Bitcoin का क्या होगा 5 जुलाई के बाद, निवेशकों के पास हैं ये तीन विकल्प!
RBI के द्वारा बिटक्वाइन के लिए दी गई डेडलाइन 5 जुलाई को खत्म हो रही है और इसके बाद बिटक्वाइन को खरीदना और बेचना अवैध हो जाएगा. तो जिनका पैसा फंसा हुआ है वो क्या करें?
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बिटक्वाइन करंसी जब से आई है तबसे ही ये हमेशा विवादों में रही है. भारत में भी ये काफी चर्चा में रही है और इसके निवेशकों से लेकर इसके घोटालों तक सभी कुछ हेडलाइन्स का हिस्सा बना है. अब बिटक्वाइन भारत में पूरी तरह से अवैध होने वाले हैं. RBI के द्वारा दी गई 3 महीने की डेडलाइन अब खत्म होने वाली है. 5 जुलाई के बाद से ही भारत में बिटक्वाइन या कोई भी क्रिप्टोकरंसी खरीदना और बेचना गैरकानूनी हो जाएगा.
5 जुलाई को खत्म हो रही है डेडलाइन...
अगर आपने बिटक्वाइन में इन्वेस्ट किया है या फिर इससे जुड़ी खबरों का ध्यान रखते हैं तो आपको पता होगा कि 5 जुलाई को आरबीआई की डेडलाइन खत्म हो रही है. इसके तहत बैंक अब ऐसे किसी भी इंसान और फर्म से अपने रिश्ते तोड़ लेंगे जो क्रिप्टोकरंसी में डीलिंग करते हैं. RBI का ये सर्कुलर अप्रैल में आया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ है.
अब 5 जुलाई से वो सारे बैंकअकाउंट जिनसे बिटक्वाइन की ट्रेडिंग होती है उनका काम बंद कर दिया जाएगा इसी तरह से जो कंपनियां क्रिप्टोकरंसी की ट्रेडिंग करती हैं वो भी अपना काम बैंकिंग चैनलों की मदद से नहीं कर पाएंगी.
अगर आप बिटक्वाइन इन्वेस्टर हैं तो क्या करें?
अगर आपने बिटक्वाइन में निवेश कर रखा है तो अब डेडलाइन आ गई है और सिर्फ कुछ रास्ते ही रह गए हैं सामने...
1. बेचिए और बाहर आइए..
बैंक और अन्य फाइनेंशियल फर्म 5 जुलाई के बाद से बिटक्वाइन की ट्रेडिंग बंद कर देंगे इसके कारण कम से कम अभी तो ऐसा कोई तरीका अभी नहीं है जिससे वर्चुअल करंसी की ट्रेडिंग रुपए से की जा सके. तो अगर अभी क्रिप्टोकरंसी बेचकर बाहर नहीं आए तो ऐसा भी मुमकिन है कि रिटर्न तब तक न मिले जब तक आरबीआई अपनी ये पॉलिसी वापस नहीं ले लेता या फिर इसे लीगल नहीं कर देता. ये थोड़ा मुश्किल है क्योंकि सरकार और कोर्ट दोनों ने ही इसे फर्जी करार दिया है और कई मौकों पर इसे बैन करने की बात कही है. भारत के सबसे बड़े डिजिटल करंसी एक्सचेंज Zebpay ने अपने सभी कस्टमर्स से पैसा हटा लेने को कहा है. ये स्टेटमेंट पिछले महीने दिया गया था. Zebpay का कहना है कि डेडलाइन खत्म होने के बाद वो लोगों के पैसों का लेनदेन नहीं कर पाएगी.
2. अपने रिस्क पर पैसा वहीं छोड़ दीजिए..
वो निवेशक जो अपने पैसे को छोड़ सकते हैं और उसके डूबने का रिस्क ले सकते हैं वो सुप्रीम कोर्ट के आखिरी आदेश का इंतज़ार कर सकते हैं. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई की डेडलाइन के खिलाफ कोई आदेश नहीं सुनाया है और न ही इस बैन को खत्म किया है पर इसकी दूसरी पेशी 20 जुलाई को होगी और उसके लिए कोर्ट तैयार है. पर इसमें रिस्क काफी बड़ा है क्योंकि जब तक सुप्रीम कोर्ट आरबीआई के खिलाफ नहीं जाता तब तक रिस्क रहेगा ही और ऐसा होने के चांस भी काफी कम हैं.
3. peer-to-peer मॉडल का इंतजार करिए..
