5 बैट, जिनका विवादों ने बाहरी किनारा लिया
इस समय जोस बटलर के बैट पर गाली लिखी होने की वजह से एक विवाद खड़ा हो गया है. ऐसा नहीं है कि क्रिकेट में बैट की वजह से पहली बार कोई विवाद पैदा हुआ हो. इससे पहले भी बैट की वजह से विवाद हो चुके हैं.
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पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच हुए दूसरे टेस्ट मैच को लेकर न तो इंग्लैंड की जीत चर्चा में है, ना ही इंग्लैंड की ओर से बेहतरीन बल्लेबाजी करने वाला खिलाड़ी जोस बटलर. पाकिस्तान के खिलाफ बटलर ने 101 गेंदों में 80 रन बनाए, लेकिन सुर्खियां बटोर रहा है उनका वो बैट, जिससे उन्होंने ये रन मारे. लेकिन सुर्खियां बटोरने का कारण कुछ और ही है. दरअसल, उनके बैट के ऊपरी हिस्से पर अंग्रेजी में एक गाली लिखी हुई थी, जिसके चलते एक विवाद पैदा हो गया है. जब सोशल मीडिया पर लोगों ने उनके बैट को लेकर खरी-खोटी सुनाना शुरू किया तो बटलर ने खुद सामने आकर बताया कि उन्होंने ये गाली क्यों लिखी थी.
क्यों लिखी थी गाली?
बटलर ने कहा कि उन्होंने दबाव की स्थिति में खुद को प्रेरित करने के लिए यह गाली लिखी हुई थी. वह कहते हैं कि यह गाली उनके लिए एक तरह का रिमाइंडर था कि दबाव में नहीं खेलना है. जब वह ड्रिंक्स ब्रेक पर गए तो बल्ला और हेलमेट मैदान पर रख दिया था, जिस पर कैमरामैन ने जूम किया तो F**K IT लिखा मिला. यहां आपको बता दें कि भले ही बटलर ने वह खुद को प्रेरित करने के लिए लिखा था, लेकिन आईसीसी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है. दरअसल, बिना आईसीसी की अनुमति के बगैर मैच के दौरान बल्ले, कपड़ों या शरीर पर कुछ भी नहीं लिखा जा सकता है.
कैमरामैन ने जूम किया तो बैट पर F**K IT लिखा मिला.
पहले भी विवादों में रह चुके हैं बैट
ऐसा नहीं है कि क्रिकेट में बैट की वजह से पहली बार कोई विवाद पैदा हुआ हो. इससे पहले भी बैट की वजह से विवाद हो चुके हैं. आइए आपको 5 विवादों के बारे में बताते हैं.
1- जब डेनिस लिली का एल्युमिनियम का बैट
ये बात 15 दिसंबर 1979 की है, जब ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पर्थ में क्रिकेट मैच खेल जा रहा था. तीन मैच की टेस्ट सीरीज का पहले मैच खेला जा चुका था और अब मैच का दूसरा दिन था. इसमें लिली जब मैदान पर खेलने पहुंचे तो उनके हाथों में लकड़ी का बैट नहीं, बल्कि एल्युमिनियम का बैट था. उस दौरान ऐसा कोई नियम नहीं था कि बैट सिर्फ लकड़ी का ही होना चाहिए. जैसे ही उन्होंने शॉट मारा तो आवाज से साफ पता चल गया कि वह एल्युमिनियम का बैट है. इसके बाद अंपायर के साथ लिली की बहस भी हुई और अंत में लिली ने बैट को घुमाकर फेंक दिया और दूसरा बैट मंगवाया. इस घटना के कुछ दिनों बाद नियम बन गया कि सिर्फ लड़की के बैट से ही खेला जाएगा.
अब सवाल ये है कि आखिर लिली ने एल्युमिनियम के बैट से क्यों खेला? दरअसल, वह उनका सेल्स स्टंट था. इस घटना के बाद एल्युमिनियम के बैट की खूब बिक्री हुई और उसमें लिली को भी हिस्सा मिला. मैच खत्म होने के बाद दोनों टीमों ने एल्युमिनियम के उस पर बैट पर हस्ताक्षर किए थे और इंग्लैंड के तत्कालीन कप्तान बियर्ली ने लिखा था- बिक्री के लिए शुभकामनाएं (Good luck with the sales).
2- मंगूस बैट
इस बैट ने 2010 के आईपीएल में एक तूफान सा खड़ा कर दिया था. ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन ने चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलते हुए इस बल्ले का इस्तेमाल किया था. इसके बाद यह बैट सुर्खियों में छा गया था. इस बैट का हैंडल सामान्य बैट के मुकाबले बड़ा होता है और बैट के पूरे ही हिस्से से अच्छे शॉट लगाए जा सकते हैं, भले ही बॉल नीचे लगे या ऊपर. हालांकि, इस बैच से स्पिनर्स की बॉल का बचाव करना बहुत मुश्किल हो जाता था. यानी 20-20 जैसे फॉर्मेट के लिए तो यह बैट बहुत अच्छा है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में इससे नुकसान हो जाता था. इसीलिए धीरे-धीरे ये बल्ला चलन से बाहर हो गया.
