पर नहीं लगाया जा सकता है.
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