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सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
विवेकानंद शांडिल
@vivekanand.shandil
पूर्वोत्तर में बीजेपी की धमाकेदार वापसी पीएम मोदी की मेहनत का नतीजा है!
2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था, तो उस समय केवल सात ही राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार थी. वहीं, कांग्रेस और उसके सहयोगी 14 राज्यों में सत्ता में थे. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी के जनकल्याणी नीतियों और संकल्पों को जनमानस द्वारा एक अभूतपूर्व स्वीकार्यता मिली है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
रमेश ठाकुर
@ramesh.thakur.7399
बाल विवाह के खिलाफ समूचे हिंदुस्तान में असम जैसी मुहिम की दरकार है
बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार द्वारा चलाया जा रहा अभियान चर्चा में है. ऐसे अभियान पहले भी विभिन्न राज्यों में खूब चले, लेकिन धीरे-धीरे कमजोर पड़े. पर मौजूदा मुहिम ने फिर से ताकत दी है, नई चेतना जगाई है. इसकी वजह से खलबली हिंदी पट्टी से लेकर पहाड़ी राज्यों तक मची हुई है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अशोक भाटिया
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह कितनी आसान?
जल्द ही त्रिपुरा के लिए 13वीं विधानसभा का चुनाव होगा. ये ऐसा राज्य है जो एक वक्त वामपंथी शासन का गढ़ था, लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम की सत्ता को यहां से उघाड़ फेंका. अब आम लोगों से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के जेहन में ये सवाल गूंज रहा है कि क्या इस बार भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रख पाएगी या सीपीएम को फिर से मौका मिलेगा.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
Assam-Mizoram border dispute: मिजोरम ही नहीं, हर पड़ोसी राज्य से है असम का सीमा विवाद
असम से काटकर बनाए गए मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड की सीमाओं पर भी इसी तरह की हिंसक झड़पें होती रही हैं. इससे पहले भी पूर्वोत्तर राज्यों के सीमा विवाद को आपसी सुलह से समाप्त करने के कई प्रयास किए गए हैं. लेकिन, ये सभी विफल रहे हैं. आजादी के बाद से अब तक की केंद्र सरकारें राज्यों को उनकी सीमाओं को मानने के लिए तैयार नहीं कर सकी हैं.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 371 की मांग जोर पकड़ रही है, जानिए इससे जुड़ी बातें...
जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने पीएम मोदी के साथ हुई सर्वदलीय बैठक में सुझाव दिया था कि अनुच्छेद 371 में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार दिए जा सकते हैं. मुजफ्फर हुसैन बेग का मानना है कि मोदी सरकार का ये कदम जम्मू-कश्मीर के लिए आधी दूरी तय करने के तौर पर देखा जा सकता है.
सिनेमा
| 4-मिनट में पढ़ें
मनीष जैसल
@jaisal123
Axone Review: नागालैंड की कहानी के जरिए पूर्वोत्तर की जिंदगी में भी झांक लो देशवासियों
नार्थ ईस्ट (North East) के कल्चर को बताती है निकोलस खारकोंगर की फिल्म अकुनी (Axone). फिल्म में एक रेसिपी के जरिये ये समझाने का प्रयास किया गया है कि पूर्वोत्तर के लोगों को अपने जीवन में किन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
अमित अरोड़ा
@amit.arora.986
नागालैंड में अटल जी के अस्थि-विसर्जन का चर्च ने विरोध क्यों किया?
यदि अस्थि विसर्जन कार्यक्रम का विरोध केवल नागालैंड के जनजातीय संगठनों द्वारा होता तो इस विरोध पर शक न होता परंतु नागालैंड बैप्टिस्ट चर्च काउंसिल (एनबीसीसी) का विरोध कुछ और संकेत देता है.
ह्यूमर
| 7-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
जब इटली में नानी ने राहुल के कान खींचे..
राहुल गांधी जानते थे कि उन्हें बड़ी हार मिलने वाली है अतः नागालैंड, त्रिपुरा और नागालैंड चुनाव के फौरन बाद वो घूमने अपनी नानी के घर इटली चले गए. आइये जानें नानी ने अपने प्यारे नाती राहुल से क्या कहा जिसने उनकी ज़िन्दगी का उद्देश्य बदल दिया.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
अभिरंजन कुमार
@abhiranjan.kumar.161
व्यंग्य: इन 10 कारणों से नानी के घर गए होंगे राहुल गांधी
पूर्वोत्तर के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और कांग्रेस फिर एक बार बैक फुट में चली गयी है. ऐसी परिस्थितियों में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का विदेश स्थित अपनी नानी के घर घूमने जाना अपने आप में कई अहम सवाल खड़े करता है.