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संस्कृति
| 4-मिनट में पढ़ें
Shwet Kumar Sinha
वो पहाड़ी, जहां महाकश्यप को आज भी है भगवान बुद्ध के आने का इंतजार
मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध का उत्तराधिकारी महाकश्यप जब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर था, तब वह इस पहाड़ी पर चढ़ने का प्रयत्न कर रहा था. इसी दौरान पहाड़ी की एक चट्टान में उनका पाँव फँस गया. लेकिन इन्ही चट्टानों ने फिर स्वयं ख़ुद को अलग कर उनको रास्ता दिया. महाकश्यप पहाड़ी की चोटी पर पहुँचे और ध्यानमग्न हो गये और आज भी ध्यान में लीन हैं और बुद्ध के अगले अवतार मैत्रेय के आने का इंतजार कर रहे हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
हम जिन्हें महामानव और देवता मानते हैं, वे पहले मानव थे!
Jaipur Literature Festival 2023: बिना मनुष्य रूप धरे तो कोई भगवान भी नहीं कहलाया. भगवान बुद्ध ना होते यदि सिद्धार्थ न जन्मा होता. वर्धमान भगवान महावीर कहलाए थे. भगवान श्रीराम भी राजा दशरथ के पुत्र राम ही थे. महात्मा पहले मोहनदास थे. उनका कर्म और आचार विचार मानवीय था.