RCB vs LSG: बाजीगर है IPL play off में बाहर हुई लखनऊ टीम, सदके जाने का मन करता है!
क्रिकेट में कुछ भी निश्चित नहीं है और आईपीएल में तो बिल्कुल भी नहीं. आरसीबी ने इंडियन प्रीमियर लीग के एलिमिनेटर में जिस तरह लखनऊ सुपर जाइंट्स को घर भेजा हर कोई हैरत में है. भले ही टीम लखनऊ पहली बार आईपीएल में उतरी हो लेकिन जैसा गेम था लखनऊ को विनर माना जा रहा था. बाकी लखनऊ की हार पर किसी लखनऊ वाले को बहुत ज्यादा आहत होने की कोई जरूरत नहीं है.
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अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है. अख़बार में आया था कि आईपीएल के लिए लखनऊ ने कमर कास ली है. नए से लेकर पुराने लखनऊ तक लोग अभी इस खबर पर चर्चा कर ही रहे थे कि लखनऊ की टीम फाइनल हो गयी. केएक राहुल को टीम का कप्तान और एंडी फ्लावर को टीम का हेड कोच बनाया गया. जबकि गौतम गंभीर मेंटॉर के रूप में टीम के मालिक संजीव गोयनका द्वारा स्थापित किये गए. अच्छा टीम में लखनऊ का कोई खिलाड़ी नहीं था. इसलिए टीम की घोषणा के वक़्त लखनऊ वालों ने साफ़ कह दिया था कि, 'की फर्क पैंदा! सानू की... लेकिन क्योंकि भारत क्रिकेट का देश है. यहां लोग क्रिकेट की कसमें खाते हैं. उसपर जीते मरते हैं इसलिए भले ही टीम लखनऊ यानी लखनऊ सुपर जाएंट्स में कोई भी लखनऊ का खिलाड़ी न रहा हो बावजूद इसके सिर्फ लखनऊ के नाम पर लखनऊ वालों ने टीम को खेलते देखा.
आईपीएल के वर्तमान सीजन में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण सुर्ख़ियों में आई टीम लखनऊ सुपर जायंट्स का जीत का सिलसिला प्लेऑफ में खत्म हो गया है. एलिमिनेटर मैच में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने लखनऊ को 14 रनों के मामूली अंतर से हरा दिया है. भले ही टारगेट बड़ा रहा हो, लेकिन मानना पड़ेगा टीम के कप्तान के एल राहुल को. उन्होंने इज्जत रख ली. अपने इस मैच में केएल राहुल ने 58 गेंदों पर 79 रन बनाए जिसमें 3 चव्वे और 5 छक्के शामिल हैं.
आरसीबी से हार के बावजूद टीम लखनऊ ने लखनऊ वालों को गर्व करने का मौका दे दिया है
टीम क्यों हारी? कैसे हारी? ऐसा क्या था? जिसपर यदि टीम लखनऊ और कप्तान के एल राहुल ने ध्यान दिया होता तो साल 2022 का कप लखनऊ की झोली में होता. जैसी किसी बात पर हम चर्चा नहीं करेंगे. बिलकुल नहीं करेंगे. मगर हम पॉइंट्स टेबल से जरूर ही लोगों को रू-ब-रू कराएंगे.
भले ही आरसीबी से मैच हारकर लखनऊ के उम्मीद के बादल छंट गए हों. लेकिन इस आईपीएल में टीम लखनऊ ने कुल 14 मैच खेले. टीम लखनऊ सुपर जाएंट्स ने 9 मैचों में जीत का मजा चखा जबकि 5 मैच ऐसे थे जिसमें टीम को हार का मुंह देखना पड़ा.
18 पॉइंट्स और +0.251 एनपीपी के साथ तीसरे पायदान पर आई लखनऊ सुपर जायंट्स के बारे में यूं तो सैंकड़ों निगेटिव तर्क दिए जा सकते हैं. मगर क्या टीम लखनऊ सच में निगेटिव रिव्यू की हक़दार है? जवाब है नहीं.
चाहे वो चौक और अमीनाबाद की गलियों में बैठा कोई चिकन और जरदोजी का कारीगर रहा हो. या फिर खदरा, विकासनगर और गोमतीनगर का नागरिक. इस बात को किसी भी सूरत में ख़ारिज नहीं किया जा सकता कि टीम के बनते वक़्त किसी भी लखनऊ वाले ने टीम के प्रति अपना इंटरेस्ट शायद ही जाहिर किया हो. मगर जब लोगों ने टीम को खेलते देखा और खेलने से भी बढ़कर जीतते देखा लखनऊ वालों के दिल में छिपा लखनऊ बाहर आया और उसने अपनी टीम अपने लोगों (भले ही टीम में लखनऊ का कोई न रहा हो) को सपोर्ट किया.
लखनऊ प्लेऑफ से बाहर हो गयी है लेकिन लखनऊ के किसी भी नागरिक को इसके लिए आहात होने की जरूरत नहीं है. अपने पहले ही सीजन में लखनऊ की टीम का न केवल खलेना. बल्कि जीतना और जीत्तते ही जाना इस बात की तस्दीख कर देता है कि अब जब दोबारा आईपीएल का सीजन आएगा लखनऊ की टीम और टीम से जुड़े खिलाड़ी बस बवाल काटकर रख देंगे.
जिस तरह बिलकुल नयी टीम होने के बावजूद टीम लखनऊ ने 14 मैचों में से 9 में जीत दर्ज की और नंबर 3 की पोजीशन पर अपना कब्ज़ा जमाया. ये ख़ुशी ठीक वैसी ही है जैसे बरसों से लखनऊ से बाहर रह रहे किसी लखनवी को रत्ती या दुर्गा के खस्ते, बाजपेयी की पूड़ी टुंडे के कबाब और इदरीस की बिरयानी मिलना.
हम फिर अपनी बात को दोहराना चाहेंगे कि भले ही टीम के मालिकों ने टीम लखनऊ में लखनऊ वाला एक भी खिलाड़ी न डाला हो. मगर क्योंकि टीम के नाम में लखनऊ है तो चाहे वो क्रिकेट का प्रेम हो या फिर लखनऊ का मोह हमने अपने आप को न चाहते हुए भी टीम से जोड़ लिया है. चाहे अच्छी हो या बुरी टीम सौ तक हमारी है.
टीम का आरसीबी से मुकाबला एक निर्णायक मुकाबला था. चाहे वो टीम के कप्तान के एल राहुल रहे हों या फिर टीम लखनऊ सुपर जायंट्स के अन्य खिलाड़ी. सबने खेला और दिल खोलकर खेला और हमें गर्व करने का मौका दिया. बाकी आज आईपीएल की अंक तालिका में हम लखनऊ के कारण नंबर 3 पर आए हैं. कल हमारा होगा नंबर1 पर बादशाहत और नवाबियत दोनों ही हमारी होगी.
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