यूं ही नहीं दी जाती है इस्लाम में कुर्बानी
दुनिया के तीन धर्म यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्म में पैदा होने वाले लोग पैगंबर के ही वशंज हैं. इब्राहिम से यहूदी और ईसाई धर्म के लोगों की उत्पत्ति हुई है और इस्माइल से इस्लाम धर्म के लोगों की उत्पत्ति हुई है.
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बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़
अक़्ल है महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम अभी
[ इश्क़ (खुदा से) बेपरवाह होकर नमरूद की आग में कूद जाता है और अक्ल किनारे खड़ी-खड़ी देखती रहती है. ]
जब मैं छोटी थी, तो अल्लामा इकबाल की ये लाइनें मुझे बहुत अच्छी लगती थीं, जो मेरी मां अक्सर मुझसे कहा करती थी. मैं इसके पीछे का मतलब नहीं समझती थी, लेकिन मुझे ये लाइनें सुनना बहुत अच्छा लगता था. इसकी परतें मेरे लिए तब खुलना शुरू हुईं जब मैं एक किताब 'टेल्स फ्रॉम द कुरान एंड हादिथ' के लिए रिसर्च कर रही थी.
अगर कोई पंक्ति पैगंबर इब्राहिम या इस्लाम में हजरत इब्राहिम का प्रतीक हैं तो वो यही हैं. इस्लाम शब्द का अर्थ है अल्लाह की इच्छा को पूरा करना. और इसे इब्राहिम से अधिक कोई और सार्थक नहीं करता है. इब्राहिम अकेले ही ऐसे पैगंबर थे, जिन्हें खलीलुल्लाह या अल्लाह का मित्र का खिताब दिया गया.
निमरूद की आग में खड़े होकर इब्राहिम ने अल्लाह पर भरोसे की मिसाल पेश की थी.
जब इब्राहिम ने बेबीलोन के मानव निर्मित देवताओं को चुनौती दी थी. तो राजा नमरूद ने उन्हें बांध कर एक भयानक भट्टी में डाल दिया था. इस्लाम के अनुसार, उसके बाद एक फरिश्ता गेब्रियल वहां प्रकट हुआ. उसने कहा कि अगर इब्राहिम चाहें तो वह उनकी मदद कर सकता है. लेकिन इब्राहिम ने कहा कि मेरे लिए अल्लाह ही काफी हैं. और यह सच भी था. क्योंकि वहां जलते हुए कोयले अचानक ही फूल की पत्तियों में बदल गए थे.
नमरूद के उत्पीड़न की वजह से इब्राहिम को बेबीलोन छोड़ना पड़ा. वे अपनी पत्नी सराह के साथ कनान चले गए. कनान आज के फिलिस्तीन और इजराइल का पुराना नाम है. अल्लाह ने इब्राहिम से वादा किया कि वह बहुत से देशों के जनक और मानवजाति के एक नेता होंगे. धीरे-धीरे इब्राहिम और सराह दोनों ही बूढ़े हो रहे थे. लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी. इसकी वजह से दोनों उदास रहने लगे थे.
धीरे-धीरे सराह की बच्चा पैदा करने की उम्र भी खत्म हो गई. बच्चे की चाह में आखिर सराह ने अपनी दासी हजीरा को इब्राहिम के सामने पेश कर दिया. कुछ समय बाद हजीरा को एक बच्चा हुआ, जिसका नाम इस्माइल रखा गया. भले ही सराह के इरादे नेक थे, लेकिन हाजिरा के मां बनने से उन्हें इर्ष्या हो गई.
उसने इब्राहिम से कहा कि वह हजीरा को रेगिस्तान में ले जाएं और वहीं छोड़ आएं. इब्राहिम पशोपेश में फंस गए. उन्होंने अल्लाह से राह दिखाने की प्रार्थना की. तब अल्लाह ने उन्हें आदेश दिया कि वे हजीरा को सराह को से दूर ले जाएं.
परेशान इब्राहिम ने अल्लाह से पूछा- 'मैं उसे कहां ले जाऊं?' अल्लाह ने हुक्म दिया- 'उसे मक्का ले जाओ. यह धरती का वह हिस्सा है, जिसे मैंने सबसे पहले बनाया.'
