सुनील छेत्री की दर्शकों से अपील ने हमारे दोहरे व्यवहार को सामने ला दिया
खेल को दूसरा धर्म मानने वाले देश के लोगों के लिए सुनील छेत्री की अपील एक जोरदार तमाचा है.
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ताइपे के खिलाफ अपने हैट-ट्रिक के बाद, भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री, अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलरों की गोल-स्कोरिंग सूची में क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी के बाद तीसरे स्थान पर आ गए हैं. इंटरकांटिनेंटल कप में 4 जून को जब भारत, केन्या से भिड़ेगा तो छेत्री 100 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले दूसरे भारतीय बन जाऐंगे.
2005 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत के बाद से छेत्री भारतीय फुटबॉल के पोस्टर ब्वॉय रहे हैं. कम शब्दों में कहें तो छेत्री एक ऐसे देश में स्पोर्टिंग लीजेंड हैं, जो अपने क्रिकेट सितारों की पूजा करता है और उन्हें भगवान की तरह पूजता है.
अपने रिकॉर्ड के आधार पर छेत्री को वही जगह मिलनी चाहिए जो विराट कोहली को मिली हुई है. होना तो यही चाहिए. लेकिन ऐसा है नहीं. क्योंकि अगर ऐसा होता तो विश्व फुटबॉल के सबसे प्रभावशाली स्कोररों में से एक को अपने ही देशवासियों से उन्हें और उनके साथियों को मैच खेलते देखने आने की गुजारिश करने की आवश्यकता नहीं होती.
This is nothing but a small plea from me to you. Take out a little time and give me a listen. pic.twitter.com/fcOA3qPH8i
— Sunil Chhetri (@chetrisunil11) June 2, 2018
भारत के फुटबॉल कप्तान ने अपने देशवासियों से एक भावुक कर देने वाली अपील की: "आप सभी को, जिनका विश्वास हम पर से खत्म हो गया है और भारतीय फुटबॉल से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है, मैं आप सभी से आने और स्टेडियम में हमारा मैच देखने के लिए अनुरोध करता हूं. इंटरनेट पर आलोचना करना या हमें अपशब्द कहना मजेदार नहीं है. स्टेडियम में आएं, हमारे सामने हमारी आलोचना करें, हम पर चिल्लाएं, हमें गालियां दें और कौन जानता है, एक दिन हम आपको बदल सकते हैं. शायद आप फिर हमारे लिए चियर करना शुरु कर दें."
यह दो मिनट, 20 सेकंड की क्लिप थी. लेकिन इतनी ही देर में छेत्री ने भारत के खेल प्रशंसकों जता दिया कि भारतीय फुटबॉल और फुटबॉल सितारों के प्रति उन्हें अपने व्यवहार पर सोचने की जरुरत है.
यह उस एक पीढ़ी के लिए बड़ी ही अपमानजनक बात है जो यूरोपीय फुटबॉल की फैन है. जब रियल मैड्रिड ने चैंपियंस लीग के फाइनल में लिवरपूल को हराता है तो सोशल मीडिया पर लोगों ने बढ़चढ़ कर लिखा. यहां तक की जब भी जोस मॉरीन्हो बार बार अपना पैर अपने मुंह में रखता है तो भी सोशल मीडिया पर इसकी खुब चर्चा होती है. लेकिन भारतीय फुटबॉल के बारे में कौन बात करता है?
सुनील छेत्री की अपील ने हमारे सच को सामने ला दिया
भारतीय टीम एक टूर्नामेंट खेलने के लिए मुंबई में है जो विश्व फुटबॉल से कम नहीं है. लेकिन इनके लिए न तो कोई मीडिया अधिकार है, न कोई हाई प्रोफ़ाइल विज्ञापनदाता हैं, न ही देश के बड़े फुटबॉल खिलाड़ियों का कोई करिश्मा ही दर्शकों पर है. लेकिन फिर भी ये उनका दृढ़ संकल्प है. मुंबई की भयानक गर्मी में अपना पसीना बहाने वाले हर खिलाड़ी के भीतर की आग है. फीफा विश्व कप, सिर्फ कुछ दिन ही दूर है. भारत सहित पूरी दुनिया इस टूर्नामेंट के लिए पागल हो जाएगी लेकिन हम खुद अपनी ही टीम को अनदेखा करना जारी रखेंगे.
साफ बात है कि आखिर भारत, ताइपै, केन्या और न्यूजीलैंड के बीच हो रहे फुटबॉल मैचों की किसे चिंता है? कौन देखता है उन्हें? क्या आप मैनचेस्टर सिटी के कप उठाने का लाइव नहीं देखेंगे या फिर जिनेडिन ज़िडान ने रियाल मैड्रिड के कोच का पद छोड़ने का सनसनीखेज निर्णय लिया उसके हर मिनट की खबर नहीं रखेंगे? बाले के साथ क्या होता है? क्या रोनाल्डो मैड्रिड में ही रहेंगे? ओह, इन सारे विचारों का बोझ आपका दिमाग खराब कर सकता है!
