क्यों खास है इस बार इंग्लैंड में खेली जा रही एशेज सीरीज
क्रिकेट की दुनिया में सबसे पुरानी और प्रतिष्ठापूर्ण सीरीज ताे ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच होने वाली एशेज सीरीज को ही कहा जाता है. लेकिन इस बार यह सीरीज दोनों पुराने प्रतिद्वंदियों के बीच स्पर्धा से ज्यादा क्रिकेट के बदलते नियमों की वजह से चर्चा में है.
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बहुत ही जल्द क्रिकेट के इतिहास की सबसे चिरपरिचित सीरीज़ यानी की एशेज सीरीज़ (Ashes series 2019) का आगाज होने वाला है. लेकिन इस बार की यह सीरीज़ कई मायनों में बेहद अहम है. इस बार एशेज में कई बदलाव के साथ नए नियमों को मंजूरी दी गई है. मसलन इस बार एक अगस्त से होने वाली एशेज सीरिज में पहली दफा होगा कि टेस्ट क्रिकेट में जर्सी पर खिलाड़ियों के नाम के साथ ही उनका जर्सी नंबर भी लिखा होगा. ऐसा टेस्ट क्रिकेट में पहले कभी नहीं हुआ है. हालांकि ODI और T20 क्रिकेट में ऐसा पहले से होता रहा है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में इसे आजमाया जाना अपने आप में अनूठा मामला होगा. क्योंकि आधुनिकता के रंग में रंगते जा रहे क्रिकेट के कारण अपनी पहचान खोता जा रहा टेस्ट क्रिकेट अब लोगों के लिए उबाऊ बनता जा रहा है. इसलिए कोशिश यह है कि टेस्ट क्रिकेट को इसके जरिये थोड़ा और रोचक किया जाए.
लेकिन यहां सवाल यह पैदा होता है कि क्या इस फैसले से टेस्ट क्रिकेट की साख पर बट्टा तो नहीं लगने वाला? क्योंकि जिस तेजी के साथ वाइट बॉल क्रिकेट हावी होता जा रहा है. उस हिसाब से आगे भी कई नियमों में बदलाव किए जा सकते हैं. मसलन आगे टेस्ट जर्सी में स्पांसर टैग, अलग-अलग कंपनियों के नाम जो हम ODI और T20 की जर्सी पर देखते ही रखते हैं, क्या ये सब करने से टेस्ट के सूरतेहाल में बदलाव किया सकता हैं. पारंपरिक क्रिकेट को देखने और जानने वाले इसे स्वीकार कर पाते हैं या नहीं यह तो उनका ज्यातीय मामला है. लेकिन एक आम क्रिकेट प्रेमी के लिए जिसके जेहन में टेस्ट की अभी वही सादगी और पारंपरिकता बसी हुई है जिसे वो अबतक देखता आ रहा है. अब टेस्ट में भी प्रतिस्पर्धा को शामिल किये जाने लगा है. ये सिलसिला कहां पर रुकता है ये तो ICC वाले ही जानें. मगर इस नए तेवर और नए कलेवर के अलावा टीमों को ऐसे बल्लेबाज और गेंदबाज पैदा करने चाहिए जो टेस्ट क्रिकेट की स्किल्स को दोबारा जिंदा कर सकें, जिससे टेस्ट क्रिकेट का वह रोमांच वापस आ सके जिसका वो हकदार है.
1 अगस्त से इंगलैंड में शुरू हो रही है एशेज सीरीज
वहीं एक और खास चीज इस बार से शुरू हो रही है, वह ये कि इस बार सब्स्टिट्यूट खिलाड़ियों से जुड़ा हुआ एक नया नियम लागू होगा. इस नए नियम के मुताबिक मैच के दौरान अगर कोई खिलाड़ी घायल होता है या शारीरिक रूप से मैच खेलने की स्थिति में नहीं होता है तो उसकी जगह बेंच से किसी खिलाडी को शामिल किया जा सकता है. वह खिलाड़ी मैच से बाहर हुए खिलाड़ी की जगह बल्लेबाजी, गेंदबाजी और विकेटकीपिंग भी कर सकता है. हालांकि इसका फैसला मेडिकल टीम से जुड़े लोग ही करेंगे. इस नए कन्कशन सब्स्टिट्यूट नियम को ICC ने मंज़ूरी दे दी है. ऑस्ट्रेलिया इस नियम का उपयोग पहले से ही अपने घरेलु टूर्नामेंट में करता रहा है.
