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सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
33 साल बाद सलमान रुश्दी पर हुए हमले से नूपुर शर्मा की तुलना जरूरी है
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) ने 1988 में 'द सेटेनिक वर्सेज' (The Satanic Verses) नाम की किताब लिखी थी. सलमान रुश्दी के खिलाफ 1989 में फतवा जारी हुआ था. इसके 33 साल बाद रुश्दी को ईशनिंदा के नाम पर निशाना बना लिया गया है. तो, नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) की बात करना जरूरी है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
डॉ. अरुण प्रकाश
@DrArunPrakash21
Udaipur murder case: परिणाम पर प्रतिक्रिया नहीं, हिंसा का विरोध हो
महावीर कहते हैं कि 'हिंसा दूसरे के अस्तित्व का नकार है, उसके अस्तित्व की उपेक्षा है, उसके व्यक्तित्व की गरिमा का उल्लंघन है. हिंसा है अपने स्व को दूसरे के स्व पर उसकी सत्ता को एकदम नकारते हुए, आरोपण. अपने स्व की परिधि के पार ही हिंसा शुरू होती है.'
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अफगानिस्तान में महिलाओं का प्रदर्शन तालिबान का PR तो नहीं?
अफगानिस्तान में हाल-फिलहाल महिलाओं की कुछ तस्वीरों और वीडियो देखने के बाद लगा कि क्या सच में तालिबान लड़ाके उदारवादी हो गए हैं? क्या सच में उनका दिल बड़ा हो गया? क्या अब वे कट्टर नहीं रहे? लेकिन कुछ घंटे बीता नहीं कि उनकी असलियत समझ में आ गई कि यह सब बस एक ढोंग था.
संस्कृति
|
एक अलग नज़रिया
| 2-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अफगानिस्तान के आखिरी मंदिर के आखिरी पुजारी की आखिरी ख्वाहिश
हम जिसकी बात कर रहे हैं वो रतननाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार हैं. जिन्होंने काबुल छोड़ने से इनकार कर दिया है. पंडित राजेश कुमार का कहना है कि जान बचाकर भागने से अच्छा है कि मैं अपने भगवान के लिए समर्पित हो जाऊं और यहीं जान दे दूं.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
रीवा सिंह
@riwadivya
मंदिर में पानी पीने आए आसिफ को मारकर धर्म को लाभ नहीं, हानि हुई है!
यूपी के गाजियाबाद में आसिफ का वीडियो देखकर मन बुरी तरह व्यथित होता है. आज एक बच्चे को प्यास बुझाने के लिये पीटा गया है क्योंकि वह पानी मंदिर परिसर का था. ईश्वर के नाम पर इस कुकृत्य को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता. ईश्वर कभी नहीं चाहेंगे कि कोई व्यक्ति उनके घर से प्यासा लौटे क्योंकि वह दूसरे धर्म का है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
सर्वेश त्रिपाठी
@advsarveshtripathi
धार्मिक कट्टरता रोकने के लिए फ्रांस जैसा कानून क्या भारत में लागू हो सकता है?
भारत में ‘कट्टरता’ के अलग-अलग स्वरूपों की उपस्थिति ऐसा विषय है, जिस पर नीति निर्माताओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. किसी भी प्रकार की आधिकारिक नीति की अनुपस्थिति में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है. सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिये फ्रांस की भांति एक व्यापक नीति की रूपरेखा तैयार करे ताकि कट्टरता के किसी रूप से प्रभावित लोगों को बचाया जा सके.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
मशाहिद अब्बास
@masahid.abbas
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होना ही सबसे बड़ा पाप है ?
Pakistan में एक बार फिर हालात खराब हो रहे हैं. देश में शिया सुन्नी (Shia-Sunni Clashes In Pakistan) के बीच टकराव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के बीच Imran Khan की खामोशी एक बड़ा सवाल पैदा करती है औऱ ये चुप्पी एक दिन इमरान खान को ही महंगी पड़ जाने वाली है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
इंसान को छोड़िए... गाय हिंदू और बकरी मुसलमान हो गई!
हमने तो सिर्फ त्योहारों को धर्म के हिसाब से अलग अलग देखा था. लेकिन धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों ने हर चीज को बांट दिया है. आज गाय को हिंदू और बकरी को मुसलमान बना दिया गया. लेकिन लोगों ने रंग, मिठाइयों समेत न जाने क्या-क्या बांट दिया है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
पाक के मानवाधिकारवादियों को कौन बचाएगा !
पाकिस्तान में कट्टरपंथियों की आलोचना करने वालों का काफी अरसे से समय खराब चल रहा है. उनकी आवाजें दबाई जा रही है. बीते कुछ महीनों में पांच मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता गायब हो गए हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है.