My Dear Yoga! जैसी बिगड़ी लाइफस्टाइल है, तू इस जनम हमसे तो न होगा
भले ही लोग आज सोशल मीडिया पर दिखने के लिए एक दिन का योगा कर रहे हों मगर जैसी हमारी लाइफ स्टाइल है और जैसा हमारा खानपान है योगा या फिर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हम सब के लिए दूर के सुहावने ढोल हैं
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21 जून यानी International Yoga Day. क्या मीडिया, क्या सोशल मीडिया बीते कुछ दिनों से टीवी खोलो तो योगा ट्विटर और फेसबुक खोला तो योगा. योगा से जुड़ी ख़बरों को मैं जैसे देख सुन और पढ़ रहा था एक बार को महसूस हुआ कि लगता है देश से सारे समस्याएं चल गईं हैं. सब ठीक है और जिन्हें थोड़ी बहुत दिक्कत है वो योगा मैट पर बैठे अलग अलग आसनों के जरिये अपनी समस्या का निवारण कर रहे हैं. दौर सोशल मीडिया का है. आदमी भले ही अपने दैनिक जीवन में बुद्धि की कमी का शिकार हो मगर उसी आदमी को जब सोशल मीडिया पर देखिये उसके पोस्ट पढ़िये तो लगता है कि इनसे बड़ा बुद्धिजीवी तो संसार में कोई नहीं है. कहावत है जो दिखता है वही बिकता है. योगा डे आने वाला था तो सोशल मीडिया पर हीरो बनने के लिए मैंने भी योगा करने का सोचा. सवाल ये था कि इसके लिए क्या किया जाए? बहुत सोच विचार किया. फिर याद आया कि, कुछ दोस्त हैं जिन्होंने सही अप्रेजल न मिलने के चलते अपनी अपनी नौकरी छोड़ी है. ये लोग खाली थे तो खुद को महान क्रांतिकारी समझते हुए इन्हीं लोगों को फोन कर कहा था कि, 'लखनऊ से लाहौर जाने वाली ट्रेन, जिसमें अंग्रेजो का पैसा जाता है उसे हम काकोरी में लूटेंगे.' यानी सब तैयार रहें 21 जून को योगा होगा और ये योगा करने से ही होगा.
देश के कोने कोने में वर्ल्ड योगा डे बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया गया
तैयारी पूरी थी. 21 जून से एक दिन पहले यानी 20 को सभी खलिहर दोस्तों को अपने दफ्तर के बाहर बुला लिया और उन्हें प्लान की गाइड लाइन दीं. उनको बताया कि हमारे लिए स्वस्थ रहना और स्वस्थ रहने के लिए योगा करना क्यों जरूरी है. साथ ही मैंने उनको ये भी बताया कि कैसे चंद दिनों का योगा हमें रातों रात सोशल मीडिया पर स्टार बना देगा. सारी बातें क्लियर थीं. मेरे दोस्त मेरी बातें समझ रहे थे. अब हमारे सामने बड़ा सवाल ये था कि आखिर क्या पहन के योगा, होगा?
ये सवाल इसलिए भी जरूरी था कि हम जींस टीशर्ट पहनने वाले लोग हैं. अब फॉर्मल पहन के तो योगा, होगा नहीं. तो हम एक नजदीकी मॉल में बने स्पोर्ट्स सेक्शन में कूच कर गए. स्पोर्ट्स सेक्शन का नजारा हमारी उम्मीद के विपरीत था. उस जगह पहुंचने से पहले हमें फील यही हुआ कि वहां गिने चुने लोग होंगे. हम आसानी से अपनी शॉपिंग कर लेंगे और जल्दी ही आ जाएंगे. वहां गए तो भारी भीड़. लोग टीशर्ट और लोअर पर तो ऐसे झपट रहे थे कि पूछिये मत. बिलिंग काउंटर में लम्बी लाइन और उस लाइन में खड़े लोगों के हाथों में योग मैट. उस स्थान पर आकर लगा कि एक हम ही नहीं है जिसे योगा वही फोटो फेसबुक पर शेयर करनी हैं हमारे जैसे तमाम लोग हैं.
World over, the first rays of the sun being welcomed by enthusiastic Yoga practitioners would be a delightful sight.
Yoga assures fitness and wellness.
Yoga ensures a healthy body, stable mind and a spirit of oneness in society. #YogaDay2019 pic.twitter.com/NFkmBcbrz1
— Narendra Modi (@narendramodi) June 21, 2019
अब वहां आए थे तो हम दोस्त भी अपना अपना सामान लेने में जुट गए. योगा मैट, योगा सूट, योगा शूज जो जो हम लोग खरीद पाए ले लिया और आ गए बिलिंग काउंटर पर. अच्छा क्योंकि वहां एसी 16 पर चल रहा था और पूरा स्टोर नैनीताल-मनाली सरीखा ठंडा हुआ था इसलिए गर्मी नहीं लगी और हम लोग आराम से खड़े रहे. जल्द ही हमारा नंबर आया और हमें बिलिंग करा दी.
स्टोर के अन्दर सामान चुनने में हमने काफी मेहनत की थी तो थकान होना और भूख लगना लाजमी था. हम दोस्तों ने पिज्जा पार्टी करने का प्लान बनाया और फौरन ही हम पिज्जा स्टोर पहुंच गए. जहां हमने जमकर पार्टी की. पिज्जा गार्लिक ब्रेक, चीज डिप, चॉको लावा केक, लेमोनेड वहां जो जो हम खा सकते थे खाया और वापस अपने अपने घर आ गए.
आज योगा डे था तो हमने प्लान के मुताबिक जमकर योगा किया. लेटकर किया. बैठकर किया. खड़े होकर किया जैसा जैसा सब कर रहे थे वैसा वैसा किया. घर आते वक्त पूरा बदन टूट रहा था. हाथ उठाओ तो हाथ में दर्द. पैर उठाओ तो पैर में दर्द. कमर, पेट जिस्म के हर हिस्से में पीड़ा. जैसे तैसे दवा खाने के लिए पानी का गिलास उठाया. दवा खाते हुए विचार आया कि एक दिन में न तो हम लखनऊ से लाहौर जाने वाली ट्रेन, जिसमें अंग्रेजो का पैसा जाता है उसे हम काकोरी में लूट सकते हैं और न ही योग कर सकते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि हम वो लोग हैं जिनकी लाइफ और लाइफ स्टाइल दोनों ही अस्त व्यस्त हैं.
सोचने वाली बात है कि हम वो लोग हैं जिनकी जिंदगी चाय पर चलती है. पूड़ी, समोसा, चाट, चिप्स खाना जिनका फेवरेट टाइम पास है. खाने के नाम पर हम लोग वो तमाम चीजें खाते हैं जो बुरी तरह से अनहेल्थी हैं. उठने बैठने सोने जागने का कोई रूटीन हमारे पास है नहीं और हम बात कर रहे हैं स्वस्थ होने की, योग करने की.
फेसबुक या ट्विटर जीवन नहीं है. असल जीवन में शांति और स्वास्थ्य तभी मिल सकता है जब हम अपननी लाइफ स्टाइल को रूटीन में लाएं. अगर हमारा रूटीन बदल गया तो बहुत अच्छी बात है वरना मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ही ये बातें करते हैं कि, योगा आखिर तू हमसे कब होगा? जैसी लाइफ और लाइफ स्टाइल है हमारी साफ हो गया है तू इस जनम तो हमसे न होगा.
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