यदि आप सरकार विरोधी हैं तो फेसबुक पर 'नो पॉलिटिक्स, प्लीज'!
PM Modi और UP CM Yogi Adityanath के खिलाफ Facebook पर लिखने वाले गोरखपुर के लॉ स्टूडेंट की गिरफ्तारी ने सिद्ध कर दिया कि फेसबुक पर शायरी लिखो, महान हस्तियों के कोटेशन लिखो, फ़िल्म के रिव्यू डालो, फ़ोटो शेयर कर 79 लोगों को टैग करो लेकिन पॉलिटिक्स नहीं. पॉलिटिक्स सिर्फ नेताओं के लिए है.
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हां तो गुरु जब मार्क भाई जुकेरबर्ग ने Facebook बनाया तो उद्देश्य बस इतना था कि नेटवर्किंग हो और 3 और 4 सेमेस्टर के नोट्स उन गरीब जूनियर्स के काम आ सकें जो हाथ में कॉपी पेन लेकर क्लास में तो आते थे मगर पिछली रात का हैंगओवर कुछ यूं होता था कि बेचारे सोकर अटेंडेंस 100 में से 90 करते. दौर बदला प्राथमिकता बदली और लोगों ने फेसबुक का इस्तेमाल विनोद कुमार शुक्ल, ग़ालिब, ज़ौक़, हरिवंश राय बच्चन, जौन एलिया की कविताओं को अपने नाम से पोस्ट करने के लिए शुरू किया. इस समय तक फेसबुक काफ़ी बदल चुका था अब ये केवल नर्सरी और केजी के दोस्त ढूंढने के लिए नहीं था. समय की नियति है बदलना और चूंकि फेसबुक पर खूब गुड मॉर्निंग गुड इवनिंग और हाय हेलो हो चुका था इसलिए समय फिर बदला अब फेसबुक पर सार्थक चर्चाएं होने लगीं. सार्थक चर्चाओं का जिक्र हुआ है तो स्वाभाविक है Politics का भी होगा. पहले लोग मुक्तिबोध की तर्ज पर अपने अपने पार्टनर से उनकी पॉलिटिक्स पूछते थे. फिर लोगों ने पॉलिटिक्स को विषय बनाकर फेसबुक पर लिखना शुरू कर दिया. लोग फेसबुक पर लिख रहे थे उधर देश की राजनीति बदल रही थी. 2014 में देश से कांग्रेस का सूपड़ा क्यों साफ हुआ उसकी एक बड़ी वजह फेसबुक भी है. जिन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधारा जगजाहिर करने के लिए पहले फेसबुक का इस्तेमाल किया कोई बात नहीं मगर वो लोग जो अभी हाल फिलहाल में फेसबुक पर आए हैं और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स बन रहे हैं सावधान रहें, सतर्क रहें और जब यूपी के संदर्भ में लिख रहे हों जो कुछ करना हो डबल कर लें क्या पता सावधानी हटे और दुर्घटना घट जाए.
फेसबुक पर लिखने के चलते यूपी में छात्र गिरफ्तार हुआ है और उसपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है
पुलिस वाले भले ही काले कोट वाले लोगों से खौफ़ खाते हों लेकिन जब बात योगी आदित्यनाथ या पीएम मोदी के बारे में फेसबुक पर कुछ अनाप शनाप लिखने की होगी तो फिर कोई क्या Sacred Games वाला त्रिवेदी भी नहीं बचेगा. यूपी के गोरखपुर में एक लॉ का स्टूडेंट पुकिस के हत्थे चढ़ा है. भाई व्यवस्था से त्रस्त था और जोश जोश में उसने पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बारे में अनर्गल पोस्ट फेसबुक पर डाली.
शासन ने इस पोस्ट को गंभीरता से लिया और इतनी धाराएं लगा दी हैं कि अब फेसबुक क्या जल निगम में बाबू की परीक्षा या फिर बैंक पीओ का एग्जाम देना होगा तो भी सवालों के उत्तर लिखने के लिए अगले को 500 बार सोचना होगा.
फेसबुक पर लिखने के कारण जो छात्र अरेस्ट हुआ है उसका नाम अरुण यादव है और वो गोरखपुर यूनिवर्सिटी का छात्र है. अरुण ने चूंकि पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के चेहरे को एडिट करके लगाया था तो पुलिस तो सख्त हुई साथ ही यूनिवर्सिटी का भी टेम्पर हाई हुआ है जिसने अरुण को सस्पेंड कर दिया है.
पुलिस ने अरुण पर IPC की धारा 153-A (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) 469 ( प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी) लगाई गई साथ ही छात्र पर IT Act के तहत भी अभियोग पंजीकृत होगा. बीते दिन अरुण को स्थानीय कोर्ट में पेश करने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
बात बाकी ये है कि भले ही फेसबुक पर लिखने से किसी को फर्क न पड़ता हो लेकिन गलती से ये जो मिस्टेक हुई है इसकी भारी कीमत अरुण को चुकानी होगी. ध्यान रहे जाड़ा बहुत है और यूपी में पारा हर बीते दिन के साथ गिर रहा है. आगे पब्लिक समझदार तो है ही.
गोरखपुर के अरुण ने जो किया और उसपर जो हुआ इस पूरी कहानी से हमें एक छोटी मगर बहुत जरूरी शिक्षा मिलती है. मॉरल ऑफ द स्टोरी बस इतना है कि देश विशेषकर यूपी के तमाम क्रांतिकारी क्रांति की मशाल बुझा दें और पहले ही तरह फेसबुक पर शायरी लिखो, महान हस्तियों के कोटेशन लिखो, फ़िल्म के रिव्यू डालो, फ़ोटो शेयर कर 79 लोगों को टैग करो लेकिन पॉलिटिक्स नहीं. पॉलिटिक्स सिर्फ नेताओं के लिए है. तो गुरु यदि आप सरकार विरोधी हैं तो फेसबुक पर 'नो पॉलिटिक्स, प्लीज.'
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