मौजूदा समय में अगर देखें तो इंग्लैंड इस वक़्त वर्ल्ड क्रिकेट का बादशाह बन चुका है और उसका मनोबल इस समय काफी ऊंचा है. इंग्लैंड की हालिया फॉर्म इस वक़्त काबिलेतारीफ़ है. इंग्लैंड ने 2019 वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में जिस जोश और जज्बे के साथ ऑस्ट्रलिया को पटखनी दी. ऑस्ट्रेलियाई प्रशंसक दांतों तले अंगुली ही चबाते रह गए. पिछले एक साल से इंग्लैंड ने जितनी भी टेस्ट क्रिकेट खेली है, उसमें उसका प्रदर्शन लाजवाब रहा है. पिछले साल ही उनसे घर में इंडिया जैसी मज़बूत टीम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिए थे. वहीं ऑस्ट्रेलिया का ये साल टेस्ट के लिहाज से अच्छा नहीं रहा, उसे अपने ही घर में इंडिया ने करारी मात दी. ऐसे में एशेज सीरीज इस बार फिर अंग्रेजों की सरजमीं पर हो रही है. पिछली एशेज सीरीज गवाने के बाद इंग्लैंड भी इस बार पूरा बदला लेने के मूड में है. साल 2005 के बाद से आए बदलाव के बाद इंग्लैंड अब ऑस्ट्रेलिया पर काफी हावी रहा है. इस सीरीज में इंग्लैंड ने कहानी ही पलटकर रख दी. इंग्लैंड के तेज गेंदबाज़ स्टीव हर्मिशन, साइमन जोंस और एंड्रयू फ्लिंटॉफ की तिकड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ी खेमे में खलबली मचा दी थी. उसी तरह 2009 से लेकर 2013 तक इंग्लैंड का एशेज सीरीज पर एकतरफा कब्ज़ा रहा. साल 2015 में एक बार फिर इंग्लैंड ने बाजी मारी वहीं 2017 में ऑस्ट्रेलिया ने इसपर कब्ज़ा किया.
एशेज में कई बदलाव के साथ नए नियमों को मंजूरी दी गई है
एशेज से जुड़े कुछ खास रिकार्ड्स
यूं तो एशेज का इतिहास 100 साल से भी पुराना है. इस दौरान में इसमें कई रिकार्ड्स भी बने हैं. जैसे अगर बात करें तो एशेज में कुल अबतक 330 मुकाबले खेले जा चुके हैं जिसमें से ऑस्ट्रेलिया ने 134 और इंग्लैंड ने 112 मैच जीते हैं. इस दौरान कुल 90 मैच ड्रा भी रहे. वहीं अगर सीरीज़ के हिसाब से बात करें तो ऑस्ट्रेलिया ने 33 जबकी इंग्लैंड ने 32 सीरीज अपने नाम की हैं. हालांकि अगर ड्रा के लिहाज से बात करें तो दोनों टीमों के बीच आखिरी ड्रा सीरीज 47 साल पहले साल 1972 में खेली गयी थी. इस दौरान दोनों ही टीमों के बीच सीरीज 2-2 से ड्रा रही थी. साल 1956 में इंग्लैंड के जिम लेकर ने अपना परफेक्ट 10 का रिकॉर्ड बनाया था, उस टेस्ट में लेकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 90 रन देकर मैच में कुल 19 विकेट हासिल किये थे.
अब बात बल्लेबाजी और गेंदबाजी की
एशेज के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के सर डॉन ब्रेडमैन के नाम है. ब्रेडमैन 1928 से लेकर 1948 तक ऑस्ट्रेलिया के लिए खेले, इस दौरान उन्होंने 37 मैचों की 63 इनिंग्स में 89.78 के जबरदस्त एवरेज से 5028 रन बनाये. यही नहीं उन्होंने इस दौरान 19 शतक भी जड़े. अगर वहीँ इंग्लैंड की बात करें तो उनके तरफ से सर जैक हॉब्स ने सबसे ज्यादा 3636 रन बनाये हैं, इस दौरान उन्होंने कुल 12 शतक जड़े हैं. गेंदबाजी में शेन वार्न ने 4 जून 1993 को पहले टेस्ट मैच के दूसरे दिन अपने एशेज करियर की पहली गेंद इंग्लिश बल्लेबाज़ माइक गेटिंग को डाली. वार्न की ये गेंद लेग स्टंप के बाहर से टर्न से लेते हुए गेटिंग के बल्ले को चकमा देते हुये सीधे ऑफ स्टंप की गिल्लियां बिखेर दीं. शेन वार्न की इस गेंद को बॉल ऑफ़ द सेंचुरी का नाम दिया गया. वार्न की इस घातक गेंदबाजी का ही ये खौफ था कि शेन ने इस पूरी सीरीज में 34 विकेट चटकाए. शेन वार्न ने अपने 36 मैचों की 72 इनिंग्स में 195 विकेट अपने नाम किये हैं. जबकि इंग्लैंड के लिए सबसे ज्यादा विकेट सर इयान बॉथम ने लिए हैं. उन्होंने 32 मैचों में कुल 128 विकेट लिए हैं.
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