ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार लोग इन तरीकों से ले सकते हैं अपने पैसे वापस
अब लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड या एटीएम फ्रॉड के शिकार होने के बाद परेशान नहीं होना होगा. आरबीआई नए गाइडलाइन्स लेकर आई है जिसमें बैंकों को सख्त संदेश है कि ग्राहक का पैसा धोखाधड़ी से जाने के बाद बैंक को भुगतान करना होगा.
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अब ज्यादातर लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने लगे हैं. नोटबंदी के बाद से तो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों की संख्या में खूब बढ़ोतरी हुई है. लेकिन इसके बाद से लोगों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं भी उसी अनुपात में बढ़ी है. लेकिन ऑनलाइन ट्रांसफर से जहां लोगों को सुविधा मिली है वहीं मुश्किलें भी बढ़ी हैं. आरबीआई और बैंकों में ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायतों का अंबार लगने लगा है.
लेकिन लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने के बाद परेशान नहीं होना होगा. आरबीआई नए गाइडलाइन्स लेकर आई है जिसमें बैंकों को सख्त संदेश है कि ग्राहक का पैसा धोखाधड़ी से जाने के बाद बैंक को भुगतान करना होगा.
इन केस में बैंक, ग्राहक को पूरे पैसे वापस करेगी-
1- अगर किसी अकाउंट बैंक की ओर से कमी या लापरवाही के कारण से धोखाधड़ी वाला ट्रांजैक्शन हुआ है तो फिर चाहे ग्राहक ने इस बात की शिकायत दर्ज कराई हो या नहीं. "एक डिजिटल ट्रांजैक्शन विभिन्न प्लेटफार्मों जैसे Payer bank, payee bank, payment gateway, आदि के जरिए होता है. और हर लेन-देन को एन्क्रिप्ट किया जाना चाहिए. कोई भी डेटा दोनों ही मध्यस्थों के पास नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उनका इस्तेमाल सिर्फ ट्रांसफर के लिए किया जाना चाहिए. इसलिए इस प्रक्रिया के दौरान अगर धोखाधड़ी होती है तो उसके लिए ग्राहक जिम्मेदार नहीं होगा. आरबीआई की सिफारिशों के अनुसार, बैंक को पैसे ग्राहक को वापस करना होगा."
2- अगर कोई थर्ड पार्टी उल्लंघन हुआ है जिसमें न बैंक की तरफ से कोई कमी हुई है और न ही ग्राहक ने कोई गलती की है. बल्कि किसी और जगह के सिस्टम में कमी की वजह से ये हुआ है और ग्राहक ने इसके संबंध में बैंक को तीन दिन कार्य दिवसों में सूचना दे दी है.
पिछले साल आईसीआईसीआई, एसबीआई, यस बैंक और एचडीएफसी के लगभग 32 लाख एटीएम कार्ड में गड़बड़ी की खबरें सुर्खियां बनी थीं. इन बैंकों ने हिताची पेमेंट सर्विस नाम की कंपनी को अपने एटीएम ट्रांजेक्शन आऊटसोर्स कर रखा था. ऐसे मामले में अगर ग्राहक बैंक को तीन दिन के भीतर फ्रॉड की सूचना दे देता है तो बैंक को पूरे नुकसान की भारपाई करनी होगी.
हां अगर ग्राहक की लापरवाही की वजह से फ्रॉड हुआ है तो बैंक को सूचना देने तक ग्राहक को ही सारा नुकसान उठाना पड़ेगा. ग्राहकों की लापरवाही क्या-क्या हो सकती है-
समय पर करें शिकायत तो पैसे होंगे वापस
1- अगर ग्राहक एटीएम पिन, कार्ड नंबर जैसी निजी जानकारियां किसी और के साथ जाने या अनजाने में शेयर कर देते हैं तो जब तक बैंक को धोखाधड़ी की सूचना न दी जाए तब तक ग्राहक को ही पूरा नुकसान उठाना होगा.
2- अगर बैंक या ग्राहक दोनों की ही गलती से नहीं बल्कि किसी तीसरी पार्टी की गलती की वजह से फ्रॉड हुआ हो तो फिर ग्राहक को 10,000 या उससे कम की राशि का ही भुगतान किया जाएगा. ये लिमिट 5 लाख तक के सेविंग बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड जिनका सालाना औरत बैलेंस 25 लाख तक का है उनपर ही लागू होगा. अगर तीन के भीतर ही शिकायत दर्ज कराई जाती है तो पूरे पैसे वापस होंगे.
करेंट अकाउंट, ओवरड्राफ्ट अकाउंट और 5 लाख से ज्यादा की लिमिट के क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम लिमिट 25 हजार रुपए है.
- सेविंग्स बैंक अकाउंट के लिए ये लिमिट 5 हजार रुपए है.
- अगर सात या उसके बाद शिकायत की गई तो फिर बैंक का बोर्ड तय करेगा कि क्या करना है.
बैंक अपने ग्राहकों के रजिस्टर्ड फोन नंबर और ईमेल अकाउंट पर हर ट्रांजेक्शन का एसएमएस और मेल भेजती है. आरबीआई की सिफारिश है कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के समय ग्राहकों से मोबाइल नंबर भी पूछा जाए ताकि ग्राहक को लेनदेन का पता रहे. अभी बैंक एसएमएस सर्विस के लिए पैसे चार्ज करते हैं. हालांकि आरबीआई की गाइडलाइन में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि एसएमएस के पैसे कौन भरेगा.
फिलहाल किसी धोखाधड़ी की शिकायत करने के लिए बैंक वेबसाइट, फोन बैंकिग, एसएमएस, ई मेल, आईवीआर, टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर, होम ब्रांच में संपर्क करने जैसी सुविधाएं दे रही हैं, लेकिन निकट भविष्य में बैंक ग्राहकों को एसएमएस और ईमेल के रिप्लाई का जवाब देने का ऑप्शन भी देंगे. इसके अलावा आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि शिकायत दर्ज कराने के लिए एक डायरेक्ट लिंक उपलब्ध कराएं, जिसमें बैंक की वेबसाइट के होम पेज पर किसी अनाधिकृत इलेक्ट्रोनिक ट्रांजेक्शन को रिपोर्ट करने की सुविधा उपलब्ध हो. साथ ही बैंकों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि शिकायत करने के तुरंत बाद ही ग्राहकों को एक ऑटो रेस्पोंस प्राप्त हो जाए.
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