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समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
प्रशासन सोया रहेगा तो तबलीगी हों या दक्षिण अफ्रीकी कोविड संदिग्ध, लापता होते रहेंगे!
बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए 10 विदेशी नागरिकों की गुमशुदगी के मामले को देखकर हमें मार्च 2020 की वो घटना की याद आ गयी जब दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात भारत में कोविड 19 के लिए सुपर स्प्रेडर बनी. यानी जब तक प्रशासन सुध न लेगा तब तक चाहे वो तबलीगी हों या दक्षिण अफ्रीकी ओमिक्रॉन संदिग्ध, सब ऐसे ही लापता होते रहेंगे.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
लापरवाही के 'कुंभ' की तुलना 'निजामुद्दीन मरकज' से होनी ही चाहिए
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कुंभ के शाही स्नान में कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन होने का दावा कर रहे हैं. हालांकि, उनके इस दावे की पोल मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया में सामने आ रही तस्वीरों से खुल जा रही है. कहना गलत नहीं होगा कि उत्तराखंड सरकार मानकर चल रही है कि गंगा स्नान से कोरोना संक्रमण नहीं होगा.
समाज
|
बात की बात...
| 7-मिनट में पढ़ें
धीरेंद्र राय
@dhirendra.rai01
2020 में जान'लेवा' जमात के इशारे पर चलती दिखी जान'देवा' जमात
2020 बेसिर-पैर वाले आंदोलनों का साल भी रहा. तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद की सरपरस्ती में कोरोना को चुनौती देने वाली ऐसी हवा चली, जिसने सरकार और प्रशासन के सामने अजीबोगरीब स्थिति पेश की. और जमात की करतूत को छुपाने के लिए कुछ बुद्धिजीवियों ने सरकारों पर मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की साजिश का आरोप लगा डाला.