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संस्कृति
| 6-मिनट में पढ़ें
मंजीत ठाकुर
@manjit.thakur
नदीसूत्रः देवी माने जाने वाली नदियों को अचानक कूड़ेदान क्यों समझ लिया गया है?
अचानक हमारे समाज को क्या हो गया कि हमने नदियों और झील-तालाबों को कूड़ेदान समझ लिया? उन्हें सुखा देने की साजिश करने लगे. इन नदियों को तो हमने कभी देवी का दर्जा दिया था.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अनुज मौर्या
@anujkumarmaurya87
सागरमाथा की कचरा-गाथा
ये हम इंसान ही हैं, जिन्होंने सबसे खूबसूरत और सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर भी कचरे का ढेर बना दिया है. अब सवाल ये है कि इसके लिए हमें अपनी पीठ थपथपानी चाहिए, या शर्म से आंखें झुका लेनी चाहिए?
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
अनुज मौर्या
@anujkumarmaurya87
यदि ये सच है तो पर्यावरण से प्रदूषण का बड़ा बोझ उतर जाएगा
कुछ समय पहले वैज्ञानिकों को प्लास्टिक खाने वाला एक कीड़ा मिला था. अब वैज्ञानिकों ने यह पता लगा लिया है कि वह कौन सा एंजाइम पैदा करता है, जिसकी मदद से प्लास्टिक को डीग्रेड किया जा सकता है. तो क्या अब सारा प्लास्टिक कीड़ा खा जाएगा? आइए जानते हैं.
समाज
| 1-मिनट में पढ़ें
न्यूजफ्लिक्स
@newsflickshindi
जागोः हिंदुस्तान बन रहा है कूड़ादान!
सड़क पर चलते हुए कहीं भी कुछ भी फेंक देना हम भारतीयों की आदत में शुमार है. अधिकांश देशवासियों को ऐसा करते देखा जा सकता है. महिलाएं हों या पुरुष. बड़े हों या बच्चे. सभी इस आदत से मजबूर हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
पीयूष बबेले
@piyush.babele.5
विश्व पर्यावरण दिवस विशेष: कूड़े से बिजली
भारत में इस बहस को चलते करीब चार दशक हो गए हैं कि क्यों न हम भी घरेलू कचरे से बिजली बना लें. जब यूरोप के देश ऐसा कर सकते हैं तो भारत ऐसा क्यों नहीं.