क्या आप जानते हैं अपने अंदर के वर्चुअल रावण को?
दस साल के भीतर रावण के नए दस सिर डेवलप हो गए हैं. इन्हीं दस साल में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया भी हमारे बीच घुस गया है. जानिए, इसकी बदौतल क्या संताप शामिल हो गए हमारी जिंदगी में...
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क्या आप अपने अंदर के वर्चुअल रावण से मिले हैं. चलिए हम मिलवाते हैं आपको आपके अंदर के रावण से जो दिखता तो नहीं है, लेकिन लाखों लोगों को अपने वश में किए हुए है. परेशान कर रहा है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इसे भोग रहे लोग अलग ही आनंद में हैं.
आज के वर्चुअल रावण को कह सकते हैं स्मार्टफोन एडिक्शन-
आज के दौर में बुराइयां तो बहुत हैं, लेकिन एक छोटी सी चीज भी है जिसपर ध्यान नहीं जाता और फिर भी वो धीरे-धीरे अपना काम कर रही है. हम बात कर रहे हैं स्मार्टफोन एडिक्शन की. फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, सेल्फी और ऐसी ही कई चीजों के लोग एडिक्टेड हो गए हैं. यकीन नहीं आता तो चलिए आंकड़ों की तरफ मुड़ते हैं. मोबाइल कन्ज्यूमर हैबिट्स की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर की 40% आबादी स्मार्टफोन एडिक्शन से ग्रसित है. ये तब है जब दुनिया की 30 प्रतिशत आबादी अभी तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करती है. एक एवरेज इंसान अपना फोन दिन में 110 बार चेक करता है और एक एडिक्टेड इंसान 900 बार. क्या अंदाजा लगा सकते हैं आप. डेलीटेक वेबसाइट के एक सर्वे के अनुसार 33% लोग तो ऐसे हैं जो स्मार्टफोन के लिए सेक्स को भी छोड़ सकते हैं. उनके लिए फोन का साथ होना पार्टनर के साथ होने से ज्यादा जरूरी है.
स्मार्टफोन एडिक्शन: सांकेतिक फोटो |
नहीं रह सकते एक दिन भी बिना फोन के-
ये रिपोर्ट और खतरनाक तब हो जाती है जब ये पता चलता है कि सर्वे किए गए लोगों में से 44% ऐसे हैं जो एक दिन भी फोन के बिना नहीं रह सकते हैं. यहां तक की लोग बाथरूम में भी अपना फोन ले जाने से नहीं कतराते. अरे जनाब UK में तो हर साल 1 लाख फोन्स बाथरूम में गिरने से खराब हो जाते हैं. अधिकतर लोगों का ये मानना है कि वो बिना फोन चेक किए नहीं रह पाते चाहें कोई नोटिफिकेशन आया हो या ना. कुछ लोगों की आदत तो इससे भी ज्यादा खराब है. स्मार्टफोन एडिक्ट्स में से 80% को ये लगता रहता है कि उनका फोन वाइब्रेट हो रहा है.
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जवानों को पड़ रहा फर्क-
इस एडिक्शन से 18 से 24 साल के 80% लोग ग्रसित है. बिना फोन पास रखे नींद नहीं आती. जनाब ये वो जनरेशन है जिसमें भले ही दिन भर खाना ना खाएं, लेकिन पावर बैंक के बिना घर से नहीं निकलेंगे. इतना ही नहीं एक रिसर्च के अनुसार वो माता-पिता जो फोन पर ज्यादा समय बिताते हैं अपने बच्चों पर ज्यादा चिल्लाते हैं. अब बताइए क्या ये किसी रावण से कम हुआ?
रावण के वर्चुअल सिर-
क्या आ जानते हैं आज के रावण के दस सिर कौन से है? चलिए देखते हैं.
1. फेसबुक-
वर्चुअल वर्ल्ड की बात करें तो सबसे पहले आता है फेसबुक का नाम. ये साइट लोगों को एक दूसरे से वर्चुअली जोड़ने के लिए जरूर बनी थी, लेकिन ऐसा कहीं भी नहीं लिखा था कि आप सिर्फ वर्चुअली जुड़ो और रिएलिटी को तो साहब भूल ही जाओ. अब फेसबुक पर 1000 फ्रेंड्स तो बन गए, लेकिन वीकएंड बिताने के लिए जब किसी दोस्त से मिन्नतें करनी पड़े तो भइया क्या फायदा ऐसी दोस्ती का. फेसबुक वगैराह तो ठीक है, लेकिन हमे थोड़े रियल फ्रेंड्स भी बना लेने चाहिए जिनके साथ संडे बिलकुल संडे की तरह लगे और आप बोर ना हों.
सांकेतिक फोटो
2. स्नैपचैट-
लो जी भइया अब स्नैपचैट का जमाना आ गया है. ये तो फेसबुक से भी एक कदम आगे निकल गया है. अब आप ही बताएं ऐसा ऐप जिसमें फोटो या वीडियो कुछ भी भेजें कुछ समय में अपने आप डिलीट हो जाता है. अब सेल्फ डिलीटिंग के कारण ये ऐप सेक्सटिंग के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, जितना यूजर्स इसे समझते हैं उतना ये सुरक्षित भी नहीं है, आपकी पर्सनल जानकारी और फोटो जंगल की आग की तरह वायरल भी हो सकती है, लेकिन इसकी परवाह किसे है. इसका इसे मस्ती और दोस्ती के लिए बनाया गया था, लेकिन अब तो इसका इस्तेमाल किसी और चीज के लिए ही हो रहा है.
