हिमा दास के मेडल्स से क्या फायदा? एथलेटिक्स में हम आज भी बहुत पीछे हैं!
हिमा दास के 19 दिन में 5 मेडल जीतने से भले ही खेल प्रेमी बहुत खुश हों मगर सच्चाई ये है कि जब बात एथलेटिक्स की आती है तो कई मायनों में हम बहुत बहुत पीछे हैं. ऐसे में सवाल ये भी है कि जब हमारे अंदर कमियां हैं तो हम ओलंपिक में मेडल कैसे जीत पाएंगे ?
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हिमा दास ने 19 दिन में 5 'इंटरनेशनल' गोल्ड मेडल जीते हैं. इन मेडल्स को लेकर लोग उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं, होनी भी चाहिए. गोल्ड तो गोल्ड है, ब्लॉक लेवल का हो या 'इंटरनेशनल' लेवल का. लेकिन इन गोल्ड मेडल्स को आधार बनाकर अगर आप सोच रहे हैं कि ओलंपिक या वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे इवेंट्स में भी मेडल्स आएंगे तो रुकिए, पढ़िए, सोचिए और फिर अपने काम में लग जाइए. हिमा के 5 में से 2 मेडल्स F कैटेगरी और 3 E कैटेगरी से आए हैं. आपको नहीं पता तो जान लीजिए कि इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन (IAAF) हर इंटरनेशनल इवेंट को रैंक करता है. ये रैंकिंग A से F तक होती है. अब सोचिए सबसे निचली रैंक के इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीतना कितना महत्वपूर्ण है.
हिमा दस ने 19 दिन में 5 गोल्ड जीते हैं मगर सवाल ये है कि क्या वो ओलंपिक में भी ऐसा ही प्रदर्शन कर पाएंगे
2 जुलाई से लेकर अब तक हिमा जितने एथलीट्स के खिलाफ उतरीं हैं उनमें से किसी का भी पर्सनल बेस्ट हिमा की टक्कर/उनसे बेहतर नहीं है. इनमें से ज्यादातर एथलीट 60मीटर इंडोर या 100 मीटर बाधादौड़ के स्पेशलिस्ट हैं.
इनमें से एक एथलीट ट्रैक एंड फील्ड छोड़कर शॉटपुट और जैवलिन थ्रो में शिफ्ट कर गई थी, पिछले ही साल ट्रैक पर वापस लौटी है.
तीसरी रेस में 6 एथलीट्स को उतरना था जिसमें से 2 ने नाम वापस ले लिया और फिर रेस में कुल 4 एथलीट्स भागे.
तथ्य यह भी है कि कोई भी एलीट एथलीट 3 हफ्ते में 5 इवेंट्स में नहीं उतरता, रिकॉर्ड देख लें.
400 मीटर रेस में सिर्फ भारतीय एथलीट्स थे.
इस साल 200 मीटर का रिकॉर्ड देखें तो स्पीड के मामले में हिमा 120 से ज्यादा एथलीट्स से पीछे चल रही हैं. 400 मीटर में उनसे बेहतर टाइमिंग वाली 70 से ज्यादा एथलीट्स हैं.
इससे पहले आप मुझे हिमा और बाकी स्पोर्ट्स का दुश्मन घोषित करें मैं आपको बता दूं कि इसमें हिमा की गलती नहीं है. IAFF की डायमंड लीग भी साथ ही चल रही थी लेकिन एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) ने अपने एथलीट्स को वहां नहीं भेजा क्योंकि उन्हें लगता है कि ये लोग उसके योग्य नहीं हैं, बेइज्जती हो जाएगी.
डायमंड लीग में दुनिया भर के टॉप एथलीट खेलते हैं, वहां जाते तो बेहतर कंपटिशन मिलता और शायद इससे हेल्प भी मिलती लेकिन इन्हें आसान प्रतियोगिता? में भेजा गया जहां जीतना तय था. हिमा वहां वर्ल्ड चैंपियनशिप के क्वॉलिफिकेशन मार्क से भी पीछे चल रही हैं. तो यह भी नहीं कह सकते कि वर्ल्ड ना सही पर्सनल लेवल पर ही सुधार हो रहा है. जाहिर तौर पर AFI और आदिल सुमारीवाला अपनी इज्जत बचाने के लिए पूरे देश को दिवास्वप्न दिखा रहे हैं.
इतने फैक्ट्स रखने के बाद भी अगर आप हिमा की उपलब्धियों से उत्तेजना के शिखर पर पहुंच गए हैं तो बहुत सुंदर. बस ओलंपिक में मेडल ना आने पर रोइएगा मत क्योंकि ब्रो ये आप ही हैं जो हवा में उड़ रहे हैं.एथलेटिक्स में हम आज भी बहुत बहुत पीछे हैं.
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