मैथ्यू हेडन ने इस बैट को इसीलिए इस्तेमाल किया था ताकि वह इससे अधिक से अधिक रन बना सकें, जो हुआ भी. उन्होंने महज 42 गेंदों में ही 92 रन बना लिए थे. इसके बाद से बैट मीडिया में छा गया.
3- रिकी पोंटिंग का ग्रेफाइट वाला बैट
2005 के दौरान ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर रिकी पोंटिंग के ग्रेफाइट वाले बैट की भी खूब चर्चा रही. यह बैट ऑस्ट्रेलिया की स्पोर्ट्स इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनी कूकाबुर्रा ने बनाया था. इस बैट में पीछे की तरफ ग्रेफाइट की एक स्ट्रिप लगी रहती है. इसी बैट से पोंटिंग ने साल भर के अंदर 1795 रन बना लिए थे. लेकिन उसके बाद आईसीसी ने इस बैट को लेकर एमसीसी (Marylebone Cricket Club) से बात की और यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या ग्रेफाइट वाला ये बैट इस्तेमाल करना सही है या नहीं. आखिरकार फरवरी 2006 में एमसीसी ने इस बैट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी.
रिकी पोंटिंग ने काकाबुर्रा कंपनी के इस बैट से एक बार खेला तो उन्हें इस बात का आभास हो गया कि इससे परफॉर्मेंस बढ़ जा रही है. यही कारण है कि इसके बाद वह हर मैच में काकाबुर्रा के ग्रेफाइट वाले बैट से खेलने लगे. लेकिन एमसीसी की रोक के बाद अब वह इस बैट से नहीं खेल पाते हैं. हालांकि, इस पर रोक लगाने से काकाबुर्रा कंपनी का काफी नुकसान हुआ.
4- मॉनस्टर बैट
ऐसा पहली बार था जब क्रिकेट के मैदान पर किसी बैट के साइज को लेकर विवाद पैदा हुआ था. इंग्लैंड में सितंबर 1771 में Laleham Burway में एक मैच खेला गया था. यह मैच दो स्थानीय टीमों Chertsey और Hambledon के बीच था. Chertsey टीम का एक खिलाड़ी थॉमस वाइट क्रिकेट के मैदान पर एक ऐसा बैट लेकर आया, जिसका आकार बहुत बड़ा था. यह इतना बड़ा था कि पूरे विकेट को ढक ले रहा था. Hambledon की टीम ने इसका विरोध किया. इस मैच में Hambledon टीम एक रन से जीत गई और मॉनस्टर बैट का इस्तेमाल करने के बावजूद Chertsey टीम को हार का मुंह देखना पड़ा. बावजूद इसके Hambledon की टीम ने उस बैट का विरोध किया और कप्तान के साथ मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया. इसके बाद क्रिकेट में यह नियम बन गया कि कोई भी खिलाड़ी ऐसा बैट इस्तेमाल नहीं कर सकता, जिसकी चौड़ाई सवा चार इंच से अधिक हो.
यह बैट इतना बड़ा था कि विकेट को ही ढक लेता था. (तस्वीर साभार- स्पोर्ट्स कीड़ा)
अगर यहां बात की जाए कि थॉमस ने ऐसा बैट क्यों इस्तेमाल किया तो इसका जवाब बैट का साइज खुद ही दे रहा है. दरअसल, यह बैट इतना बड़ा था कि विकेट को ही ढक लेता था. यानी क्लीन बोल्ड करना नामुमकिन. खिलाड़ी को अन्य तरीकों से ही आउट करने का रास्ता बचता था. थॉमस को लगा था कि इस बैट से खेलने पर उसे फायदा होगा, लेकिन बावजूद इसके थॉमस की टीम हार गई.
5- आंद्रे रसेल का काला बैट
2016 में केएफसी बिग बैश लीग में वेस्ट इंडीज के क्रिकेटर आंद्रे रसेल ने काले बैट से खेला था. इसके बाद उनका वो काला बैट सुर्खियों में छा गया. इस लीग में वह सिडनी थंडर की तरफ से खेल रहे थे. मैच के दौरान उस बैट से काकाबुर्रा की सफेद बॉल पर कई तरह के निशान पड़ गए. यूं तो यह मैच थंडर की टीम हार गई थी, लेकिन फिर भी विपक्षी टीम सिडनी सिक्सर्स ने इस बल्ले का विरोध करना शुरू कर दिया. बाद में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने काले बल्ले से खेलने के लिए दी गई इजाजत को वापस ले लिया था.
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने क्रिकेटर्स को रंगीन बल्लों से खेलने की इजाजत दी थी.
दरअसल, इस लीग में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने क्रिकेटर्स को रंगीन बल्लों से खेलने की इजाजत दी थी. इसी के चलते आंद्रे रसेल काले रंग के बल्ले से खेलने आ पहुंचे. हालांकि, काला बल्ला कोई खास कमाल नहीं दिखाई पाया और टीम हार गई और बॉल पर भी निशान पड़ गए, जिसकी वजह से बल्ले को बैन कर दिया गया.
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