सांकेतिक फोटो |
3. इंस्टाग्राम-
'#' अगर आप स्मार्टफोन एडिक्ट हैं तो इसे जरूर जानते होंगे. गर्म खाना सामने आते ही खाएंगे बाद में पहले इंस्टाग्राम करेंगे. इंस्टाग्राम में हैशटैग्स किसी की खुशी और किसी खास मौके को दर्शाने के लिए बनाए गए थे, लेकिन अब देखिए हैशटैग के साथ गालियां तक भेजी जा रही हैं. इंस्टाग्राम का इस्तेमाल अच्छा है, लेकिन उसके चक्कर में पूरी दुनिया को हैशटैग बना देना गलत. एक और बात बताएं फेसबुक और इंस्टाग्राम अब लोगों की जलन का कारण बनने लगे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक और इस्टाग्राम में लगातार एक्टिव रहने वाले लोग अक्सर दुखी रहते हैं. कारण ये है कि वो दूसरों की फोटोज देखकर खुद की जिंदगी से तुलना करने लगते हैं.
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सांकेतिक फोटो |
4. ट्विटर-
अब आप सोच रहे होंगे ट्विटर रावण का सिर कैसे बन गया तो आपको बता दें कि लड़ाई आजकल सिर्फ वर्चुअल होती है. ट्विटर वॉर का नाम नहीं सुना क्या? अरे ट्विटर पर तो हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बहुत पहले से जंग छिड़ी हुई है. चाहें कमाल आर खान हों या ट्विंकल खन्ना या फिर अपने सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य जी सब के सब ट्विटर पर अपना गुस्सा और आक्रोश जताते हैं और फिर उनके फॉलोवर्स जहर उगलते हैं. कितनी ही बार देखा गया है कि ट्विटर के भद्दे और अश्लील कमेंट्स ने कोई मुसीबत ला दी हो.
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5. यूट्यूब-
जी जमाना तो है वायरल वीडियो का, अब आप देखें कोई बात छोटी सी होती नहीं है वीडियो वायरल होना पहले शुरू हो जाते हैं. TVF जैसे चैनल तो इसी दम पर टीवी वाले चैनल को टक्कर देने लगे हैं. अब तो रास्ते में कहीं जाते हुए भी लोग यूट्यूब या किसी अन्य वीडियो चैनल पर फिल्में या सीरियल देखते नजर आते हैं. हर रोज उसी रास्ते पर भी अगर सिर उठाकर देखा जाए तो कई नई चीजें दिख सकती हैं. आपके लिए जरूरी है कि फोन से आगे बढ़ें.
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6.वॉट्सऐप -
अब अगर एडिक्शन की बात करें तो आजकल बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को वॉट्सऐप का चस्का चढ़ गया है, हो भी क्यों ना इतना आसान की सभी इस्तेमाल कर लें और खर्च इतना कम कोई करे भी तो क्या. हाल ही में एक खबर आई थी कि एक फैमिली ग्रुप में गलती से एक मामा ने अपनी ही प्राइवेट फोटो भेज दी थी. भांजी ने इस बात को रिपोर्ट किया था. अब खुद ही सोचिए वॉट्सऐप का इस्तेमाल कैसे हो रहा है. चैटिंग तो अच्छी है, लेकिन उसका इतना चस्का भी ठीक नहीं है.
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7. सेल्फी-
जी पहले जहां फोटो सिर्फ मौके को यादगार बनाने के लिए खींची जाती थी अब वहीं मौके सेल्फी के लिए बनाए जाते हैं. सेल्फी को तो आधिकारिक तौर पर ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में भी डाल दिया गया है. अब खुद ही बताएं ये कहां सही बात है कि कश्मीर गए हैं नजारे सिर्फ सेल्फी में ही देखे और हैशटैग पैरेडाइस (जन्नत) डालकर उसे पोस्ट कर दिया. एक दो फोटो तो ठीक लेकिन सेल्फी एडिक्शन अब बड़ी चीज बन गया है.
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8. हेडफोन-
गाने सुनने की आदत तो सभी को होती है, लेकिन हर वक्त हेडफोन कान में डाले रहने पर आप आस-पास के लोगों से और भी ज्यादा दूर हो जाते हैं. ऑफिस में काम करते समय भी लोग अब हेडफोन्स लगाए रहते हैं कि शांती से काम कर सकें. क्या आपने कभी सोचा है कि इस आदत ने किस हद तक आपको लोगों से अलग कर दिया है. जनाब इसे ही कहते हैं आइसोलेशन.
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9. ऐप्स
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐप्स को तो हमारे काम के लिए बनाया गया है, लेकिन हर काम के लिए ऐप का इस्तेमाल करना. सेल्फी लेनी है तो फिल्टर ऐप, एडिटिंग के लिए अलग ऐप, बुकिंग करवाने के लिए अलग ऐप यहां तक की बैटरी सेविंग के लिए भी ऐप. किराना लाने का काम जो बचा था अब उसके लिए भी ऐप, तो लीजिए यहां भी घर से निकलने का मौका गया. कुछ ऐप्स को छोड़कर थोड़ा बाहर निकलकर देखिए अच्छा लगेगा.
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10. आप खुद-
रावण का दसवां सिर आप खुद हैं. ये वो सिर है जो हमेशा स्मार्टफोन के लिए झुका रहता है. क्या आपने कभी खुद को देखा है किसी फैमिली इवेंट में या कहीं घूमने के वक्त, नजारों से ज्यादा जब फोटो खींचना, पोस्ट करना और चेक इन करना जरूरी लगने लगे तब ये समझ जाना चाहिए की आप एडिक्टेड रावण बन चुके हैं. तकनीक जरूरी है, लेकिन आपकी जरूरत नहीं. उसका सही इस्तेमाल करें और इस बार डिजिटल रावण को थोड़ा आराम कर त्योहार अपनों के साथ मनाएं.
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