इब्राहिम हजीरा और इस्माइल के साथ साफा और मारवाह के पहाड़ों के बीच स्थित मक्का पहुंचे. इस सफर में इब्राहिम की सहायता गैब्रियल ने की. इस बीच अल्लाह ने कई बार इब्राहिम की परीक्षा ली. और हर बार इब्राहिम अपनी परीक्षा में खरे उतरे. इब्राहिम को आदेश मिला कि हजीरा और इस्माइल को मक्का में ही छोड़कर वापस कनान चले जाएं.
अल्लाह पर अपना भरोसा कभी न खोना
परेशान हजीरा साफा और मारवाह की पहाड़ियों के बीच सात बार दौड़ीं. क्योंकि उसका बेटा इस्माइल प्यास से तड़प रहा था. अचानक बच्चे ने रोना बंद कर दिया. तभी एक चमत्कार हुआ. अचानक मौसम बसंत में बदल गया, बारिश होने लगी. लेकिन मां तो मां होती है. और वह चिल्लाई 'जमजम-जमजम' (रुको-रुको), क्योंकि वह डर गई थी कि उसके बच्चे को पानी डुबा ना दे.
हाजिरा के इसी कुर्बानी का जशन मनाने के लिए हज के लिए मक्का हर श्रद्धालु को इन साफा और मारवाह के दोनों पहाड़ों पर 7 बार ऊपर-नीचे जाना होता है. इस चमत्कारी बसंत को ही जमजम कहा गया, और इसके पानी को अमृत के समान माना गया.
दस साल बाद इब्राहिम मक्का वापस आए. मक्का अब बंसत आने से हुई बारिश के चलते आबाद हो चुका था. इब्राहिम ने कभी अल्लाह से सवाल नहीं किया, जो वह कहते इब्राहिम उसे पूरा करते गए. इसके बाद अल्लाह ने इब्राहिम की सबसे कठिन परीक्षा ली. अल्लाह ने इब्राहिम को अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने के लिए कहा. इब्राहिम ने अपने सपने के बारे में इस्माइल को बताया. इस्माइल खुशी-खुशी अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गया.
शैतान ने इब्राहिम के कान में कहा कि वह अपने बेटे की कुर्बानी ना दे. आखिर इस्माइल का जन्म इब्राहिम के बुढ़े होने पर और बड़ी ही मुश्किल से हुआ है. अब उसे कोई दुसरा बच्चा होने के उम्मीद भी नहीं है. लेकिन इब्राहिम अपने फैसले पर अडिग रहे और अपने बेटे की कुर्बानी की तैयारी करने लगे. शैतान की इसी हरकत के लिए हज के दौरान शैतान को पत्थर मारने की परंपरा है.
बेटे की गर्दन पर वार करने के लिए इब्राहिम ने छुरा ऊपर उठाया. लेकिन इससे पहले कि वह अपने बेटे का गला काटते, उनके कानों में एक आवाज आई. 'अरे इब्राहिम, तुम अपनी परीक्षा में सफल हुए.' अल्लाह ने इब्राहिम की कई बार परीक्षा ली और इब्राहिम ने हर बार ये साबित किया कि अल्लाह पर उनका भरोसा अडिग है. अब चमत्कार ये हुआ था कि इस्माइल एक भेड़ में बदल गया था.
इसी के चलते दुनिया भर के मुस्लिम ईद-अल-अधा या कुर्बानी का त्योहार मनाते हैं. इस्माइल के पैदा होने के 13 साल बाद फिर चमत्कार हुआ. सराह को भी एक बेटा हुआ, जिसका नाम इसाक रखा गया. आज दुनिया के तीन बड़े धर्म यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्म में पैदा होने वाले लोग पैगंबर के ही वशंज हैं. इब्राहिम से यहूदी और ईसाई धर्म के लोगों की उत्पत्ति हुई है और इस्माइल से इस्लाम धर्म के लोगों की उत्पत्ति हुई है.
अपने एक दौरे के समय इब्राहिम और इस्माइल ने 'भगवान का घर' या 'काबा' भी बनवाया, जो इस्लाम का पवित्र केन्द्र है. हर साल लाखों लोग हज के लिए यहां इकट्ठा होते हैं और बलिदान के इस त्योहार को मनाते हैं.
कुर्बानी देना सिर्फ एक परंपरा नहीं है. बल्कि ये याद दिलाती है कि बिना किसी अहंकार और शक के हमेशा अल्लाह में भरोसा करते रहो.
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