पहले ये रिपोर्ट आई थी कि दो क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज WazirX और Koinex Loop पीयर टू पीयर मॉडल पर काम कर रही हैं और इसके जरिए क्रिप्टोकरंसी की ट्रेडिंग बिना बैंक की मदद के हो सकेगी. ये एक्सचेंज 5 जुलाई के बाद इस मॉडल को लॉन्च करने की बात कर रही हैं. अगर कोई निवेशक इसके लिए तैयार होगा तो उसे एक्सचेंज को इसके बारे में जानकारी देनी होगी और वो निवेशक करंसी लॉक कर दी जाएगी. इसके बाद एक्सचेंज ऐसे खरीददार का इंतजार करेगी जो बेचने वाले को सीधे पैसे देने के लिए तैयार हो. ये एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर जैसा होगा. एक बार पेमेंट मिल जाए तो करंसी नए खरीददार के पास चली जाएगी. इसमें एक्सचेंज का काम सिर्फ खरीददार और बेचने वाले को मिलाने का होगा.
क्या बिटक्वाइन के आविष्कारक लिख रहे हैं किताब?
एक तरफ भारत में बिटक्वाइन बैन हो रहा है और दूसरी तरफ इसके रचियता के किताब लिखने की अफवाहें सामने आ रही हैं. 2008-09 में सतोषी नाकामोतो (प्रचलित नाम) एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने प्रचलन में लाया था. इसे बनाने वाले का नाम भी नहीं पता और वो फेक नेम सातोशी नाकामोतो के नाम से काम कर रहा था. आज तक कोई नहीं जानता कि ये कौन हैं और क्यों इन्होंने बिटक्वाइन बनाकर भी अपना नाम नहीं दिया.
पिछले कुछ दिनों से क्रिप्टोकरंसी कम्युनिटी में एक खबर जोरों पर लोगों के बीच चर्चा में है. वो ये कि सातोशी नाकामोतो ने एक किताब लिखी है और इसका कुछ अंश लीक हो गया है.
NakamotoFamilyFoundation.org एक नई रजिस्टर की हुई वेबसाइट है जो 26 जून 2018 को ही लॉन्च हुई है. इसने न सिर्फ क्रिप्टो दुनिया के लोगों का बल्कि मीडिया का भी ध्यान अपनी तरफ खींचा है. इस वेबसाइट में एक किताब के कुछ अंश लिखे हुए हैं और बताया जा रहा है कि ये किताब सातोशी नाकामोतो ने लिखी है.
तो क्या नाकामोतो वापस आ गए हैं?
ये वेबसाइट जितने अजीबो गरीब तरह से आई है उससे लगता है कि इसके पीछे नाकामोतो हो सकते हैं. इस किताब में बिटक्वाइन बनाने के पहले कुछ दिनों की बातें लिखी हुई है और साथ ही एक क्रिप्टोग्राम (पहेली) भी था जिसे हल करने पर किताब का टाइटल honne और tatamae निकल कर आया.
इन दोनों टाइटल का मतलब भी उसी तरह से जापानी एक्सप्रेशन की तरह है जैसा सातोशी नाकामोतो का नाम है. Honne का मतलब 'एक इंसान की भावनाओं और उसकी इच्छाओं के बीच का अंतर' और दूसरे टाइटल का मतलब 'वो व्यवहार और राय जो लोग पब्लिक के सामने बोलते हैं.'
जो सैंपल टेक्स्ट दिया गया है वो 21 पन्नो का है और लिखने के अंदाज से लगता है जैसे इसे लिखने वाला बिटक्वाइन के शुरुआती दौर की कहानी बता रहा है और ये बता रहा है कि कैसे इसकी एल्गोरिथ्म बनाई गई.
कई मीडिया हाउस इसे नाकामोतो की वापसी कह रहे हैं और कई को अभी भी इसके बारे में संदेह है.
जो हिस्से रिलीज किए गए हैं उनमें कहा गया है कि किताब में बिटक्वाइन से जुड़े कई सावलों के जवाब मिल जाएंगे. साथ ही उन लोगों के नाम भी जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए थे. ये तो पहले से ही साफ है कि सातोशी नाकामोतो बिटक्वाइन बनाने वाले का नाम नहीं है.
इस किताब से ये जानाकरी भी मिलेगी कि बिटक्वाइन की तरक्की कैसे हुए, समय के साथ क्या-क्या बदलाव आए और सिर्फ 21 मिलियन बिटक्वाइन ही क्यों हैं और लिमिट इतनी ही क्यों है. इसके अलावा, हार्डफेयर और ट्रांजैक्शन फीस, माइनिंग की तकलीफें और उसका खर्च इस सबसे बारे में जानकारी मिल जाएगी. खासतौर पर इसके बारे में कि आखिर इसे बनाने वाला कौन है.
ये साफ हो गया है कि अभी भी किताब अपने शुरुआती स्टेज में है और इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ये किताब कब आएगी या कभी आएगी या भी नहीं.
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