एक मिनट के लिए रुककर सुनील छेत्री और उनके लड़कों के बारे में सोचें. वो आपके लिए खेल रहे हैं. भारत के लिए खेल रहे हैं. ऐसा करने के लिए उन्हें बहुत पैसा नहीं मिलता है. उन्हें अपने प्रोडक्ट का ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए कोई कतार नहीं है और टीवी मीडिया अधिकार सबसे मोहक नहीं हैं. लेकिन फिर भी यह एक भारतीय टीम है.
और इस भारतीय टीम उतने ही सम्मान की हकदार है जितनी हम अपने क्रिकेटरों, शटलर और निशानेबाजों को देते हैं. छेत्री भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के कप्तान हैं और वो एक स्टार हैं! चीनी ताइपे के साथ भारत का मैच देखने के लिए 2,000 से ज्यादा लोग आए. आखिर अपनी टीम के लिए लोगों का प्यार कहां है?
छेत्री का वीडियो वायरल के तुरंत बाद ही विराट कोहली उनके समर्थन में आगे आए. उन्होंने कहा, "मैं हर किसी से भारतीय फुटबॉल टीम का मैच देखने के लिए अनुरोध करना चाहता हूं."
Please take notice of my good friend and Indian football skipper @chetrisunil11's post and please make an effort. pic.twitter.com/DpvW6yDq1n
— Virat Kohli (@imVkohli) June 2, 2018
C'mon India... Let's fill in the stadiums and support our teams wherever and whenever they are playing. @chetrisunil11 @IndianFootball pic.twitter.com/xoHsTXEkYp
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) June 3, 2018
भारतीय फुटबॉल टीम का गुणगान करने के बाद कोहली ने भारत में खेलों के प्रति अपनी बात रखी. और अपने प्रशंसकों से कुछ करुणा दिखाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, "कुछ तो करुणा का भाव रखें, सोचें कि कैसे वे हमारे देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं."
करुणा? हमारे फुटबॉलरों को इसकी आवश्यकता नहीं है. उन्हें और अधिक सम्मान की जरुरत है, उन्हें अपने देशवासियों के समर्थन की जरुरत है. लेकिन निश्चित रूप से उन्हें किसी की दया या करुणा की जरुरत नहीं है? आखिर लोग फुटबॉल देखने जाएं इसकी सिफारिश करने के लिए किसी कोहली या तेंदुलकर को आगे आकर कहने की जरुरत क्या है?
मतलब क्या आप सिर्फ इसलिए ग्राउंड पर फुटबॉल देखने जाएंगे क्योंकि आपके क्रिकेट स्टार आपसे ऐसा करने की गुजारिश कर रहे हैं?
सोचिए कि छेत्री भारत के लोगों से हैदराबाद में हो रहे अंतरर्राष्ट्रीय टी20 मैच में भारत को खेलते देखने जाने की अपील कर रहे हों.
क्रिकेट के साथ ऐसा हो तो?
ये दुखद है. बहुत दुखद.
लेकिन ये इसमें सिर्फ फैन्स की गलती नहीं है. चार देशों के इस टूर्नामेंट को और अच्छे तरीके से सुनियोजित किया जाना चाहिए था. यहां पर एआईएफएफ कहां ठहरता है? उन्हें और अधिक सक्रिय होने की जरुरत है.
मैचों को उसी चैनल पर प्रसारित किया जा रहा है जिसपर आपको आईपीएल दिखाया जाता है. लेकिन फिर भी कितने लोगों को पता था कि दुनिया में सबसे अमीर टी-20 लीग के कुछ दिनों बाद ही एक फुटबॉल टूर्नामेंट होने वाला है.
छेत्री को प्रशंसकों से अनुरोध करते हुए देखना दिल तोड़ने वाला था. हालांकि मुद्दा बहुत बड़ा है. क्या सोमवार को केन्या के खिलाफ भारत के मैच में पूरा स्टेडियम भरा होगा? क्या छेत्री अपने युवा प्रशंसकों का उसी तरह मनोरंजन कर पाएंगे जैसे कोहली करते हैं?
क्या छेत्री की बात को भी लोग उसी गंभीरता से लेंगे जैसे कोहली की बातों को लेते हैं?
कम से कम, छेत्री की ये प्रत्याशित करुण याचिका हमारे चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ है. हमारे लिए ये एक वेकअप कॉल की तरह है. भले ही इससे रातोंरात भारतीय फुटबॉल का भविष्य नहीं बदल जाएगा, लेकिन उसने हम सभी को सोचने पर जरुर मजबूर कर दिया है.
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